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July 15, 2025
श्रीखंड महादेव यात्रा : 70KM नंगे पांव चल ईशानी ने किए महादेव के दर्शन, पांव में एक छाला तक नहीं
18570 फीट ऊंचाई- ईशानी के लिए ना कोई ठंड ना ही कोई परेशानी
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कुल्लू। देवभूमि हिमाचल के हर व्यक्ति के दिल में देवी-देवताओं के प्रति गहरी आस्था है। कुल्लू जिले की एक बेटी तो भोले बाबा की ऐसी दीवानी है कि वो हर साल उनके दर्शन करने के लिए उत्तर भारी की सबसे कठिन यात्रा श्रीखंड महादेव के लिए नंगे पांव ही निकल पड़ती है।
इस बार फिर इस बेटी ने नंगे पांव पैदल चलकर श्रीखंड महादेव की सफल यात्रा पूरी की है। माइनस 5 से 15 डिग्री के टेंपरेचर के बीच, बहता पानी, बड़ी-बड़ी चट्टानों और ग्लेशियर को पार कर इस बेटी ने सातवीं बार नंगे पांव यात्रा की है।
बर्फीली वादियों में जब लोग सर्दी से कांपते हैं, तब ये बेटी श्रद्धा की गर्मी से तप कर शिव के शिखर तक पहुंचती है। कुल्लू जिले के निरमंड क्षेत्र की ईशानी ठाकुर ने एक बार फिर वो कर दिखाया है, जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएं। ईशानी उन्होंने नंगे पांव 70 किलोमीटर (आना-जाना) की कठिन श्रीखंड महादेव यात्रा पूरी की है।
28 वर्षीय ईशानी ठाकुर, कुल्लू जिले के बागीपुल, निरमंड की निवासी हैं। एक सामान्य युवती की तरह दिखने वाली ईशानी, जब अपने पांव से 18,700 फीट की ऊंचाई पर भोलेनाथ के दर्शन के लिए बर्फ, ग्लेशियर और तेज हवाओं से जूझती हैं, तो उनका हर कदम श्रद्धा का प्रतीक बन जाता है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि इतनी कठिन यात्रा के बाद भी उनके पैरों में एक भी छाला नहीं आया। यह ईशानी के लिए नहीं, पूरे हिमाचल के लिए एक चमत्कार और प्रेरणा है।
ईशानी ने बताया कि साल 2017 में उन्होंने पहली बार नंगे पांव यह यात्रा शुरू की थी। कोरोना महामारी के कारण 2020 और 2021 में यात्रा नहीं हो पाई, लेकिन बाकी वर्षों में वह निरंतर इस परंपरा को निभा रही हैं।
माइनस 5 से माइनस 15 डिग्री तक के तापमान में, जहां हर कदम फिसलन और जानलेवा हो सकता है, वहां ईशानी बिना जूते-चप्पल, सिर्फ आस्था की चादर ओढ़े चलती रहीं। उन्होंने कहा जब थकान महसूस होती है या पांव में ठंड चुभने लगती है, तब मैं बस भोलेनाथ का नाम लेती हूं और दर्द गायब हो जाता है।
ईशानी की यात्रा 8 जून को शुरू हुई, जब उन्होंने इंदौर से आए दोस्तों और अपने कजन ब्रदर के साथ कदम बढ़ाए। चार दिन की कठिन चढ़ाई के बाद 11 जून को उन्होंने श्रीखंड महादेव के दर्शन किए। फिर 13 जून को वापस अपने गांव लौटीं।
इस यात्रा में यात्री बर्फीली चट्टानों, तेज बहते पानी और बर्फीले तूफानों से जूझते हैं। गर्म कपड़े, मजबूत जूते और गाइड की जरूरत होती है। लेकिन ईशानी ने इस रास्ते को सिर्फ एक साधारण सी कैपरी और एक स्वेटर पहनकर तय किया।
आपको बता दें कि हर साल की तरह इस बार भी भक्तों की आस्था उमड़ने को तैयार है। यात्रा को लेकर भक्तों में काफी उत्साह नजर आ रहा है। हर साल सावन मास में आयोजित होने वाली यह यात्रा शिव भक्तों के लिए आध्यात्मिक आस्था और साहस की परीक्षा मानी जाती है। इस साल ये यात्रा बीती 10 जुलाई से शुरू हुई थी- जो कि 23 जुलाई तक चलेगी।
इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत ना हो- इसके लिए प्रशासन की ओर से हर सुविधा मुहैया करवाई गई है। रास्ते में जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया गया है। साथ ही पांच जगह पर श्रद्धालुओं के ठहरने और स्वास्थ्य जांच के लिए बेस कैंप बनाए गए हैं।
प्रशासन ने यात्रा के दौरान मिलने वाले खाने-पीने की चीजों और रहने के लिए बिस्तरों के दाम भी तय कर दिए हैं। दरअसल, यात्रा के दौरान कुछ दुकानदार लोगों से चीजों के ज्यादा दाम वसूलते हैं। ऐसे में लूट पर लगाम लगाने के लिए चीजों के यह दाम श्रीखंड महादेव यात्रा ट्रस्ट निरमंड द्वारा लागू किए गए हैं। उम्मीद है कि प्रशासन के इस फैसले से यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के अपनी यात्रा पूरी कर पाएंगे।
श्रीखंड महादेव यात्रा ट्रस्ट निरमंड द्वारा जारी रेट लिस्ट के अनुसार यात्रों के पड़ावों के आधार पर चीजों के पैसे वसूले जाएंगे। जैसे कि-
पार्वती बाग : ₹290
भीम डवारी : ₹270
काली घाटी और कुंशा : ₹230
थाचडू : ₹200
बराटी नाला : ₹130
बेस कैंप सिंहगाड : ₹110
श्रद्धालुओं को इस बार 250 रुपये पंजीकरण शुल्क देना होगा और हर दिन अधिकतम 800 श्रद्धालुओं को ही श्रीखंड यात्रा पर जाने की अनुमति दी जाएगी। ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन केवल रेयर मामलों में ही मिलेगा।
श्रीखंड यात्रा में श्रद्धालुओं को कुल 32 किलोमीटर पैदल चढ़ाई करनी होती है। इस यात्रा के दौरान 4 ग्लेशियर, चट्टानी पहाड़, और ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ता है। पार्वती बाग के आगे ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हो जाती है, जिससे कई यात्रियों को बीच से लौटना पड़ता है।
श्रद्धालुओं की मान्यता है कि श्रीखंड की चोटी पर भगवान शिव शिला रूप में 72 फीट ऊंचे शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। वहां पहुंचकर परिक्रमा और पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
यात्रा के लिए यात्री रामपुर (शिमला) से होकर निरमंड, बागीपुल और फिर जाओ तक वाहन से पहुंचते हैं। इसके बाद पैदल यात्रा शुरू होती है। यात्रा मार्ग पर 5 बेस कैंप बनाए गए हैं। यहां मेडिकल स्टाफ, रेस्क्यू टीमें, पुलिस, और ऑक्सीजन सुविधा उपलब्ध रहेगी-
यात्रा के मार्ग में पार्वती बाग के फूल, नैन सरोवर, भीम बही, भीम द्वार, थाचड़ू, और बराटी नाला जैसे अद्भुत प्राकृतिक दृश्य श्रद्धालुओं को भक्ति और प्रकृति के संगम का अनुभव कराते हैं। रास्ते में कई तरह की जड़ी-बुटियां भी हैं। इस यात्रा में जम्मू, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचते हैं।