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September 19, 2025

विमल नेगी केस : थाने में डिलीट हुआ था पेन ड्राइव का डाटा, CCTV फुटेज ने खोले कई राज

पुलिस महकमे पर उठ रहे कई सवाल

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Vimal Negi Case

शिमला। हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी HPPCL के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध मौत के मामले में CBI ने पहली बड़ी कार्रवाई करते हुए शिमला पुलिस के निलंबित ASI पंकज शर्मा को बीते रविवार को हिरासत में लिया था। फिर सोमवार को आरोपी को CBI की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे एक दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया।

थाने में डिलीट हुआ था पेन ड्राइव का डाटा

विमल नेगी की संदिग्ध मौत के मामले में CBI की जांच ने पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एजेंसी ने अदालत में पेश अपनी रिपोर्ट में बताया है कि नेगी के शव से बरामद हुई पेन ड्राइव का डाटा जानबूझकर शिमला सदर थाने में डिलीट किया गया था।

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CCTV फुटेज ने खोले कई राज

CBI के मुताबिक, थाने की CCTV फुटेज से साफ सबूत मिले हैं कि 21 मार्च को सुबह 8:07 से 8:20 के बीच तैनात ASI पंकज शर्मा ने कंप्यूटर में पेन ड्राइव लगाकर उसकी फाइलें खोलीं और डाटा फॉर्मेट कर दिया।

आत्महत्या के लिए उकसाया

जांच एजेंसी का दावा है कि यह कदम उन लोगों को बचाने के लिए उठाया गया जो विमल नेगी को आत्महत्या के लिए उकसाने की साजिश में शामिल थे। पेन ड्राइव को 15 अप्रैल को SIT ने कब्जे में लिया था। जब इसे फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया तो पुष्टि हुई कि डिवाइस को फॉर्मेट किया गया है।

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पंकज शर्मा जांच में बाधा डाल रहा

CBI का कहना है कि यह कार्रवाई किसी भी सामान्य पुलिस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थी, बल्कि सबूत नष्ट करने का सोचा-समझा प्रयास था। CBI ने कोर्ट को बताया कि ASI पंकज शर्मा जांच के दौरान लगातार सहयोग से बच रहा है।

पैन ड्राइव था अहम डाटा

उसके मोबाइल फोन के डाटा की जांच में कई आपत्तिजनक तथ्य सामने आए हैं। एजेंसी का मानना है कि पेन ड्राइव में बेहद अहम डाटा मौजूद था, जिसे डिलीट करने से पहले कहीं न कहीं सेव किया गया होगा। इसी कड़ी की जानकारी निकालना अब जांच का अहम हिस्सा है।

गुमराह करने की कोशिश

दिल्ली में पूछताछ के दौरान पंकज शर्मा ने पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट के लिए लिखित में सहमति दी थी। लेकिन जब मामला अदालत में पहुंचा तो उसने इस प्रक्रिया से साफ इनकार कर दिया। CBI का आरोप है कि वह बयान बदलकर जांच को गुमराह कर रहा है और सुनियोजित तरीके से देरी कराने का प्रयास कर रहा है।

पेन ड्राइव गायब, बाकी सामान पुलिस को सौंपा

CBI की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 18 मार्च को जब मछुआरे महेंद्र सिंह और सुनील कुमार ने सतलुज नदी में शव देखा और पुलिस को सूचना दी, तो ASI पंकज शर्मा मौके पर पहुंचा। शव से नकदी, ड्राइविंग लाइसेंस और एक पेन ड्राइव बरामद हुई। मगर पुलिस स्टेशन तलाई में जमा करवाए गए सामान में केवल नकदी और लाइसेंस था, पेन ड्राइव को वहां कभी नहीं सौंपा गया। यही पेन ड्राइव बाद में शिमला में फॉर्मेट की गई।

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साजिश में कई लोगों की भूमिका संदिग्ध

CBI ने संकेत दिए हैं कि विमल नेगी को आत्महत्या के लिए उकसाने और उसके बाद सबूत मिटाने की साजिश में एक से अधिक व्यक्ति शामिल हो सकते हैं। एजेंसी का कहना है कि वह इस पूरे षड्यंत्र की परतें खोलने में जुटी है और तकनीकी सबूतों के साथ-साथ गवाहों से पूछताछ का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है।

परिवार को मिले न्याय

इस मामले ने प्रदेश में सनसनी फैला दी है। लोगों का कहना है कि अगर पुलिस ही सबूतों से छेड़छाड़ करे तो पीड़ित परिवार को न्याय कैसे मिलेगा। अब सबकी निगाहें CBI की आगे की जांच और अदालत की कार्यवाही पर टिकी हैं।

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विमल नेगी प्रकरण की टाइमलाइन

  • 10 मार्च 2025– मुख्य अभियंता विमल नेगी टैक्सी से बिलासपुर के लिए रवाना हुए, इसके बाद से उनका कोई पता नहीं चला। परिवार ने न्यू शिमला थाने में गुमशुदगी दर्ज करवाई।
  • 18 मार्च 2025– उनका शव बिलासपुर से बरामद हुआ। इस घटना के बाद परिजनों ने धरना दिया। इसी दिन सरकार ने एक अधिकारी को निलंबित किया और दूसरे को पद से हटा दिया।
  • 19 मार्च 2025– एम्स बिलासपुर में शव का पोस्टमार्टम हुआ और थाना न्यू शिमला में केस दर्ज किया गया। इसी दिन एक और अधिकारी को निलंबित करने व पद से हटाने की कार्रवाई की गई।
  • 19 मार्च 2025– सरकार ने हरिकेश मीणा को छुट्टी पर भेज दिया।
  • 20 मार्च 2025– गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए और विशेष जांच टीम (SIT) गठित हुई।

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  • 7 अप्रैल 2025– हरिकेश मीणा को उच्च न्यायालय से जमानत मिली।
  • 8 अप्रैल 2025– ऊर्जा निगम के निदेशक (कार्मिक व वित्त) शिवम प्रताप सिंह को पद से हटाकर उनकी जगह HAS अधिकारी की नियुक्ति की गई।
  • 21 अप्रैल 2025– पुलिस जांच से असंतुष्ट परिजनों ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
  • 21 मई 2025– उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा। इसी दिन डीजीपी की ओर से दाखिल हलफनामे में शिमला पुलिस की SIT की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए गए।
  • 23 मई 2025– हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश जारी किया।

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