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September 19, 2025
हिमाचल में फिर फटा बादल- मलबे के सैलाब में बहे खेत-बगीचे, तबाही का मंजर देख सहमे लोग
भारी बारिश ने जनजीवन किया अस्त-व्यस्त
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शिमला/रिकांगपिओ। हिमाचल प्रदेश में गुरुवार देर रात मौसम ने फिर से कहर बरपाया। किन्नौर जिले के थाच गांव में देर रात बादल फटने से अचानक आई बाढ़ ने भारी नुकसान पहुंचाया। बाढ़ की तेज धार में दो गाड़ियां बह गईं, जबकि खेतों और बगीचों को भी गहरी क्षति हुई है।
हालात बिगड़ते देख लोग आधी रात को ही अपने घरों से भागकर सुरक्षित स्थानों पर चले गए। ग्रामीणों के अनुसार, तेज पानी और मलबे ने गांव के कई हिस्सों को खतरे की जद में ला दिया है। कई घरों के आसपास जमीन धंसने और लैंडस्लाइड से और बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
उधर, राजधानी शिमला भी प्राकृतिक आपदा से अछूती नहीं रही। एडवर्ड स्कूल के पास देर रात भारी भूस्खलन हुआ, जिससे पहाड़ी पर बने बहुमंजिला मकान की नींव हिल गई। सुरक्षा के लिहाज से प्रशासन ने स्कूल को दो दिनों के लिए बंद करने का आदेश जारी कर दिया है।
साथ ही, शिमला की लाइफलाइन कहे जाने वाले सर्कुलर रोड को यातायात के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया है। शिमला जिले की कुमारसैन तहसील की करेवथी पंचायत में भी बीती शाम बड़ा हादसा हुआ। यहां जमीन धंसने से तीन मंजिला मकान देखते ही देखते मलबे में तब्दील हो गया।
गनीमत यह रही कि समय रहते लोग घर से बाहर निकल आए, जिससे बड़ा हादसा टल गया। वहीं, कांगड़ा और हमीरपुर जिलों में भी रातभर तेज बारिश होती रही। कई क्षेत्रों में जलभराव और भूस्खलन से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के मुताबिक, प्रदेश में आज से मानसून कमजोर पड़ने लगा है। अगले पांच दिनों तक अधिकांश स्थानों पर मौसम साफ रहने की संभावना जताई गई है। हालांकि, बीच-बीच में हल्की बूंदाबांदी हो सकती है। विभाग ने साफ किया है कि फिलहाल भारी बारिश का कोई अलर्ट नहीं है।
इस मानसून सीजन में शिमला और कुल्लू जिले सबसे ज्यादा प्रभावित रहे हैं। यहां सामान्य से दोगुनी बारिश दर्ज की गई है। शिमला में 108 प्रतिशत और कुल्लू में 107 प्रतिशत ज्यादा बादल बरस चुके हैं। इस असामान्य बारिश ने पहाड़ों में भूस्खलन, मकानों के ध्वस्त होने और फसलों की तबाही को जन्म दिया है।
मौजूदा मानसून सीजन में हिमाचल प्रदेश को अब तक 4595 करोड़ रुपए की सरकारी और निजी संपत्ति का नुकसान हो चुका है। 419 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं, 1520 मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं, जबकि करीब 7000 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
स्थानीय लोग अब सरकार और प्रशासन से ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं ताकि भविष्य में इस तरह की तबाही से बचा जा सके। राहत एवं पुनर्वास कार्य जारी है, लेकिन पहाड़ी जिलों में अभी भी भय और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।