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February 16, 2025

सुक्खू सरकार को चेतावनी, कम करों बिजली की दरें, नहीं तो बंद करने पड़ेंगे उद्योग

सब्सिड़ी कर दी खत्म, लगा दिए दूध और पर्यावरण सेस

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Sukhu Govt Warn Steel industry

शिमला। हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी का सबसे बड़ा सहारा प्रदेश में लगे उद्योग हैं। उद्योगांे से प्रदेश सरकार को करोड़ों का राजस्व मिलता है। लेकिन अब इस उद्योग जगत में सुक्खू सरकार के एक फैसले ने संकट के बादल मंडराने लगे हैं। उद्योग मालिकों ने अब सुक्खू सरकार को उद्योग बंद करने तक की चेतावनी भी दे दी है। मामला बिजली बढ़ोतरी से जुड़ा हुआ है।

स्टील इंडस्ट्री पर पड़ रहा बिजली बढ़ोतरी का प्रभाव

दरअसल हिमाचल प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व देने वाले स्टील इंडस्ट्री के मालिकों ने अपने अपने कारखानों को बंद करने का मन बना लिया है। लोहा उद्योग मालिकों का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा बिजली सब्सिडी खत्म करने से लोह उद्योग घाटे में चल रहे हैं। ऐसे में उनके पास उद्योगों को बंद करने के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं बचा है।

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लौह उद्योग मालिकों का कहना है कि उनके उद्योगों में बिजली की सबसे अधिक खपत होती है। वहीं यही उद्योग प्रदेश की सरकार को सबसे अधिक हर माह करीब 50 करोड़ का राजस्व भी देते हैं। बावजूद इसके सरकार ने उद्योगों की बिजली सब्सिडी को बंद कर दिया। बिजली की अधिक खपत होने से अब उनके भारी भरकम बिल आ रहे हैं। जिससे उद्योग घाटे में जा रहे हैं।

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सुक्खू सरकार को दे दी चेतावनी

उद्योगपतियों ने दो टूक शब्दों में सुक्खू सरकार को चेतावनी दे दी है कि अगर बिजली शुल्क में कटौती और सेस को वापस नहीं लिया गया तो उन्हें मजबूरन उद्योग बंद करने पड़ेंगे। स्टील इंडस्ट्री एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल संगठन के अध्यक्ष मेघराज गर्ग की अध्यक्षता में सचिवालय पहुंचे और उद्योग मंत्री से भेंट की। वही इस मुद्दे को लेकर उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री से भी बात करेंगे।


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सचिवालय पहुंचे एसोसिएशन के अध्यक्ष मेघराज ने कहा कि पिछले तीन माह से सुक्खू सरकार से वह बार बार अनुरोध कर रहे हैं। लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहे हैं। मेघराज ने बताया कि मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि एक रुपए प्रति यूनिट बिजली दरों में बढ़ोतरी पर पुन विचार किया जाएगा। सरकार ने एक रुपए प्रति यूनिट पर तो विचार नहीं किया, उल्टा प्रति यूनिट 20 पैसे अतिरिक्त सेस लगा गया है। 

बिजली बढ़ोतरी का उद्योग जगत पर पड़ रहा प्रभाव

एसोसिएशन के प्रधान ने कहा कि बिजली की मामूली बढ़ोतरी भी उद्योग जगत को प्रभावित करती है। उन्होंने बताया कि कई उद्योग हिमाचल में पिछले 25 सालों से काम कर रहे हैं। पिछले दो सालों में ही सरकार ने कुल बिजली टैरिफ में 48 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है। जिससे उद्योग जगत घाटे में पहुंचने के कगार पर पहुंच गया है।

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सुक्खू सरकार भूल गई अपना वादा

सुक्खू सरकार ने वादा किया था कि वह सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध करवाएंगे, लेकिन सत्ता में आने के बाद इसके विपरित हुआ है और उद्योग जगत को अब पंजाब से भी महंगी बिली मिली रही है। इतनी अधिक महंगी बिजली मिलने से उद्योग बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि बिजली दरों में कटौती की जाए, और उनके करोड़ों के पेंडिग बिलों को किस्तों में देने की रियायत दी जाए।

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मेघराज गर्ग ने कहा कि कई उद्योग प्रदेश से पलायन कर चुके है और अब बिजली दरों में बढ़ोतरी से लौह उद्योग भी बंद होने की कगार पर आ गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने औद्योगिक उपभोक्ताओं पर 20 पैसे सेस लगा दिया जिसमें 10 पैसे प्रति यूनिट का दूध उपकर और 10 पैसे प्रति यूनिट तक का पर्यावरण उपकर लगाया था और अक्टूबर में ₹1 प्रति यूनिट बिजली शुल्क सब्सिडी वापस ले ली थी जिससे उद्योगों पर भारी अतिरिक्त बोझ पड़ा है। 

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