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July 7, 2025
12 दिन बाद जागी सुक्खू सरकार, बाढ़ में बह कर आई लकड़ी की CID जांच के दिए निर्देश
पुष्पा स्टाइल में बह कर आई थी हजारों टन लकड़ी, 12 दिन बाद जागी सरकार
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में इस समय भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने तबाही मचाई हुई है। इसी तबाही के बीच पिछले कुछ दिन पहले कुछ वीडियो और तस्वीरें सामने आई थीं। इन तस्वीरों और वीडियो ने हिमाचल ही नहीं बल्कि पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था। यह तस्वीरें कुल्लू जिला में बादल फटने के बाद आई बाढ़ में बह कर पुष्टा स्टाईल में आई हजारों टन लकडी थी। यह लकड़ी पंडोह डैम में एकत्रित हुई थी। सीएम सुक्खू ने अब इस मामले की सीआईडी जांच के आदेश दिए है।
दरअसल हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में 24 जून को बादल फटने के बाद पुष्पा स्टाइल में बाढ़ में बहकर आई भारी मात्रा में लकड़ी पंडोह डैम में जमा हो गई, जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई। जिस पर राजनीतिक बयान भी सामने आए थे। वहीं प्रदेश के राज्यपाल ने भी भारी मात्रा में बह कर आई लकड़ी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए चिंता जताई थी।
आज सोमवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आपदा को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में सीएम सुक्खू ने पंडोह में पहुंची हजारों टन लकड़ी के मामले की सीबीआई जांच करवाने के निर्देश दिए हैं। सरकार अब यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि क्या यह लकड़ी वन विभाग की थी, या फिर किसी अन्य स्रोत से आई। साथ ही जांच में यह भी तय किया जाएगा कि कहीं बड़े स्तर पर अवैध वन कटान तो नहीं हुआ।
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मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि कुल्लू में बाढ़ के बाद मलबे के साथ हजारों टन लकड़ी बह कर आई थी। यह लकड़ी पंडोह डैम में एकत्रित हो गई। अब सरकार इसका पता लगाएगी कि आखिर कार यह लकड़ी कहां से यहां पहुंची और किसने इसका कटान किया। बड़ी बात यह है कि यह घटना 24 जून की है, लेकिन सरकार ने अब 12 दिन बाद इस मामले की जांच करवाने के निर्देश दिए हैं।
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इस घटना के बाद विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की, तो वहीं कांग्रेस के ही एक विधायक कुलदीप राठौर ने भी यह सवाल खड़ा किया कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में लकड़ी बाढ़ में कैसे बहकर आई क्या यह पहले से काटी गई लकड़ी थी, जिसे जंगलों में छिपाकर रखा गया था और बारिश में बह गई
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने भी इस घटना को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि अगर लोगों में थोड़ी भी मानवता बची हैए तो प्रकृति के साथ खिलवाड़ बंद करें। उन्होंने वन विभाग और नीति निर्माताओं को पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस नीति बनाने की सलाह भी दी। राज्यपाल ने उदाहरण देते हुए कहा कि जब वह डोडरा.क्वार गए थेए तो वहां भी बड़े.बड़े पेड़ों को काटे जाने पर कोई ठोस जवाब नहीं मिला।
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वहीं दूसरी ओर वन विभाग ने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया था कि पंडोह डैम में बहकर आई लकड़ी अवैध कटान का परिणाम नहीं है। विभाग के अनुसार कुल्लू की शिलागढ़ क्षेत्र में बादल फटने के कारण करीब 20,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जिसमें से 6,000 हेक्टेयर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का हिस्सा है।
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वन विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि बाढ़ में बहकर आई लकड़ी जंगलों में पहले से गिरी हुई और सड़ी.गली बालन लकड़ी थी, न कि हाल ही में काटे गए पेड़। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के नियमों के अनुसार वहां गिरे हुए पेड़ों को उठाया नहीं जाता, वे वहीं सड़ने के लिए छोड़ दिए जाते हैं। इसी प्रकार की पुरानी लकड़ी बाढ़ के साथ बहकर पंडोह डैम तक पहुंच गई।