#विविध
July 7, 2025
आपदा के बीच CM सुक्खू 'अपनों पर मेहरबान', बोर्ड-निगम के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का बढ़ाया मानदेय
वेतन भत्तों की बढ़ोतरी के बाद अब मिलेंगे 1.11 लाख रुपए प्रतिमाह
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शिमला। हिमाचल प्रदेश एक तरफ कर्ज के पहाड़ तले डूब चुका है। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश इस समय भीषण आपदा के दौर से गुजर रहा है। लेकिन इस सब के बीच सुक्खू सरकार ने अपने करीबी नेताओं को बड़ी राहत देते हुए उनके मानदेय में बड़ी बढ़ोतरी कर दी है। सुक्खू सरकार ने हिमाचल प्रदेश में निगम और बोर्डों के अध्यक्ष व उपाध्यक्षों का मासिक मानदेय एक झटके में ही 30 हजार रुपए से बढ़ाकर सीधे 80 हजार रुपए कर दिया है। इसके साथ ही अन्य भत्तों में भी वृद्धि की गई है।
अब एक अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को प्रतिमाह कुल मिलाकर 1.11 लाख रुपए तक सरकारी खजाने से मिलेंगे। गौर करने वाली बात यह है कि यह सब उस समय किया गया है जब राज्य आपदा के कारण राहत और पुनर्निर्माण के लिए केंद्र सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठा है। एक तरफ सुक्खू सरकार आर्थिक तंगी का रोना रो रही है, और दूसरी तरफ अपने नेताओं को खुश करने के लिए उनके वेतन में बढ़ी बढोतरी कर दी है।
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सरकार ने आवास भत्ते में भी बड़ी बढ़ोतरी है। सरकार ने आवास भत्ता 7200 रुपए से बढ़ाकर सीधे 25 हजार रुपए कर दिया है, जबकि सत्कार भत्ता 3100 से बढ़ाकर 3500 रुपए किया गया है। वाहन और टेलीफोन भत्ता भी जारी रहेगा। वित्त विभाग के विशेष सचिव सौरभ जस्सल की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है।
यह पहली बार नहीं है जब सुक्खू सरकार पर अपनों को खुश करने के आरोप लगे हों। इससे पहले भी कांग्रेस सरकार तब घिरी थी जब राज्य के खराब आर्थिक हालातों के बावजूद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने नेताओं को खुश करने के लिए प्रदेश में सात सीपीएस नियुक्त कर दिए थे। हालांकि बाद में कोर्ट ने सीपीएस की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। लेकिन उस समय भी यह सवाल उठा था कि क्या आर्थिक तंगी में डूबे राज्य पर इस तरह का अतिरिक्त बोझ डालना उचित है?
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के कार्यकाल में बोर्ड.निगम अध्यक्षों का मानदेय महज 3500 रुपये था। इसके बाद समय.समय पर इसमें बढ़ोतरी होती रही। ऐसा नहीं है कि सुक्खू सरकार ने ही निगम बोर्डों के अध्यक्षों उपाध्यक्षों के मानदेय में बढ़ोतरी की है। इससे पहले जयराम सरकार ने भी इनके मानदेय को 15 हजार से सीधे 30 हजार यानी डबल कर दिया था। अब सुक्खू सरकार ने इसे बढ़ाकर 30 हजार से सीधे 80 हजार कर दिया है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश पर इस समय एक लाख करोड़ से अधिक का कर्ज चढ़ चुका है। प्रदेश की आर्थिक स्थिति इस कद्र बिगड़ चुकी है कि सरकार के पास अपने कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन देने तक के पैसे नहीं हैं। कर्ज को चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। इस सब के बीच अब हिमाचल में प्राकृतिक आपदा ने भयंकर तबाही मचाई है। जिससे प्रदेश को करोड़ों का नुकसान हुआ है। इस सब के बीच निगम बोर्डो अध्यक्षों उपाध्यक्षों के मानदेय में बढ़ोतरी करना कहां तक उचित है।
आपदा से टूटे हिमाचल में जहां पुनर्वास, सड़क मरम्मत, और बुनियादी सेवाओं के लिए सरकार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, वहीं सुक्खू सरकार अपने चहेतों को खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इस कदम ने सरकार की प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।