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October 28, 2025

मंत्री जगत नेगी बोले- अगले मुख्यमंत्री के रूप में नाम कटने से विचलित हो रहे हैं जयराम ठाकुर

नेगी बोले- धारा 118 को लेकर भाजपा कर रही जनता को गुमराह

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jai Ram thakur

शिमला। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भविष्य में संभावित सीएम चेहरे से नाम कटने से विचलित हो गए हैं। जिसके चलते ही वह अब अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं और अनाव शनाब बयानबाजी कर रहे हैं। यह बात सुक्खू सरकार में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा है।

 

दरअसल हिमाचल प्रदेश की राजनीति में बयानबाजी का दौर अपने चरम पर है।  विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर द्वारा धारा 118 को लेकर लगाए गए आरोपों पर सरकार ने तीखा पलटवार किया है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि जयराम ठाकुर इसलिए विचलित हैं क्योंकि भाजपा में अब उन्हें भविष्य के मुख्यमंत्री पद के लिए संभावित चेहरे के रूप में नहीं देखा जा रहा है।

 

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सीएम नाम कटने से बिगड़ा जयराम का संतुलन

नेगी ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा के अपने कार्यक्रमों में अब "नया मुख्यमंत्री" "नई सोच" जैसे नारे लग रहे हैं, और इन्हीं बातों ने जयराम ठाकुर का संतुलन बिगाड़ दिया है। मंत्री ने कहा कि जयराम ठाकुर को अब अपनी पार्टी के भीतर बदलती राजनीतिक हवा महसूस हो रही है, इसलिए वे प्रदेश सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगाकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।

भ्रम फैलाना भाजपा की पुरानी आदत

मंत्री ने कहा कि विपक्ष केवल जनता को भ्रमित करने और राजनीतिक जमीन बचाने की कोशिश कर रहा है। भाजपा के नेता खुद अपने कार्यक्रमों में एक-दूसरे को नीचा दिखाने में जुटे हैं। ऐसे में जयराम ठाकुर का विचलित होना स्वाभाविक है।

 

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धारा 118 से कोई छेड़छाड़ नहीं

जगत नेगी ने स्पष्ट किया कि धारा 118 में किसी भी तरह का संशोधन या छेड़छाड़ नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि बिना विधानसभा की अनुमति के इसमें बदलाव संभव ही नहीं है। उन्होंने बताया कि विधानसभा में जो संशोधन लाया गया था, वह सिर्फ धार्मिक संस्थाओं के लिए था ताकि उन्हें सेलिंग एक्ट से बाहर रखा जा सके।

 

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नेगी ने समझाया कि अगर कोई धार्मिक संस्था, जिसके पास 150 बीघा तक भूमि है, वह भूमि धार्मिक प्रयोजन के लिए बेचना चाहती है, तो उसे अनुमति दी जा सकती है। यही संशोधन किया गया था। उन्होंने कहा कि जब यह बिल सदन में लाया गया था, तब विपक्ष ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी और सर्वसम्मति से इसे पारित किया गया था। अब विपक्ष द्वारा इसे भूमि बेचने की साजिश बताना जनता को गुमराह करने के समान है।

 

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वन भूमि कब्जे पर नेगी का बयान

वन भूमि पर कब्जे को लेकर उठे विवाद पर भी मंत्री ने स्थिति साफ की। उन्होंने कहा कि किसी को भी सरकारी या वन भूमि पर अवैध कब्जे की छूट नहीं दी जा रही है। उन्होंने बताया कि अधिकार सिर्फ वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत ही दिए जा सकते हैं। इस कानून के अनुसार 13 दिसंबर 2005 से पहले जो भी व्यक्ति या परिवार चाहे जनजातीय हो या गैर-जनजातीय जंगलों या बंद भूमि पर रहकर जीवन यापन कर रहे थे, वे इसके पात्र हैं।

 

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जगत सिंह नेगी ने कहा कि अगर ग्राम सभा और दो बुजुर्ग लोग इस बात की पुष्टि करते हैं कि व्यक्ति 2005 से पहले उस भूमि पर रह रहा है, तो उसे भूमि का अधिकार मिल सकता है।
नेगी ने कहा कि किन्नौर में 600 से अधिक लोगों को भूमि अधिकार दिए जा चुके हैं, जबकि लाहौल.स्पीति और भरमौर में भी यह प्रक्रिया जारी है।

आपदा प्रभावितों को राहत

राजस्व मंत्री ने विपक्ष के उस आरोप को भी खारिज किया जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार आपदा पीड़ितों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोई भी व्यक्ति अब बेघर नहीं है। सरकार ने उन सभी लोगों के लिए रहने की व्यवस्था की है जिनके मकान बारिश और भूस्खलन से पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए थे। नेगी ने बताया कि राज्य सरकार 5000 रुपये प्रति माह किराया सहायता दे रही है।

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