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October 28, 2025
सुक्खू सरकार का व्यवस्था परिवर्तन, 4 टॉप कुर्सियों पर कार्यवाहक अधिकारी, राज्यपाल ने लिया संज्ञान
सुक्खू सरकार के व्यवस्था परिवर्तन पर उठे सवाल
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार के व्यवस्था परिवर्तन की नीति अब नई बहस को जन्म दे रही है। सुक्खू सरकार के कार्यकाल में पहली बार हिमाचल प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी, पुलिस विभाग, वन विभाग और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के टॉप अधिकारी कार्यवाहक के रूप में काम कर रहे हैं। सुक्खू सरकार के इस व्यवस्था परिवर्तन पर जहां विपक्ष सवाल उठा रहा है। वहीं अब राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने भी इस पर संज्ञान लिया है।
बता दें कि सुख की सरकार में राज्य की सरकार चलाने में अहम भूमिका निभाने वाले मुख्य सचिव के पद पर प्रबोध सक्सेना की सेवानिवृत्ति के बाद संजय गुप्ता को कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाया गया है। इसी तरह से प्रदेश की कानून-व्यवस्था संभालने वाले पुलिस विभाग के टॉप डीजीपी के पद पर भी अशोक तिवारी को अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। वन विभाग के मुखिया यानी हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स का अतिरिक्त कार्यभार संजय सूद को सौंपा गया है। इसके साथ ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में भी सदस्य सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता को प्रतिनियुक्ति आधार पर लगाया गया है।
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व्यवस्था परिवर्तन” या “व्यवस्था में भ्रम
DGP — 5 महीने से कार्यवाहक
PCCF — 2 महीने से कार्यवाहक
मुख्य सचिव — 25 दिन से कार्यवाहक
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सदस्य सचिव — प्रतिनियुक्ति पर
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सुक्खू सरकार की इस व्यवस्था परिवर्तन को लेकर अब राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने संज्ञान लिया है। उन्होंने इस मामले में मुख्य सचिव को पत्र लिखकर रिपोर्ट तलब की है। दरअसल
राज्यपाल ने यह संज्ञान एक व्यक्ति द्वारा भेजी गई शिकायत पर लिया है। शिकायत में कहा गया था कि प्रदेश में महत्वपूर्ण पदों पर स्थायी अधिकारियों की नियुक्ति के बजाय कार्यवाहक अधिकारियों को जिम्मेदारी देना प्रशासनिक अस्थिरता पैदा कर रहा है।
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राजभवन सूत्रों के अनुसार राज्यपाल ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में पूछा है कि आखिर प्रदेश में इतने महत्वपूर्ण पद लंबे समय से कार्यवाहक व्यवस्था में क्यों चल रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी स्थिति में अधिकारी निर्णय लेने में हिचकते हैं, जिससे प्रशासनिक दक्षता पर असर पड़ सकता है।
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विपक्ष ने सरकार पर व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर नौकरशाही को अस्थिर करने का आरोप लगाया है। भाजपा नेताओं ने कहा कि यह पहला मौका है जब हिमाचल जैसा प्रशासनिक रूप से संवेदनशील राज्य बिना नियमित मुख्य सचिव और डीजीपी के चल रहा है। वहीं, रिटायर ब्यूरोक्रेट्स ने भी इस पर आश्चर्य जताया है। उनका कहना है कि पहले कभी किसी शीर्ष अधिकारी के रिटायर होने पर इतने लंबे समय तक एडिशनल चार्ज की परंपरा नहीं रही। आमतौर पर यह व्यवस्था केवल एक-दो दिन या किसी अधिकारी की छुट्टी के दौरान ही की जाती थी।