#राजनीति
October 27, 2025
अपनों का विरोध दरकिनार कर सीएम सुक्खू अब इस ऑफिस को शिमला से धर्मशाला कर रहे शिफ्ट
सीएम ने डीसी कांगड़ा को जगह तलाशने के दिए निर्देश, राठौर कर चुके हैं विरोध
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू एक बार फिर अपने एक फैसले से चर्चाओं में आ गए हैं। अपनी ही सरकार के अंदर से उठ रहे विरोध के बावजूद सीएम सुक्खू ने एक बड़ा फैसला लिया है। सीएम सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश सूचना आयोग कार्यालय को शिमला से धर्मशाला शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर दी है।
सीएम सुक्खू ने डीसी कांगड़ा को इसके लिए उपयुक्त भूमि तलाशने के निर्देश दिए हैं। सीएम सुक्खू के इस निर्णय को जहां सरकार के प्रशासनिक सुधार और शिमला डी.कन्जेशन के एजेंडे से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है, वहीं पार्टी के अंदरखाते इस कदम को लेकर असहमति भी बढ़ती जा रही है।
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दिलचस्प बात यह है कि सूचना आयोग के लिए शिमला सचिवालय परिसर के पास नया भवन लगभग तैयार हो चुका है। उम्मीद जताई जा रही थी कि मार्च 2026 तक यह भवन पूरी तरह तैयार होकर कमीशन कार्यालय को खलीनी स्थित किराए के बिल्डिंग से वहां शिफ्ट कर दिया जाएगा। मगर अब सरकार का रुख अचानक बदल गया है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि पहले से बन रहे भवन का क्या होगा।
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वहीं सरकार के इस फैसले से कांग्रेस के अंदर भी असहमति के स्वर तेज हो गए हैं। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में ठियोग से विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने राजधानी से दफ्तर शिफ्ट करने का खुला विरोध किया था। राठौर का तर्क था कि राजधानी में सचिवालय के पास से सरकारी कार्यालयों को हटाना प्रशासनिक दृष्टि से अव्यवहारिक होगा और इससे जनता को असुविधा होगी।
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बता दंे कि राज्य सरकार ने धर्मशाला में सूचना आयोग के लिए नई लोकेशन चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं, इस खबर के सामने आते ही सूचना आयोग के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। इनमें से अधिकांश आउटसोर्स कर्मचारी हैं, जो अब धर्मशाला ट्रांसफर की संभावना से चिंतित हैं।
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यह पहली बार नहीं है जब सीएम सुक्खू ने किसी बड़े विभाग को धर्मशाला भेजने का निर्णय लिया हो। इससे पहले सरकार वन्य प्राणी विंग कार्यालय और हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) को शिमला से धर्मशाला स्थानांतरित कर चुकी है। इसके अलावा 31 मई 2025 की कैबिनेट मीटिंग में रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (RERA) को भी धर्मशाला स्थानांतरित करने की मंजूरी दी जा चुकी है। सरकार अब कुछ अन्य विभागों को भी शिमला से बाहर ले जाने की दिशा में विचार कर रही है, ताकि शिमला में बढ़ते ट्रैफिक और जनसंख्या दबाव को कम किया जा सके।
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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने तर्क में कहा है कि शिमला शहर पर बढ़ते दबाव को कम करना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि शिमला में ट्रैफिक की स्थिति गंभीर है। वीआईपी मूवमेंट के दौरान सर्कुलर रोड पर 1.5 किलोमीटर तक जाम लग जाता है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। सुबह ऑफिस टाइम में चार किलोमीटर का सफर तय करने में एक घंटा लग जाता है। इसलिए सरकार उन विभागों को शिफ्ट करने पर विचार कर रही है जिनके लिए धर्मशाला या अन्य स्थानों पर पर्याप्त जगह उपलब्ध है।
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राजनीतिज्ञों का मानना है कि सीएम सुक्खू का यह कदम केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी है। धर्मशाला को विंटर कैपिटल घोषित किए जाने के बाद वहां लगातार विभागों को स्थानांतरित करने से कांगड़ा क्षेत्र को सशक्त राजनीतिक संदेश जा रहा है। इससे सुक्खू सरकार एक ओर क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर अपने विरोधियों को यह संदेश दे रही है कि प्रशासनिक विकेंद्रीकरण उसकी प्राथमिकता में है।