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September 5, 2025
युवक के लिए NHAI-प्रशासन ने झोंकी ताकत, 40 मशीनों से खोला NH; 3 घंटे में कुल्लू से AIIMS पहुंचाया
32 साल के घायल युवक की जान बचाने में जुट गई कायनात मशीनों ने मलबे में बना दिया रास्ता
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कुल्लू/मंडी। पहाड़ों की ज़िंदगी जितनी खूबसूरत है, उतनी ही कठिन भी। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के अखाड़ा बाजार में हाल ही में हुए दर्दनाक भूस्खलन हादसे ने इसकी एक और बानगी पेश की। तीन घरों को निगल चुका यह भूस्खलन अब तक कई जिंदगियों को लील चुका है, वहीं मलबे में दबे लोगों को निकालने का प्रयास भी जारी है। लेकिन इस भीषण त्रासदी के बीच जो मिसाल पेश की गई, वह आने वाले वर्षों तक याद रखी जाएगी।
इस दर्दनाक मंजर में मलबे से बुरी तरह घायल अवस्था में निकाले गए 32 वर्षीय अभिनव सांख्यान को बचाने के लिए प्रशासन, एनएचएआई, पुलिस और चिकित्सा संस्थानों ने जिस तरह जान की बाजी लगाई, उसे देख यही कहा जा सकता है कि एक जान बचाने के लिए मानो पूरी कायनात एक साथ जुट गई।
गुरुवार सुबह कुल्लू के अखाड़ा बाजार में जबरदस्त भूस्खलन हुआ, जिसमें तीन घर पूरी तरह तबाह हो गए। इस हादसे में 10 लोग मलबे में दब गए। एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमों ने मौके पर पहुंच कर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। गंभीर रूप से घायल युवक अभिनव सांख्यान को बमुश्किल मलबे से बाहर निकाला गया। कुल्लू अस्पताल के डॉक्टरों ने प्राथमिक जांच के बाद अभिनव की हालत को देखते हुए उन्हें एम्स बिलासपुर रेफर करने का निर्णय लिया। लेकिन असली चुनौती इसके बाद शुरू हुई।
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अभिनव को एयरलिफ्ट कर एम्स ले जाने की योजना बनाई गई, लेकिन खराब मौसम के चलते हेलिकॉप्टर सेवा संभव नहीं हो पाई। अब इकलौता विकल्प था दृ सड़क मार्ग। लेकिन कुल्लू से बिलासपुर तक का नेशनल हाईवे कई जगहों पर बंद पड़ा था। विशेष रूप से मंडी जिले में औट, झलोगी, दवाड़ा और पंडोह के बीच लैंडस्लाइड ने सड़कों को मलबे में दफना दिया था। यहां से शुरू होती है एक जज़्बे और मानवीय संकल्प की कहानी, जिसने एक जिंदगी को बचाने के लिए असंभव को संभव बना दिया।
जैसे ही एनएचएआई (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) को मरीज को एम्स पहुंचाने का निर्देश मिला, प्रोजेक्ट डायरेक्टर वरुण चारी ने मोर्चा संभाल लिया। कुल्लू से बिलासपुर तक के पूरे फोरलेन मार्ग पर 40 हैवी मशीनें बंद एनएच को बहाल करने में लगा दी। इन मशीन ऑपरेटरों ने भी जान की परवाह किए बिना भारी बारिश के बीच सड़क को बहाल करने में मदद की।
वहीं दूसरी तरफ प्रशासन और पुलिस ने भी 2 एंबुलेंस को बिना किसी रूकावट के एम्स पहुंचाने के लिए एक एस्कार्ट गाड़ी दी यह एस्कार्ट गाड़ी एंबुलेंस के साथ चलती गई। इस दौरान एनएचएआई जिला प्रशासन और पुलिस की मदद से हर वह रास्ता जहां से एंबुलेंस गुजरी, उसे ग्रीन कोरिडोर बना दिया गया।
जहां ज़रूरत थी, वहां मलबा हटाने का काम युद्ध स्तर पर शुरू हुआ। कई स्थानों पर मलबा हटाते समय ऊपर से पत्थर गिरने लगे। दो मशीनों पर तो पत्थर गिरे भी, लेकिन सौभाग्य से कोई हताहत नहीं हुआ। किसी ने नहीं सोचा था कि इतने कम समय में इतना बड़ा ऑपरेशन सफल हो पाएगा, लेकिन टीमों ने जान जोखिम में डालकर रिकॉर्ड 3 घंटे में मार्ग बहाल कर दिया।
कुल्लू से दोपहर 2 बजे एम्बुलेंस में रवाना हुए अभिनव को पुलिस पायलट व्हीकल की सहायता से शाम 5 बजे एम्स बिलासपुर पहुंचा दिया गया। अगर एक पल की भी देरी होती, तो नतीजा कुछ और हो सकता था। पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी लगातार पूरे ऑपरेशन पर नजर रखी और समय.समय पर प्रशासन, एम्स और एनएचएआई से संपर्क बनाए रखा। उन्होंने इस अद्भुत समन्वय और साहसिक कार्य के लिए सभी संबंधित एजेंसियों को बधाई दी और अभिनव के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की।
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अभिनव की मौसी डिम्पल शर्मा ने कहा कि हमारे लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। प्रशासन, एनएचएआई और एम्बुलेंस टीम ने जैसे प्रयास किए, वह अमूल्य हैं। एनएचएआई अगर समय पर सड़क को नहीं खोलती, तो हम आज ये बात शायद नहीं कह पा रहे होते।
गौरतलब है कि मंडी जिले के औट से लेकर पंडोह तक का चंडीगढ़.मनाली नेशनल हाईवे वर्तमान में अत्यंत दयनीय हालत में है। लगातार बारिश, लैंडस्लाइड और चट्टानों के खिसकने से कई हिस्से बंद हैं। लेकिन एक मरीज के लिए, एक जिंदगी के लिए, जिस तरह से एनएचएआई ने जोखिम उठाकर रास्ता खोला, वह इंसानियत और सेवाभाव की बेमिसाल मिसाल है।
जहां एक ओर अभिनव को बचाने की ये संघर्षगाथा सभी के लिए प्रेरणा बन गई है, वहीं दूसरी ओर अखाड़ा बाजार में लैंडस्लाइड के बाद का मंजर अब भी डरावना है। अब तक 10 लोग मलबे में दबे पाए गए, जिनमें से 4 को जीवित निकाला गया, लेकिन दुर्भाग्यवश एक व्यक्ति की इलाज के दौरान मौत हो गई। 6 लोग अभी भी मलबे के नीचे दबे हैंए और राहत एवं बचाव कार्य लगातार जारी है।
इस पूरी घटना ने यह दिखा दिया कि जब प्रशासन, संस्थाएं, और समाज एकसाथ खड़े होते हैंए तो किसी एक की जान बचाना भी एक राष्ट्रीय संकल्प बन सकता है। अभिनव को बचाने के लिए सिर्फ मशीनें नहीं, बल्कि इंसानियत, संवेदनशीलता और अद्भुत समर्पण काम कर रहा था। यह सिर्फ एक रेस्क्यू नहीं था कृ यह एक संदेश थाए कि जब जीवन की बात हो, तो इंसानियत किसी भी चुनौती से बड़ी हो जाती है।