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September 5, 2025

हिमाचल में आपदा को देख देवी देवता भी दुखी - निवारण के लिए अपने दर पर बुलाई शक्तियां

रात को देवता की जाग का आयोजन होगा

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Himachal Devi Devta

मंडी। देवभूमि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं से जहां आमजन प्रभावित हो रहा है, वहीं यहां के देवी-देवता भी आहत माने जा रहे हैं। प्रदेश की जनता का आस्था और विश्वास देवी-देवताओं पर इतना गहरा है कि जब भी प्रदेश किसी बड़ी विपत्ति या आपदा से गुजरता है, तो देवता अपनी देव-नीति के अनुसार अनुष्ठान कर समाधान का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

आपदा को देख देवी देवता भी दुखी 

इसी परंपरा के अंतर्गत अब मंडी जनपद और मंडी रियासत के कुल देवता ऋषि पराशर ने भी आपदा निवारण की प्रक्रिया शुरू की है। ऋषि पराशर के पुजारी तीर्थ राज ठाकुर ने जानकारी दी कि देव पराशर के विशेष निमंत्रण पर इलाका स्नोर ज्वालापुर के प्रमुख देवता श्री देव बरनाग को बुलावा भेजा गया है।

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देव बरनाग को भेजा गया बुलावा

परंपरा के अनुसार, देव बरनाग 5 सितंबर (21 भादों) को पराशर महाराज की बांहदी स्थित मूल कोठी, यानी भंडार में पहुंचेंगे। उसी रात को देवता की जाग का आयोजन होगा। इसके बाद 6 सितंबर को पराशर महाराज की मूल कोठी में देव बरनाग की मौजूदगी में विशेष अनुष्ठान किया जाएगा।

संकटमोचक हैं देव बरनाग

इतिहास और लोक परंपराओं में देव बरनाग को ऋषि पराशर का संकट मोचक माना जाता है। रियासत काल में जब भी मंडी रियासत पर कोई संकट आया, तो पराशर महाराज के आदेश पर देव बरनाग ने उसका निवारण किया।

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यही नहीं, हाल के वर्षों में भी जब कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया था, तब भी देव बरनाग ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि यदि ऋषि पराशर का आदेश मिलेगा, तो वह मंडी में जाकर देव रीति-नीति के अनुसार इसका निवारण करेंगे। हालांकि उस समय की परिस्थितियों और कानूनी दृष्टिकोण के चलते पराशर महाराज ने अनुमति नहीं दी थी।

मंडी और सुकेत रियासतों के बड़ादेव

गौरतलब है कि मंडी रियासत में ऋषि पराशर और सुकेत रियासत में देव कमरूनाग को बड़ादेव का दर्जा प्राप्त है। ऋषि पराशर न केवल मंडी राजघराने के कुल देवता हैं, बल्कि रियासत और क्षेत्र की सुरक्षा का दायित्व भी आज तक निभाते आ रहे हैं। वर्तमान प्राकृतिक आपदा में भी इन्हीं परंपराओं के अनुरूप देव रीति-नीति से समाधान की कोशिश की जा रही है।

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