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December 4, 2025
वित्तीय संकट के बीच CM सुक्खू के सलाहकारों की मौज: वेतन-भत्तों की लिस्ट सामने आई
सीएम सुक्खू ने खड़ी की है सलाहकारों की फौज
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शिमला। हिमाचल प्रदेश पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, बावजूद इसके मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने ऑफिस में सलाहकारों की एक बड़ी फौज तैनात कर रखी है। इन सलाहकारों पर हर माह लाखों का खर्च किया जा रहा है। जिस पर अब विपक्ष ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। विपक्ष का आरोप है कि एक तरफ सुक्खू सरकार लगातार बढ़ते कर्ज़ और वित्तीय दबाव का रोना रोती है, वहीं दूसरी तरफ सीएम सुक्खू के सलाहकारों पर भारी-भरकम वेतन, भत्ते और विदेशी दौरों का खर्च सरकारी खजाने से वहन हो रहा है।
दरअसल हिमाचल प्रदेश विधानसभा के विंटर सेशन में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के कार्यालय से जुड़े खर्चों पर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। भाजपा विधायकों सुधीर शर्मा और आशीष शर्मा द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में यह खुलासा हुआ कि सीएम ऑफिस में 5 सलाहकार तैनात हैं, जिनको प्रतिमाह अढ़ाई लाख वेतन के अलावा भत्तों पर भी लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
सरकार ने स्वीकार किया कि सलाहकार जो भी सुझाव देते हैं, वे लिखित नहीं बल्कि मौखिक होते हैं, यानी इनकी सलाहों का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद इन्हें वेतन, मेडिकल सुविधा, यात्रा भत्ता, वाहन सुविधा और विदेशी दौरों का लाभ दिया जा रहा है।
वेतन: ₹2.5 लाख प्रति माह
मेडिकल रिंबर्समेंट: तीन साल में ₹1.03 लाख
सुविधा: मेडिकल, यात्रा भत्ता, वाहन
दौरे: चंडीगढ़, दिल्ली, गुवाहाटी, इंफाल, कालीकट
कुल खर्च: ₹8.22 लाख
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वेतन: ₹2.5 लाख प्रति माह
आवास भत्ता: ₹20,000 प्रति माह
अन्य सुविधाएँ: यात्रा भत्ता, वाहन
दौरे पर खर्च: ₹92,000
वेतन: ₹2.31 लाख प्रति माह
मेडिकल रिंबर्समेंट: ₹29,302
दौरों पर कोई खर्च दर्ज नहीं
वेतन: ₹1.5 लाख प्रति माह
मेडिकल रिंबर्समेंट: ₹63,466
सुविधाएँ: यात्रा भत्ता, वाहन
दौरे पर कुल खर्च: ₹4.95 लाख
वेतन: ₹1 (टोकन मनी)
दौरे: चंडीगढ़, स्पेन, बार्सिलोना
कुल खर्च: ₹8.92 लाख
खर्च वहन: एचपी सोसायटी फॉर प्रमोशन ऑफ आईटी एंड ई-गवर्नेंस
भाजपा विधायकों ने सवाल उठाया कि जब प्रदेश ओपीएस और कर्ज़ के दबाव से जूझ रहा है, जब सरकार केंद्र से राहत और विशेष पैकेज की मांग कर रही है, ऐसे समय में करोड़ों की लागत वाली सलाहकार प्रणाली किस जरूरत के लिए चलाई जा रही है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही है और दूसरी ओर अपने सलाहकारों पर ऐशो.आराम के खर्च कर रही है।
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सरकार का कहना है कि सलाहकार विशेषज्ञता के आधार पर नियुक्त किए गए हैं और राज्य के विकास के लिए आवश्यक हैं। हालांकि, लिखित सलाह नहीं होने और विदेशी दौरों के खर्च को लेकर सरकार घिरती दिख रही है।