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July 13, 2025

हिमाचल: सेब से लदे सैंकड़ों पेड़ों पर चली आरी, लोगों में आक्रोश; बोले- 10 दिन में होना था तुड़ान

ग्रामीणों ने पूछा पेड़ काटना कहां तक उचित, अपने अधीन ले लेती सरकार

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Himachal apple tree

शिमला। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में प्रशासन और वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 320 से अधिक फलदार पौधों को काट कर गिरा दिया। यह कार्रवाई कोटखाई उपमंडल के चैथला गांव में वर्षों से विवादित पड़ी 275 बीघा वन भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने को लेकर शनिवार को शुरू की। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के तहत शुरू की गई इस कार्रवाई में दो दिनों में करीब 320 सेब, नाशपाती और चेरी जैसे फलदार पेड़ काट दिए गए। यह कार्रवाई आगामी दिनों में जारी रहेगी और इसके तहत 3800 से अधिक पेड़ों को काटा जाएगा। 

हाईकोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई

इस कार्रवाई की अगुवाई एसडीएम कोटखाई मोहन शर्मा ने की, जिसमें वन विभाग के अलावा पुलिस के आला अधिकारी भी मौजूद रहे। इस मौके पर किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए रिजर्व फोर्स भी तैनात की गई थी । प्रशासन और वन विभाग ने भले ही यह कार्रवाई हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश पर की हो, लेकिन स्थानीय लोगों में इसके प्रति गहरा रोष है। लोगों का कहना है कि 10 दिन में सेब नाशपति का तुड़ान होना था, और उससे पहले ही प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए सैंकड़ों क्विंटल सेब की फसल को नष्ट कर दिया।

 

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फलों से लदे पेड़ों को काटना कहां तक उचित ?

ग्रामीणों का कहना था काटे गए अधिकतर पेड़ सेब नाशपति सहित अन्य फलों से पूरी तरह से लदे हुए थे। इन पेड़ों पर कई क्विंटल फल लगे हुए थे, जिनका अगले 10 से 15 दिनों में सेब नाशपति का तुड़ान भी हो जाना था। लेकिन विभाग ने इससे पहले ही पेड़ों को काट दिया और फलों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। ग्रामीणों ने रोष जताते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे हिमाचल में क्या सिर्फ पेड़ों को काटना ही आखिरी विकल्प था। 

 

 

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सरकार खोज सकती थी दूसरा विकल्प

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार चाहती तो इन पेड़ों को अपने अधीन लेकर एचपीएमसी के माध्यम से फसल बेच सकती थी, जिससे राजस्व भी आता और पेड़ भी सुरक्षित रहते। उनका आरोप है कि सरकार ने हाईकोर्ट में दूसरा विकल्प पेश नहीं किया, ना ही सरकार ने कोई वैकल्पिक समाधान खोजा। सबसे बड़ा कि सरकार और प्रशासन ने बागवानों को कोई मोहलत भी नहीं दी और सीधे हाईकोर्ट के आदेश पर पेड़ों पर आरी चला दी।

 

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क्षेत्र में तनाव का माहौल

इस कार्रवाई को लेकर अब पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल है। कानून.व्यवस्था बनाए रखने के लिए कोटखाई विकास भवन में अतिरिक्त फोर्स तैनात की गई है। साथ ही 11 से 18 जुलाई तक चैथला गांव में सभी तरह के हथियारों पर रोक लगा दी गई है। जो लोग लाइसेंसी हथियार रखते हैं, उन्हें 12 जुलाई तक स्थानीय थाना में जमा करवाना अनिवार्य किया गया है।


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जुब्बल रोहड़ू में भी कटेंगे 3800 पेड़

बताया जा रहा है कि प्रशासन ने साफ किया है कि आने वाले दिनों में जुब्बल और रोहड़ू जैसे क्षेत्रों में भी इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान वन भूमि को उसके मूल स्वरूप में बहाल करना सरकार की प्राथमिकता है और भविष्य में भी इस तरह के अवैध कब्जों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे। आने वाले दिनों में 3800 से अधिक पेड़ों को वन भूमि से काटा जाएगा।

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विशेषज्ञों की चेतावनी, भूस्खलन बाढ़ का बढ़ेगा खतरा

पर्यावरणविदों और स्थानीय प्रतिनिधियों का तर्क है कि पेड़ न केवल फल देने के लिए बल्कि मिट्टी को थामने और जलप्रवाह नियंत्रित करने जैसे अनेक पर्यावरणीय कार्यों में सहायक होते हैं। मानसून के इस संवेदनशील समय में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई को वे हिमाचल की पारिस्थितिकी के लिए एक गंभीर खतरा मान रहे हैं। पेड़ों के कटने से जल बहाव बढ़ेगा और भूस्खलन जैसी आपदाएं और गंभीर हो सकती हैं।

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