#विविध

July 13, 2025

हिमाचल आपदा- 13 दिन बाद भी नहीं मिल पाए अपने, परिजनों ने सिसकियों के साथ किया क्रियाकर्म

परिवारों का मिटा नामोनिशान, पूरे गांव में पसरा मातम और सन्नाटा

शेयर करें:

Mandi Cloud Burst

मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की खूबसूरत सराज घाटी को इस बार की बरसात कभी ना भूलने वाली गम दे गई है। 30 जून की रात को जो आपदा सराज घाटी में आई- उसने ना सिर्फ हिमाचल बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस त्रासदी में कई परिवार पूरी तरह उजड़ गए हैं।

लापता लोगों का क्रियाकर्म

आपदा को हुए 13 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी कई लोदगों मलबे में दफन हैं। लापता लोगों का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में लापता लोगों के परिजनों ने बीते कल उनका क्रिया कर्म कर उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना की।

यह भी पढ़ें : हिमाचल : घर में झाड़ू लगा रही थी महिला, ऊपर गिर गया विशालकाय पीपल का पेड़- निकले प्राण

पूरे परिवार का मिटा नामोनिशान

 

इस आपदा ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया है। आपदा में सराज के देजी गांव और बाखली खड्ड ने कई परिवारों का नामोनिशान ही मिटा दिया। जबकि, किसी के पत्नी, बच्चे, माता-पिता और घर सब मलबे के सैलाब में बह गए।

बाढ़ ने मचा दी तबाही

बाखली खड्ड में आई बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई कि मलबे के सैलाब ने लोगों को संभलने का मौका ही नहीं दिया। इस तबाही में 23 लोग लापता हो गए, जबकि कई लोगों की लाशें मिली हैं। लापता लोगों में-

  • देजी पखरैर- 11
  • थुनाग बाजार- 4
  • पांडव शीला- 2
  • तलवाड़ा- 2
  • रोपा-2
  • लंबाथाच- 2

यह भी पढ़ें : हिमाचल : लाडले ने दुनिया को कहा अलविदा, परिवार ने अंगदान कर 3 लोगों को दिया नया जीवन

आत्मा को मिले शांति

 

लापता लोगों के परिजनों ने हिंदू परंपरा के अनुसार पिंडदान और श्राद्ध किया। गांव के हर आदमी की आंखों में आंसु थे। आंसुओं और सिसकियों के बीच लोगों ने अपनों को याद किया और उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए उनके पिंडदान किए।

पिंडदान और श्राद्ध हुआ

पिंडदान और श्राद्ध के दौरान पड़ोसी गांव के लोग भी पीड़ित लोगों का ढांढस बांधने पहुंचे। लोगों ने नम आखों से लापता लोगों का क्रियाकर्म  किया। परिवारों का कहना है कि हमें तो आखिरी बार अपने परिजनों को जीभर कर देखने तक का मौका नहीं मिला है। कर्मकांड कर हम बस उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना कर रहे हैं।

  • पायला में देजी पखरैर के गोकुल चंद, डोलमा देवी, भुवनेश्वरी देवी, उर्वशी और सुर्यांश का पिंडदान और श्राद्ध हुआ। 
  • कांता देवी और उनकी बेटियों- एकता, दिवांशी और कामाक्षी का कुटेड़ में क्रिया कर्म किया गया।
  • बालो देवी का रकचुई में क्रियाक्रम किया गया।
  • घियारधार में थुनाग के स्वर्ण सिंह, मथरा, मोनिका और अरुण का श्राद्ध और भोज हुआ।
  • रूशाड़ में पांडव शीला के वीरेंद्र व रोशन का कर्मकांड हुआ।
  • तलवाड़ा की राधा और पूर्णू देवी का तलवाड़ा में कर्मकांड हुआ।
  • रोपा के त्रिलोक का रोपा में ही कर्मकांड हुआ।

यह भी पढ़ें : सुक्खू सरकार ने नया सिस्टम किया लागू, अब सिर्फ इन कर्मचारियों को मिलेगा गजेटेड अफसर का दर्जा

पूरा गांव में पसरा मातम

विदित रहे कि, डेजी गांव में फिलहाल बारिश थम चुकी है, लेकिन गांवों में पसरा सन्नाटा व मातम और हर चेहरे पर फैला ग़म इस बात की गवाही दे रहा है कि इस आपदा ने सिर्फ मिट्टी और पत्थर ही नहीं, बल्कि इंसानों के अरमान, रिश्ते और भविष्य सब कुछ बहा दिए।

कई लोगों का उजड़ा संसार

सराज की पखरैर पंचायत का देजी गांव अब वीरान हो चुका है। कभी यहां हंसी-ठिठोली से गुलजार रहने वाले 35 लोगों का परिवार अब 11 अपनों की असमय विदाई का ग़म झेल रहा है। इनमें से 9 लोग एक ही परिवार से थे, जिन्हें बाढ़ ने चंद मिनटों में निगल लिया। घरों की जगह अब सिर्फ मलबा और बिखरी यादें बची हैं।

यह भी पढ़ें : हिमाचल : उफनती नदी में गिरी कार, पानी के तेज बहाव में बह गया बच्चा- 2 ने मौके पर तोड़ा दम

पत्नी-3 बेटियां बही

इंद्र सिंह उन लोगों में से एक हैं जिनकी पूरी दुनिया उजड़ गई। पत्नी भुवनेश्वरी और तीन बेटियां- एकता, दिवांशी और कामाक्षी सब की सब उस रात अपने ही घर में बह गईं। इंद्र अब उस जगह को देखना भी नहीं चाहता जहां कभी उसका आशियाना था। दुख इतना गहरा है कि शब्द भी उसके सामने फीके लगते हैं। वह अब ज्यूणी वैली में अपने भाई के पास शरण लिए हुए है। इंद्र ने बताया कि बाढ़ ने संभलने का मौका ही नहीं दिया और चंद मिनटों में उसका संसार उजड़ गया।  

बच्चों से हुई थी फोन पर बात

मुकेश की कहानी भी कम मार्मिक नहीं है। बेटी की सलाह मानकर वह उस रात घर नहीं गया, बस एक आखिरी बार फोन पर बात हुई थी। लेकिन जब तक वह लौटता, सब कुछ खत्म हो चुका था। उसकी जुड़वां बेटियां सुभांशी और उर्वशी, और आठ साल का बेटा सुरांश- सभी काल के गाल में समा चुके थे। अब वह अपने भाई के साथ रह रहा है, लेकिन अंदर से टूट चुका है।

यह भी पढ़ें : सावधान हिमाचल ! अगले पांच दिन तक जमकर होगी बारिश, आज अलर्ट पर हैं चार जिले

खालीपन, बेबसी और लंबा संघर्ष

सराज घाटी के गांवों में अब न चूल्हे जलते हैं, न ही बच्चों की किलकारियां सुनाई देती हैं। समय के साथ मलबा हट जाएगा, रास्ते बहाल हो जाएंगे, लेकिन जो खालीपन इन परिवारों में घर कर चुका है, उसे भरने में शायद पूरी उम्र लग जाए।

नोट : ऐसी ही तेज़, सटीक और ज़मीनी खबरों से जुड़े रहने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें।

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख