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September 1, 2025
हिमाचल प्रदेश आपदा प्रभावित राज्य घोषित, सीएम सुक्खू ने सदन में की घोषणा
इस मानसून सीजन 320 लोगों की गई जान, 3 हजार करोड़ का हुआ नुकसान
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश और भूस्खलनों से मचे हाहाकार के बीच राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विधानसभा में घोषणा करते हुए हिमाचल को आपदा प्रभावित राज्य घोषित कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बरसात थमने के बाद यह अधिसूचना वापस लेने पर विचार किया जाएगा। स्थिति को देखते हुए आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू किया है। सीएम सुक्खू ने कहा कि आपदा प्रभावितों के राहत एवं पुनर्वासन के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
सीएम ने कहा कि इस बार का मानसून प्रदेश के लिए विनाशकारी साबित हुआ है, जिसमें जान-माल दोनों का भारी नुकसान हुआ है। मानसून शुरू होते ही कई जिलों में बादल फटने, अचानक आई बाढ़ और पहाड़ी दरकने की घटनाओं ने लोगों की जिंदगी अस्त-व्यस्त कर दी। राहत और बचाव दलों को युद्धस्तर पर लगाया गया, वहीं सड़क मार्ग, पेयजल योजनाओं और बिजली आपूर्ति की बहाली के लिए दिन-रात काम किया गया।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि 21 अगस्त से एक बार फिर मानसून सक्रिय हुआ और तभी से प्रदेश में हालात लगातार बिगड़ते चले गए। सिर्फ 10 दिनों में ही चंबा, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, मंडी, शिमला, कांगड़ा और हमीरपुर जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। इन इलाकों में लगातार भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने जनजीवन ठप कर दिया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस मानसून सीजन में अब तक 3,056 करोड़ रुपए का प्रारंभिक नुकसान दर्ज किया जा चुका है। कई सड़कें, पुल, भवन, कृषि भूमि और बाग-बगीचे तबाह हो गए हैं। कई स्थानों पर लोगों को अपने घर छोड़ने तक को मजबूर होना पड़ा।
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प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि सभी प्रभावित जिलों में राहत और पुनर्वास कार्य तेज़ी से चल रहे हैं। प्रशासन ने बिजली, पानी और यातायात जैसी मूलभूत सेवाओं को बहाल करने में पूरी ताकत झोंक दी है। इसके अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार फील्ड पर तैनात हैं।
भारत सरकार ने 2005 में Disaster Management Act बनाया था, जिसके तहत हर राज्य में State Disaster Management Authority (SDMA) की स्थापना जरूरी है। इसका नेतृत्व मुख्यमंत्री करते हैं। इसी अधिनियम के अंतर्गत राज्यों को State Disaster Response Fund (SDRF) बनाने की शर्त है। हिमाचल भी इसी प्रावधान के तहत आता है।
इस कानून के मुताबिक, राज्य सरकारें अपने स्थानीय हालात और विशेष परिस्थितियों के आधार पर ऐसी आपदा घोषित कर सकती हैं, जो राष्ट्रीय आपदाओं की सूची में शामिल न हो, लेकिन विनाशकारी असर डाल रही हो।
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स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट तब लागू होता है जब किसी राज्य में प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा की स्थिति उत्पन्न होती है। प्रदेश में इस बार भारी बारिश ने कहर मचा रखा है। राज्य में इस बार सामान्य से 35 प्रतिशत और अगस्त में नॉर्मल से 68 प्रतिशत ज्यादा बारिश हो चुकी है। इससे जान और माल दोनों को नुकसान हो रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।
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नकदी सहायता: प्रभावित परिवारों को तत्काल ₹50,000 तक की मदद।
किराया सहायता: शहरी क्षेत्र में ₹10,000/महीना और ग्रामीण क्षेत्र में ₹5,000/महीना (सीमित अवधि के लिए)।
वस्तु सहायता: मुफ्त राशन, LPG, बर्तन और बिस्तर।
पुनर्वास कार्य: रिटेनिंग वॉल, नालों का तटीकरण (VDF), मनरेगा आधारित व्यक्तिगत कार्य।
ऋण राहत: किसानों और प्रभावित परिवारों के कर्ज की पुनर्संरचना।
विशेष मदद: “Child of State” जैसी योजनाओं के माध्यम से बच्चियों और अनाथ बच्चों को सहायता।
सीएम सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि आपदा से प्रभावित हर परिवार तक तत्काल राहत पहुंचाई जाए। SDRF के माध्यम से न केवल नकदी और वस्तु सहायता दी जाएगी बल्कि पुनर्वास और सामाजिक सुरक्षा के विशेष उपाय भी लागू किए जाएंगे।
सीएम सुक्खू ने कहा कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य के लिए इतनी बड़ी तबाही से निपटना आसान नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार से भी विशेष राहत पैकेज की उम्मीद जताई है ताकि प्रभावित परिवारों को उचित मदद पहुंचाई जा सके।