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October 9, 2025
हिमाचल : करवाचौथ से एक दिन पहले परिवार ने खोई जवान बेटी, अस्पताल में समय पर नहीं मिला इलाज
अस्पताल में नहीं थे प्लेटलेट्स चढ़ाने की सुविधा
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ऊना। हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य ढांचे की हकीकत एक बार फिर दर्दनाक हादसे के रूप में सामने आई है। सरकारों के करोड़ों के दावों और उद्घाटनों के बावजूद धरातल पर हालात इतने बदतर हैं कि एक युवा जिंदगी सिस्टम की लापरवाही की भेंट चढ़ गई।
संतोषगढ़ की 24 वर्षीय युवती पूनम की डेंगू से मौत ने न सिर्फ जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी उजागर कर दिया है कि ऊना जिला आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहा है।
जानकारी के मुताबिक, पूनम बीती 4 अक्तूबर को तेज बुखार की शिकायत लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, CHC संतोषगढ़ पहुंची थी। यहां रैपिड डायग्नोज टेस्ट में वह प्रारंभिक रूप से डेंगू पॉजिटिव पाई गई।
हालत लगातार बिगड़ने और प्लेटलेट्स की संख्या गिरने पर डॉक्टरों ने उसे क्षेत्रीय अस्पताल ऊना रेफर कर दिया। मगर दुर्भाग्यवश, यहां प्लेटलेट चढ़ाने की सुविधा ही उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में चिकित्सकों को उसे पीजीआई चंडीगढ़ भेजना पड़ा, जहां उपचार के दौरान सोमवार देर रात उसकी मौत हो गई।
इस घटना ने न केवल स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जिला स्तर पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव किसी बड़ी त्रासदी का कारण बन सकता है। संतोषगढ़ में हाल ही में 40 से अधिक लोग रैपिड टेस्ट में डेंगू पॉजिटिव पाए गए थे, लेकिन फिर भी प्रशासन समय रहते सक्रिय नहीं हुआ।
बुधवार को युवती की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने संतोषगढ़ क्षेत्र का दौरा किया। नोडल अधिकारी (जलजनित रोग) डॉ. विशाल ठाकुर ने बताया कि वर्तमान में क्षेत्रीय अस्पताल में केवल एलाइजा टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है, जबकि प्लेटलेट चढ़ाने की कोई व्यवस्था नहीं है।
उन्होंने कहा कि डेंगू से बचाव के लिए नगर परिषद को लगातार फॉगिंग अभियान चलाने और प्रभावित वार्डों में दो बार फॉगिंग करने के निर्देश दिए गए हैं। बुधवार को नगर परिषद कार्यालय में हुई संयुक्त बैठक में स्वास्थ्य विभाग, नगर परिषद और जन शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने डेंगू नियंत्रण के लिए दो सप्ताह का रोडमैप तैयार किया।
तय किया गया कि फॉगिंग के साथ-साथ घर-घर जागरूकता अभियान, पंपलेट्स वितरण और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लोगों को साफ-सफाई और मच्छरों से बचाव के उपाय बताए जाएंगे।
फिलहाल, संतोषगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में डेंगू के 54 मामले सामने आ चुके हैं। बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है, लेकिन यह सवाल अब भी जस का तस है कि आखिर ऊना जिला कब तक प्लेटलेट मशीन और अन्य बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहेगा? और कब तक लोगों को इस तरह की लापरवाही की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ेगी?
डेंगू के लक्षण आम बुखार जैसे लग सकते हैं, लेकिन कुछ दिनों में यह गंभीर रूप ले सकता है। यहां देखें डेंगू के मुख्य लक्ष्ण-