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June 21, 2025

हिमाचल : महिला ने अस्पताल पर लगाए जुड़वां नवजातों को दफनाने के आरोप, CCTV में खुली सारी पोल

महिला के परिजनों ने जमकर किया हंगामा

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Fake Pregnancy Case

शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां कमला नेहरू मातृ-शीशु अस्पताल प्रशासन पर एक महिला ने गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला का कहना है कि अस्पताल प्रशासन ने उसके नवजात जुड़वां बच्चों को बिना उसकी अनुमति के दफना दिया है।

अस्पताल पर लगे गंभीर आरोप

इस खबर के फैलते ही अस्पताल परिसर में हंगामा मच गया। इतना ही नहीं मामला मीडिया और पुलिस तक पहुंच गया और अस्पताल सवालों के घेरे में आ गया। मगर जब मामले की गहनता से जांच की गई-तो सच का खुलासा हुआ।

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दफना दिए जुड़वां बच्चे

यह हैरान कर देने वाला मामला बीते कल सामने आया, जिसने अस्पताल प्रशासन से लेकर आम जनता तक को असमंजस में डाल दिया। दरअसल, मंडी जिला के करसोग उपमंडल के नेरी गांव से आई एक महिला और उसके पति ने अस्पताल प्रशासन पर बेहद गंभीर आरोप लगाए कि उनकी जुड़वां संतान की डिलीवरी के बाद बिना जानकारी के बच्चों को दफना दिया गया।

परिजनों ने किया जमकर हंगामा

यह खबर अस्पताल परिसर में तेजी से फैली और देखते ही देखते मीडिया तक पहुंच गई। आरोपों के बाद अस्पताल के बाहर परिजनों ने जमकर हंगामा किया और डॉक्टरों पर गैरजिम्मेदारी, लापरवाही और दस्तावेजों को छिपाने जैसे गंभीर आरोप लगाए।

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दोनों नवजातों की हुई मौत

महिला निर्मला और उसके पति तेजेंद्र ने दावा किया कि डिलीवरी अस्पताल के लेबर रूम में हुई थी और दोनों नवजातों की मौत हो गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों की तस्वीरें उन्हें दिखाई गई थीं लेकिन बाद में डॉक्टरों ने मोबाइल से वे तस्वीरें डिलीट कर दीं। सास और अन्य रिश्तेदारों ने आरोप लगाया कि न तो बच्चों के शव उन्हें सौंपे गए, और न ही कोई कागजी कार्यवाही की गई।

ऐसे हुआ सच का खुलासा

हालात तब बदले जब अस्पताल प्रशासन ने पुलिस के साथ मिलकर मामले की तह तक जाने की कोशिश की। सबसे पहले अस्पताल के CCTV फुटेज खंगाले गए, जिसमें एक बड़ा खुलासा हुआ।

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CCTV में दिखे पति-पत्नी

CCTV में साफ दिखा कि निर्मला और उसका पति शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे अस्पताल परिसर में पहुंचे और इधर-उधर घूमते रहे। न तो महिला किसी डॉक्टर के पास गई, न उसे किसी वार्ड में भर्ती किया गया और न ही वह लेबर रूम या ऑपरेशन थिएटर की ओर गई। बल्कि महिला सामान्य अवस्था में चलती दिखी और हाथ में भारी नीला बैग भी उठाए नजर आई-जो किसी गर्भवती महिला की शारीरिक स्थिति से मेल नहीं खाता।

महिला थी ही नहीं गर्भवती

कमला नेहरू अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. सुरेंद्र नेगी ने मामले की सच्चाई को सामने रखते हुए बताया कि शुक्रवार को अस्पताल में जुड़वां बच्चों की कोई डिलीवरी हुई ही नहीं। उन्होंने बताया कि महिला का प्रेगनेंसी टेस्ट (यूरिन बेस्ड) भी नेगेटिव आया है, जिससे यह साफ हुआ कि महिला गर्भवती ही नहीं थी।

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डॉ. नेगी ने यह भी जानकारी दी कि तेजेंद्र नामक व्यक्ति का अस्पताल में पहले से ही इनफर्टिलिटी (बांझपन) का इलाज चल रहा था। ऐसे में यह पूरा मामला मानसिक तनाव और गहरे भ्रम का परिणाम प्रतीत होता है।

दंपत्ति पर मानहानि का मुकदमा

डॉ. नेगी ने यह भी कहा कि यह सुनियोजित ढंग से अस्पताल को बदनाम करने की कोशिश हो सकती है और अब अस्पताल प्रशासन इस दंपत्ति के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने जा रहा है।

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गढ़ दी झूठी कहानी

जानकारी के अनुसार, पति-पत्नी लंबे समय से संतान की चाह में हैं और इस दौरान कई भावनात्मक दबावों से गुजर रहे हैं। माना जा रहा है कि यही मानसिक दबाव उन्हें इस हद तक ले आया कि उन्होंने पूरे अस्पताल तंत्र पर झूठा आरोप लगाकर एक कहानी गढ़ दी।

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