#अव्यवस्था
October 10, 2025
हिमाचल में ये क्या हो रहा ? जिस गलती के लिए सस्पेंड किया मास्टर- उसे अब विभाग ने खुद दोहराया
चेक के बाद गलतियों से भरा निलंबन आदेश वायरल
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सिरमौर। हिमाचल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था इन दिनों अभूतपूर्व विवादों के घेरे में है। सिरमौर जिले के रोनहाट स्कूल से जुड़ा एक साधारण-सा चेक, जिसने शुरुआत में एक शिक्षक की गलती को उजागर किया था, अब पूरे शिक्षा विभाग की प्रशासनिक कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
पिछले दो सप्ताह से यह मामला सोशल मीडिया से लेकर सरकारी गलियारों तक चर्चा का केंद्र बना हुआ है-और कारण हैं एक के बाद एक हुई लापरवाहियां। हिमाचल का यह चेक पूरे देश में वायरल हो रहा है और शिक्षा विभाग की काफी किरकरी हो रही है।
घटना 25 सितंबर की है, जब रोनहाट स्कूल के ड्राइंग मास्टर (DM) अतर सिंह ने स्कूल से जुड़ा एक चेक भरा। चेक में “Thousand”, “Hundred” और “Seven” जैसे शब्दों की स्पेलिंग गलत लिखी गईं। सबसे बड़ी चूक यह रही कि स्कूल के प्रधानाचार्य ने बिना जांच-पड़ताल किए उसी चेक पर हस्ताक्षर कर दिए और उसे बैंक भेज दिया।
बैंक ने 27 सितंबर को चेक यह टिप्पणी लिखकर लौटा दिया- “Unreadable” (पढ़ा नहीं जा सकता)। 28 सितंबर को यह चेक सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे पूरे प्रदेश में शिक्षा विभाग की भारी किरकिरी हुई।
विवाद गहराते ही शिक्षा निदेशक ने ड्राइंग मास्टर को शिमला मुख्यालय तलब किया। जांच में अतर सिंह ने स्वीकार किया कि चेक भरते वक्त उनका ध्यान भटक गया था। इसके बाद जिला सिरमौर एलीमेंट्री एजुकेशन के उपनिदेशक (DDEE) ने अतर सिंह को निलंबित करने के आदेश जारी किए और उनका मुख्यालय राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हरिपुरधार निर्धारित किया।
मगर यहीं से इस मामले ने नया मोड़ लिया। जिस निलंबन आदेश को शिक्षक की गलती सुधारने की कार्रवाई माना जा रहा था, उसमें खुद इतनी त्रुटियां थीं कि उसने शिक्षा विभाग की “सिस्टम फेल्योर” को पूरी तरह उजागर कर दिया।
आदेश में “Education” को “educatioin”, “Principal” को “princpal” लिखा गया था। इतना ही नहीं, शिलाई-रोहनाट का पिनकोड भी गलत लिखा गया था- 173027 की जगह 173025। “Senior Secondary School” में से “Senior” शब्द गायब था और “Headquarter” को “Headquarters” कर दिया गया था। ये गलतियां भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं और विभाग की एक और फजीहत शुरू हो गई।
इस घटनाक्रम के बाद शिक्षक संगठनों और अभिभावकों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि अगर एक शिक्षक को मात्र स्पेलिंग की गलतियों के कारण निलंबित किया जा सकता है, तो निलंबन पत्र तैयार करने वाले कर्मचारियों और प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
शिक्षक संघों ने निलंबन निरस्त करने और ड्राइंग मास्टर को “भूल सुधार का अवसर” देने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि बैंक कर्मियों ने एक सरकारी दस्तावेज़ को सोशल मीडिया पर कैसे वायरल कर दिया- इसकी भी जांच होनी चाहिए।
जब इस संबंध में जिला सिरमौर के डिप्टी डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन राजीव ठाकुर से बात की गई तो उन्होंने निलंबन आदेश में हुई गलतियों को स्वीकार किया। उन्होंने कहा,
“निलंबन आदेश में त्रुटियां हुई हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन यह लिपिकीय गलती थी।”
उन्होंने बताया कि संबंधित क्लर्क ने सफाई दी कि की-बोर्ड का “i” अक्षर खराब था और उसने इस बारे में पहले ही उपनिदेशक को लिखित में सूचित किया था, मगर उस समय उपनिदेशक छुट्टी पर थे। डिप्टी डायरेक्टर ने यह भी कहा कि आदेश बहुत कम समय में तैयार करना पड़ा, इसलिए त्रुटियां रह गईं।
राजीव ठाकुर ने स्पष्ट किया कि ड्राइंग मास्टर को केवल स्पेलिंग गलती के लिए नहीं, बल्कि “भाषाई त्रुटि से चेक के अर्थ ही बदल देने” के कारण निलंबित किया गया। उन्होंने कहा कि विभाग भविष्य में ऐसी गलतियों को लेकर शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाएगा और जवाबदेही तय की जाएगी।
यह पूरा प्रकरण अब केवल एक शिक्षक या एक आदेश की गलती नहीं रहा। यह हिमाचल की शिक्षा व्यवस्था की उस बड़ी समस्या की ओर इशारा करता है, जहां प्रशासनिक जल्दबाज़ी, निरीक्षण की कमी और ज़िम्मेदारी तय करने की ढिलाई आम बात बन चुकी है।