#अव्यवस्था
December 2, 2025
हिमाचल में अमीरों ने खुद को गरीब बता लूटा सरकारी खजाना, मनरेगा कामगार बनकर डकारे करोड़ों
लिस्ट में अपात्र पाए गए कई लोग- सब पर होगी FIR
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड और मनरेगा कार्यकर्ताओं की पात्रता की धरातली जांच में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आ रही हैं। बोर्ड द्वारा राज्यभर में चलाए जा रहे वेरिफिकेशन अभियान में अब तक 9635 कामगारों की पुष्टि की जा चुकी है, जिनमें से 953 लोग अपात्र पाए गए हैं।
यह लोग ऐसी योजनाओं का लाभ उठा चुके हैं, जिसके लिए वे किसी भी मानक के अनुसार योग्य नहीं थे। जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि कई आर्थिक रूप से सक्षम लोगों ने खुद को कामगार के रूप में दर्ज करवा लिया था, ताकि वे बोर्ड की ओर से दी जाने वाली वित्तीय सहायता-जैसे मजदूर कल्याण राशि, मातृत्व लाभ, छात्रवृत्ति, उपकरण सहायता आदि का फायदा उठा सकें।
अब ऐसे लोगों से वसूली की प्रक्रिया शुरू हो गई है और FIR दर्ज करने की तैयारी भी चल रही है। बोर्ड के रिकॉर्ड बताते हैं कि वर्ष 2021–22 के केवल 5 महीनों में 70 हजार कामगारों का पंजीकरण किया गया था।
यही वह अवधि है जिसमें सबसे ज्यादा अपात्र लोगों को सूची में शामिल किया गया। इन्हीं महीनों में आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले 172 करोड़ रुपये की राशि लाभार्थियों में बांटी गई, जिनमें बड़ी संख्या ऐसे लोगों की थी जो श्रमिक श्रेणी में आते ही नहीं।
अब वही 172 करोड़ रुपये की देनदारी बोर्ड के रिकॉर्ड में लंबित है और इसकी वसूली के लिए व्यापक जांच जारी है। बोर्ड के अनुसार हिमाचल में वास्तविक पात्र सन्निर्माण कामगारों की संख्या करीब 1.5 लाख होनी चाहिए, लेकिन अब तक 4.57 लाख पंजीकरण किए जा चुके हैं।
यह अंतर स्वयं साबित करता है कि पिछले वर्षों में पंजीकरण प्रक्रिया में बड़ा खेल हुआ है। यही कारण है कि बोर्ड ने सभी पंजीकृत कामगारों की धरातली वेरिफिकेशन मार्च 2026 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा है।
हर माह औसतन 240 कामगारों की जांच की जा रही है। जांच के दौरान काम की प्रकृति, आय स्थिति, जॉब कार्ड और निर्माण कार्य से संबंधित दस्तावेज को मिलान किया जा रहा है।
बोर्ड द्वारा पहले ही प्रदेश के चार क्षेत्रों- बड़सर, भोरंज, सदर हमीरपुर और सुजानपुर में नौ अपात्र लाभार्थियों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई गई थी। जांच और कार्रवाई का दबाव बढ़ते ही इन लोगों ने 6 लाख रुपये वापस कर दिए हैं। माना जा रहा है कि कार्रवाई के डर से आने वाले दिनों में और लोग भी राशि लौटाने के लिए आगे आएंगे।
BOCW बोर्ड ने साफ संकेत दे दिए हैं कि जो व्यक्ति स्वेच्छा से प्राप्त की गई राशि वापस कर देता है, उसे सिर्फ वसूली तक सीमित रखा जाएगा। लेकिन जो लोग पैसे वापस नहीं करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई, यानी FIR, दर्ज की जाएगी।
हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष नरदेव कंवर ने बताया कि इस अभियान के तहत 2021–22 में पंजीकरण करने वाले हर व्यक्ति की गहन जांच होगी। राज्य सरकार का मानना है कि जब तक अपात्र लोगों को हटाया नहीं जाएगा, तब तक वास्तविक श्रमिकों तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाएगा।