#अव्यवस्था
December 8, 2025
सुक्खू सरकार दे हिसाब! पंचायतों के 170 करोड़ रुपए गायब, कहां गए ग्रांट के पैसे?
पंचायतों तक नहीं पहुंचा पैसा- बीच में अटके काम
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शिमला। विधानसभा सत्र खत्म होने के बाद हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार लगातार सवालों के घेरे में आ रही है। विपक्ष कई मुद्दों को लेकर सुक्खू सरकार को घेरता नजर आ रहा है। अब इसी कड़ी में सुक्खू सरकार पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं।
ये मामला पंचायतों की ग्रांट से जुड़ा हुआ है। सुक्खू सरकार से पंचायतों के 170 करोड़ रुपए गायब करने के आरोप लगे हैं। मामला उजागर होने के बाद सुक्खू सरकार सवालों के घेरे में आ गई है।
हिमाचल प्रदेश की 3577 पंचायतों में इस वित्तीय वर्ष के विकास कार्य अधर में लटके हुए हैं। वजह यह है कि केंद्र सरकार ने सितंबर और अक्टूबर 2025 में भेजी गई 15वें वित्त आयोग की पहली किस्त अभी तक पंचायतों तक नहीं पहुंची है।
पंचायतें इस राशि का इंतजार कर रही हैं, ताकि गांवों में रुक चुके काम दोबारा शुरू हो सकें। स्थानीय प्रतिनिधियों और पंचायत पदाधिकारियों का कहना है कि जब खातों में राशि आई ही नहीं है, तो आगे का काम उपयोगिता प्रमाणपत्र भेजना, दूसरी किस्त प्राप्त करना और योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट सब आगे खिसक गया है।
कई पंचायतों में तो हालात ऐसे हैं कि चल रहे कार्य भी बीच में अटक गए हैं। सूत्रों के अनुसार, केंद्र ने 2025 की पहली किस्त के रूप में 68 करोड़ रुपये (अनटाइड फंड), 24 सितंबर को
102 करोड़ रुपये (टाइड फंड) और 29 अक्टूबर को प्रदेश सरकार को भेज दिए थे। इस तरह कुल 170 करोड़ रुपये राज्य सरकार के खाते में आ चुके हैं।
इसके बावजूद पंचायतों तक एक रुपये की भी रिहाई नहीं की गई है। पंचायती राज संस्थाओं से जुड़े लोग पूछ रहे हैं कि जब पहली किस्त ही जमीन पर नहीं पहुंची, तो दूसरी किस्त से पहले जरूरी औपचारिकताएं कैसे पूरी होंगी?
पंचायतों को मिलने वाली यह राशि गांवों में रोजमर्रा से जुड़े बुनियादी कामों के लिए बेहद अहम मानी जाती है। इन फंडों से स्वच्छता व्यवस्थाएं, पेयजल सुधार, सड़क निर्माण और मरम्मत
रिटेनिंग व क्रैश बैरियर दीवारें, सार्वजनिक स्थल, पंचायत भवन, युवक/महिला मंडलों के छोटे-छोटे कार्य जैसे काम किए जाते हैं।
कई पंचायतें पहले ही बजट की कमी से जूझ रही हैं और अब यह देरी ग्रामीण विकास की रफ्तार को और धीमा कर रही है। 15वें वित्त आयोग से आने वाली यह राशि तीन भागों में बांटी जाती है-
यही अनुपात टाइड और अनटाइड दोनों फंड पर समान रूप से लागू होता है। फर्क केवल इतना है कि टाइड फंड का उपयोग केवल निर्धारित क्षेत्रों, जैसे स्वच्छता व पेयजल में ही किया जा सकता है। जबकि, अनटाइड फंड पूरी तरह लचीला होता है और पंचायत की प्राथमिकता के अनुसार किसी भी विकास कार्य में लगाया जा सकता है।
यह धनराशि 100 प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाती है। हिमाचल सरकार का इसमें कोई वित्तीय योगदान नहीं होता। राशि सीधे प्रदेश सरकार के खाते में आती है और वहां से तीनों स्तरों की पंचायती राज संस्थाओं को भेजी जाती है। मगर इस बार प्रक्रिया में देरी ने पंचायतों की चिंता बढ़ा दी है।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के मंत्री अनिरुद्ध सिंह का कहना है कि इस राशि के वितरण और देरी संबंधित जानकारी वह विभागीय अधिकारियों से प्राप्त करने के बाद ही स्पष्ट टिप्पणी कर सकेंगे। उन्होंने यह जरूर कहा कि यह फंड गांवों के विकास के लिए होता है और उचित प्रक्रिया के बाद इसका आवंटन किया जाएगा।