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October 5, 2025

हिमाचल का बेटा बना वर्ल्ड चैंपियन : जन्मदिन के दिन देश के लिए जीता गोल्ड मेडल

6 साल की उम्र में गंवा दिया था एक हाथ

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Para Athletics Championship 2025 Nishad Kumar

ऊना। कहते हैं अगर हौसला बुलंद हो तो कोई बाधा मंजिल से नहीं रोक सकती। हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला के छोटे से गांव बदाऊं के बेटे निषाद कुमार ने इस कहावत को साकार कर दिखाया है।

किसान के बेटे के कमाल

किसान परिवार में जन्मे निषाद ने अपने जन्मदिन (3 अक्तूबर) के दिन ही वह करिश्मा कर दिखाया, जिसका सपना हर खिलाड़ी देखता है- वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर वर्ल्ड चैंपियन बनने का।

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बर्थडे पर देश को दिया स्वर्ण तोहफा

25वें जन्मदिन के अवसर पर निशाद ने नई दिल्ली में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के टी-47 वर्ग की हाई जंप स्पर्धा में 2.14 मीटर की ऊंची छलांग लगाकर स्वर्ण पदक जीता।

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अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को दी मात

खास बात यह रही कि यह जीत उन्होंने उस खिलाड़ी को पछाड़कर हासिल की, जिसने अब तक उन्हें हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चुनौती दी थी। अमेरिका के राड्रिक टांसेंट, जो टोक्यो और पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण विजेता रह चुके हैं, उन्हें निशाद ने पीछे छोड़ते हुए तीसरे स्थान पर धकेल दिया।

पहली बार स्टेडियम में परिवार

इस ऐतिहासिक पल को और भी भावुक बना देने वाली बात यह रही कि इस बार निषाद की जीत के साक्षी उनके पिता रछपाल सिंह, माता पुष्पा देवी और बहन रमा खुद स्टेडियम में मौजूद थे। पहली बार निषाद के परिवार ने अपने बेटे को विश्व मंच पर स्वर्ण पदक जीतते हुए देखा। जीत के बाद पूरे परिवार की आंखों में गर्व और खुशी के आंसू छलक पड़े।

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कठिनाइयों से शुरू हुआ सफर

निषाद का जीवन कभी आसान नहीं रहा। छह साल की उम्र में उन्होंने एक हादसे में अपना दायां हाथ चारा काटने की मशीन में गंवा दिया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पिता राजमिस्त्री का काम करते थे, परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन निषाद के जुनून ने सब मुश्किलों को पीछे छोड़ दिया।

खेत से स्टेयिम तक पहुंचा निषाद

स्कूल की पढ़ाई सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, अंब से पूरी करने के बाद निषाद ने खेलों में करियर बनाने का फैसला लिया। इसके बाद वह पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम पहुंचे, जहां उनके कोच नसीम अहमद ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और दिशा दी।

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संघर्ष से सफलता तक

निषाद का अंतरराष्ट्रीय सफर 2019 में शुरू हुआ, जब उन्होंने फाजा वर्ल्ड ग्रां प्रिक्स में स्वर्ण पदक जीता। उसी वर्ष उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक भी हासिल किया। इसके बाद उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक 2021 में रजत पदक जीतकर भारत को गर्वान्वित किया।

 

2024 के पेरिस पैरालंपिक में भी उन्होंने फिर से रजत पदक जीतकर इतिहास दोहराया। और अब 2025 में, अपने जन्मदिन पर, उन्होंने वर्ल्ड चैंपियन बनकर अपने सफर को स्वर्णिम मुकाम तक पहुंचा दिया।

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उसैन बोल्ट से प्रेरित

निषाद बताते हैं कि बचपन में वे जमैका के महान एथलीट उसैन बोल्ट से बेहद प्रभावित थे। वे स्प्रिंटर बनना चाहते थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने पाया कि उनकी असली ताकत हाई जंप में है। उसके बाद उन्होंने पूरी मेहनत इसी खेल में झोंक दी, जिसका नतीजा आज पूरी दुनिया देख रही है।

कोच और परिवार की भूमिका

कोच नसीम अहमद ने कहा निषाद ने कभी हार मानना नहीं सीखा। सीमित संसाधनों के बावजूद वह रोजाना अभ्यास में 100 फीसदी देते हैं। उनकी यह जीत सिर्फ हिमाचल नहीं, पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। 

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भावुक हुए निषाद के पिता

उधर, पिता रछपाल सिंह ने भावुक होकर कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा बेटा एक दिन वर्ल्ड चैंपियन बनेगा। आज उसका सपना और हमारी मेहनत- दोनों रंग लाई है। वहीं, गोल्ड मेडल जीतने के बाद निषाद अब अपनी नजरें 2028 लॉस एंजेलिस पैरालंपिक पर टिकाए हुए हैं। उनका कहना है कि यह जीत उनके लिए मंजिल नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है।

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