#हादसा
September 9, 2025
हिमाचल भूस्खलन : अपने ही घर के नीचे दबे परिवार के आठ लोग, चार की थमीं सांसें- मासूम मलबे में दफन
एक ही घर में रहता था दो भाइयों का परिवार
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कुल्लू। हिमाचल प्रदेश में बरसात का कहर अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार देर रात करीब 2.30 बजे कुल्लू जिले की आनी तहसील के निरमंड में दर्दनाक हादसा हुआ, जब भूस्खलन (लैंडस्लाइड) की चपेट में आने से एक घर पूरी तरह जमींदोज हो गया।
इस हादसे में एक ही परिवार के आठ सदस्य मलबे में दब गए। रेस्क्यू टीम की कड़ी मशक्कत के बाद तीन लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है, जबकि इस घटना में 4 लोगों की मौत हो चुकी है। अब भी एक सात साल का बच्ची मलबे में दफन है- जिसकी तलाश जारी है और प्रशासन व स्थानीय लोग मिलकर राहत-बचाव कार्य में जुटे हैं।
हादसे में परिवार के तीनों लोगों को मलबे से सुरक्षित बाहर निकाला गया है। घटना में तीनों चोटें आई हैं- ऐसे में उन्हें उपचार के लिए निरमंड अस्पताल में भर्ती किया गया है। इस घटना में एक हंसता-खेलता परिवार उजड़ गया है।
बताया जा रहा है कि धर्मदास और शिवराम दोनों भाइयों का परिवार एक ही घर में रहता था। परिवार के सभी सदस्यों का आपस में बहुत स्नेह था। मगर इस घटना ने पूरे परिवार को तबाह कर दिया है। इस हादसे में शिवराम घायल हो गया है- जबकि, उसकी पत्नी, बेटा-बहू और पोते की मौके पर ही मौत हो गई है और पोती जागृति (7) लापता है।
घटना के वक्त धर्मदास का बेटा घर पर नहीं था। मगर जैसे ही उसे हादसे की खबर मिली उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। अपने परिवार के सदस्यों की लाशें देखकर उसके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
रेस्क्यू किए गए घायलों को तुरंत निरमंड के सिविल अस्पताल में प्राथमिक उपचार के लिए भेजा गया। डॉक्टरों ने बताया कि फिलहाल उनकी हालत स्थिर है, लेकिन वे गहरे सदमे में है। भूस्खलन की इस घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल है।
वहीं, कुल्लू की शिलीराजगिरी पंचायत के शगाड गांव में बीती शाम को भारी बारिश के बाद चार घरों में मलबा घुस गया। इस आपदा से कई किसानों की जमीनें भी प्रभावित हुई हैं और खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं।
उधर, मौसम विज्ञान केंद्र शिमला (IMD) ने जानकारी दी है कि 12 सितंबर तक बारिश को लेकर कोई अलर्ट नहीं है और ज्यादातर जगहों पर मौसम साफ रहने का अनुमान है। मगर लगातार हुई भारी बरसात और लैंडस्लाइड से अभी भी प्रदेश का जनजीवन अस्त-व्यस्त है।
प्रदेश में 3 नेशनल हाईवे समेत 820 सड़कें बंद पड़ी हुई हैं। जगह-जगह बिजली व पानी की आपूर्ति भी बाधित है। सेब और आलू जैसी प्रमुख फसलें मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। लाहौल-स्पीति का मशहूर आलू और चंबा, कुल्लू, मंडी व शिमला की सेब की फसल सड़कों के बंद होने के कारण फंसी हुई है।
इस साल का मानसून हिमाचल के लिए अब तक बेहद भयावह साबित हुआ है। एक जून से 8 सितंबर तक 370 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें से 69 मौतें लैंडस्लाइड, बाढ़ और बादल फटने से हुई हैं। 41 लोग अब भी लापता हैं।
अब तक प्रदेश में 136 बड़े लैंडस्लाइड, 95 बाढ़ की घटनाएं और 45 बार बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। इन आपदाओं में 1204 घर पूरी तरह से जमींदोज, जबकि 5140 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। सरकारी और निजी संपत्ति का कुल नुकसान 4122 करोड़ रुपये से ज्यादा आंका गया है।
प्रदेश सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग लगातार राहत कार्यों में लगे हुए हैं। NDRF, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं। मगर बार-बार हो रहे लैंडस्लाइड और भारी नुकसान ने प्रशासन की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।