#हादसा
September 9, 2025
हिमाचल में फिर हुआ भारी भूस्खलन- मलबे में दबे एक ही परिवार के आठ लोग, मचा हाहाकार
एक के निकले प्राण- 3 लोगों को किया रेस्क्यू, 4 अभी भी लापता
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कुल्लू। हिमाचल प्रदेश में बरसात का कहर अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार देर रात कुल्लू जिले की आनी तहसील में दर्दनाक हादसा हुआ, जब भूस्खलन (लैंडस्लाइड) की चपेट में आने से एक घर पूरी तरह जमींदोज हो गया।
इस हादसे में एक ही परिवार के आठ सदस्य मलबे में दब गए। रेस्क्यू टीम की कड़ी मशक्कत के बाद तीन लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है, जबकि एक की मौत हो चुकी है। अब भी चार लोगों की तलाश जारी है और प्रशासन व स्थानीय लोग मिलकर राहत-बचाव कार्य में जुटे हैं।
रेस्क्यू किए गए घायलों को तुरंत निरमंड के सिविल अस्पताल में प्राथमिक उपचार के लिए भेजा गया। डॉक्टरों ने बताया कि फिलहाल उनकी हालत स्थिर है, लेकिन वे गहरे सदमे में है। भूस्खलन की इस घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल है।
उधर, मौसम विज्ञान केंद्र शिमला (IMD) ने जानकारी दी है कि 12 सितंबर तक बारिश को लेकर कोई अलर्ट नहीं है और ज्यादातर जगहों पर मौसम साफ रहने का अनुमान है। मगर लगातार हुई भारी बरसात और लैंडस्लाइड से अभी भी प्रदेश का जनजीवन अस्त-व्यस्त है।
प्रदेश में 3 नेशनल हाईवे समेत 820 सड़कें बंद पड़ी हुई हैं। जगह-जगह बिजली व पानी की आपूर्ति भी बाधित है। सेब और आलू जैसी प्रमुख फसलें मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। लाहौल-स्पीति का मशहूर आलू और चंबा, कुल्लू, मंडी व शिमला की सेब की फसल सड़कों के बंद होने के कारण फंसी हुई है।
कुल्लू की शिलीराजगिरी पंचायत के शगाड गांव में बीती शाम को भारी बारिश के बाद चार घरों में मलबा घुस गया। इस आपदा से कई किसानों की जमीनें भी प्रभावित हुई हैं और खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं।
इस साल का मानसून हिमाचल के लिए अब तक बेहद भयावह साबित हुआ है। एक जून से 8 सितंबर तक 370 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें से 69 मौतें लैंडस्लाइड, बाढ़ और बादल फटने से हुई हैं। 41 लोग अब भी लापता हैं।
अब तक प्रदेश में 136 बड़े लैंडस्लाइड, 95 बाढ़ की घटनाएं और 45 बार बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। इन आपदाओं में 1204 घर पूरी तरह से जमींदोज, जबकि 5140 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। सरकारी और निजी संपत्ति का कुल नुकसान 4122 करोड़ रुपये से ज्यादा आंका गया है।
प्रदेश सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग लगातार राहत कार्यों में लगे हुए हैं। NDRF, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं। मगर बार-बार हो रहे लैंडस्लाइड और भारी नुकसान ने प्रशासन की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।