#हादसा
July 15, 2025
हिमाचल में पैराग्लाइडिंग पायलट की गलती- परिवार ने खोया जवान बेटा, जानें क्या हुआ था उड़ान से पहले
अगले दो महीने के लिए पैराग्लाइडिंग बैन
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कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला की सुरम्य वादियों में उस समय मातम पसर गया, जब गुजरात के अहमदाबाद जिले के 25 वर्षीय सतीश राजेशभाई की पैराग्लाइडिंग के दौरान मौत हो गई। इस हादसे में पैराग्लाइडिंग करवाने वाली कंपनी और पैराग्लाइडर पायलट की लापरवाही सामने आई है।
यह हादसा रविवार को बनकोटू की पहाड़ी पर हुआ, जहां से उड़ान भरते समय पैर फिसलने से सतीश खाई में जा गिरा। स्थानीय प्रशासन ने शव को टांडा मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया है।
जिस स्थान से सतीश ने उड़ान भरी, वह कोई अधिकृत स्थल नहीं था। पैराग्लाइडिंग करवाने वाली कंपनी और पैराग्लाइडर पायलट ने चंद पैसों के लिए जोखिम उठाया। दरअसल, बनकोटू पहाड़ी न केवल वन भूमि पर स्थित है, बल्कि इसे पर्यटन विभाग और प्रशासन की स्वीकृति भी प्राप्त नहीं है।
बावजूद इसके यहां अवैध रूप से टेकऑफ साइट विकसित की गई थी। मौके पर कोई लाइसेंस प्राप्त मार्शल तैनात नहीं था। भारी बारिश के कारण जमीन दलदली हो चुकी थी और ग्लाइडर के फिसलने से यह दर्दनाक दुर्घटना हुई।
घटना के वक्त हाईफ्लाई पैराग्लाइडिंग कंपनी के पायलट सूरज उड़ान नियंत्रित कर रहा था, जो कंपनी का ही प्रोपराइटर बताया जा रहा है। यही कंपनी बुकिंग के लिए जिम्मेदार भी थी।जिला पर्यटन अधिकारी विनय धीमान ने हादसे को “अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और माना कि यह टैंडम पायलट की गंभीर लापरवाही का नतीजा था। उन्होंने कहा कि बनकोटू साइट न सिर्फ अप्रूव नहीं है, बल्कि हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ वहां से उड़ान ली गई, जहां मार्शल की तैनाती अनिवार्य है।
स्थानीय पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन ने बनकोटू में बिना अनुमति खुदाई, मिट्टी भराई और टेकऑफ स्थल निर्माण कार्य करवाया। वन विभाग ने इस पर पहले ही जुर्माना लगाया था। तकनीकी समिति ने इस साइट को असुरक्षित और तकनीकी रूप से अनुपयुक्त घोषित कर रखा है, लेकिन इसके बावजूद वहां से उड़ानें बेरोकटोक जारी थीं।
यह घटना प्रशासन की निगरानी विफलता की बड़ी मिसाल बनकर सामने आई है। जब पहले ही साइट को अवैध और जोखिमपूर्ण घोषित किया जा चुका था, तो उसे समय रहते बंद क्यों नहीं किया गया? ASP कांगड़ा अदिति सिंह ने कहा कि मामले की जांच तेजी से की जा रही है और जो भी जिम्मेदार होंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन की ओर से पहले ही घोषणा की गई थी कि 15 जुलाई से 15 सितंबर तक बीड़-बिलिंग समेत चार अधिकृत साइटों पर उड़ानों पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। मौसम विभाग की चेतावनियों के बावजूद इस प्रतिबंध को पूर्व में प्रभावी क्यों नहीं किया गया, यह एक गंभीर प्रश्न है।
मानसून सीजन में बीड़-बिलिंग घाटी में पैराग्लाइडिंग पर पूरी तरह विराम लगने से स्थानीय व्यवसायों पर असर पड़ना तय है। गाइड्स, होटल संचालक, टैक्सी ऑपरेटर और पायलटों की आजीविका सीधे तौर पर इससे जुड़ी हुई है।
हालांकि, घाटी की प्राकृतिक सुंदरता, ट्रैकिंग रूट्स, ग्रामीण अनुभव और हरियाली अब भी सैलानियों को आकर्षित कर रही है। बिलिंग से बरोट तक सड़क निर्माण के बाद राजगुंधा घाटी भी ज्यादा सुलभ हो गई है, जिससे क्षेत्र में अन्य पर्यटन गतिविधियों को बल मिल रहा है।