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April 18, 2025
हिमाचल: पैसे बचाने को ठेके पर स्टाफ नर्स की भर्ती करेगी सुक्खू सरकार, 13 हजार वेतन देगी
स्टाफ नर्सों के 1329 पद खाली पड़े
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शिमला। आर्थिक तंगी झेल रही हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार स्टाफ नर्सों के 1329 पदों को ठेके पर भरेगी। नई भर्ती होने वाली स्टाफ नर्सों की सैलरी जानकर आप चौंक जाएंगे। इन नर्सों को 12 से 13 घंटे की नौकरी के लिए महीने में 13062 रुपए की सैलरी मिलेगी।
यह टांडा मेडिकल कॉलेज में ठेके पर भर्ती स्टाफ नर्सों की 14490 रुपए प्रति माह की सैलरी से भी कम है। इसकी जगह अनुबंध पर भर्ती होने वाली स्टाफ नर्सों को 21360 रुपए मिलते हैं, जबकि नियमित आधार पर नियुक्त स्टाफ नर्सों को 35600 रुपए की सैलरी मिलती है। इस तरह से सुक्खू सरकार नियमित नर्सों की सैलरी के मुकाबले 3 गुना कम सैलरी पर स्टाफ नर्सों को ठेके पर भर्ती कर पैसा बचाएगी।
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यह भी दिलचस्प बात है कि ठेके पर ही हमीरपुर की आरके एंड कंपनी ने टांडा मेडिकल कॉलेज में जिन स्टाफ नर्सों की भर्ती की है, उनकी सैलरी ज्यादा है, जबकि हिमाचल सरकार ने 1329 पदों पर की जाने वाली स्टाफ नर्सों की नई भर्तियों के लिए और भी कम सैलरी का प्रावधान किया है।
हिमाचल सरकार ने अभी तक राज्य में जितने भी पदों को ठेकों से भरा है, उन सभी में नियुक्तियों पर सवाल उठे हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि ठेके पर कर्मचारी रखने वाली कंपनियां अक्सर अपने चहेतों को नौकरी पर रख देती हैं। यूंकि ऐसी भर्तियों में कर्मियों को नौकरी से निकालना आसान होता है, इसलिए इस तरह के भाई-भतीजावाद पर सवाल उठने से छंटाई की गाज कर्मचारी पर ही गिरती है और वे सड़क पर आ जाते हैं। इसके बावजूद हिमाचल का स्वास्थ्य विभाग ठेके पर भर्ती कर रहा है।
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हिमाचल सरकार इसलिए ठेके पर रोजगार दे रही है, क्योंकि सुक्खू सरकार की आर्थिक स्थिति अनुबंध पर सैलरी देने की भी नहीं बची है। अगर स्वास्थ्य विभाग स्टाफ नर्सों के पदों को अनुबंध पर भरता तो उसे 13062 की सैलरी से 8 हजार रुपए ज्यादा देने पड़ते। यही नहीं, बल्कि सरकार को दो साल की नौकरी के बाद स्टाफ नर्सों को स्थायी नौकरी भी देनी पड़ती और तब तीन गुना ज्यादा सैलरी का बोझ सरकार पर आ जाता। लाखों रुपए बचाने के लिए सरकार ने स्टाफ नर्स के पदों पर सीधी भर्ती बंद कर दी है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रति नर्स अधिकतम 5 मरीजों का अनुपात तय किया हुआ है, लेकिन हिमाचल में यह अनुपात 18 मरीजों का है। आईसीयू में यह दबाव प्रति नर्स 4 मरीजों तक का है। हिमाचल प्रदेश के कई अस्पतालों में सरकार ने मरीजों के लिए बेड तो बढ़ा दिए, लेकिन नर्सों की संख्या नहीं बढ़ाई।
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मार्च में संपन्न हिमाचल विधानसभा के बजट अधिवेशन में सीएम सुक्खू ने राज्य का बजट पेश करते हुए दावा किया था कि अगले एक साल में समूचे हिमाचल में मेडिकल कॉलेजों का नक्शा बदल जाएगा और वहां दिल्ली के एम्स की तर्ज पर इलाज मिलने लगेगा। अब आलम यह है कि सरकार के पास हिम कार्ड धारकों के इलाज के लिए भी पैसा नहीं है और न ही इन अस्पतालों में नर्सों के खाली पद भर पा रहे हैं।