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April 18, 2025

हिमाचल के स्कूलों में नहीं चलेगी जींस-टीशर्ट: चटक रंग और गहनों पर भी रोक, 'टीचर लुक' होगा प्रोफेशनल

ड्रेस कोड अनिवार्य नहीं

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शिमला। हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब शिक्षकों का पहनावा भी मर्यादा और अनुशासन का प्रतीक होगा। शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों के लिए स्वैच्छिक ड्रेस कोड जारी किया है।  जिसके बाद अब शिक्षक स्कूलों में चटकदार कपड़े पहन कर नहीं आ सकते।

जींस, टी-शर्ट पर रोक

जिसके तहत शिक्षकों के जींस, टी-शर्ट, चटक रंगों वाली या अत्यधिक फैशनेबल पोशाक पहनने पर रोक लगाई गई है। वहीं, भारी गहनों और अनौपचारिक परिधान को भी हतोत्साहित किया गया है।

ड्रेस कोड अनिवार्य नहीं

हालांकि यह ड्रेस कोड अनिवार्य नहीं है, लेकिन विभाग ने स्कूल प्रशासन और शिक्षकों से आग्रह किया है कि वे छात्रों के सामने खुद को रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत करें और औपचारिक, गरिमामय पहनावा अपनाएं।

 

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छात्रों पर प्रभाव छोड़ता है शिक्षक का पहनावा

शिक्षा सचिव राकेश कंवर द्वारा जारी परामर्श में स्पष्ट किया गया है कि कई शिक्षकों ने पहले से ही गरिमामय ड्रेस कोड को स्वेच्छा से अपनाया है। उन्होंने लिखा, "शिक्षक केवल ज्ञान नहीं देते, बल्कि अपने आचरण, वाणी और पहनावे से छात्रों पर गहरा असर डालते हैं। शिक्षक का ड्रेसिंग स्टाइल युवा दिमागों पर स्थायी छाप छोड़ता है।"

पत्र में यह भी कहा गया है कि विद्यालयों के गैर-शिक्षण कर्मचारियों को भी पेशेवर और मर्यादित पहनावे के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

 

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क्या है सुझाया गया ड्रेस कोड?

शिक्षा विभाग ने पुरुष शिक्षकों के लिए हल्के रंगों वाले औपचारिक शर्ट-पैंट की सिफारिश की है। वहीं महिला शिक्षिकाओं को दुपट्टे के साथ सलवार-कमीज, चूड़ीदार सूट, साड़ी या औपचारिक पश्चिमी पोशाक पहनने का सुझाव दिया गया है। साथ ही, नीले या मैरून रंग के ब्लेजर, पेशेवर जूते, और उचित सौंदर्य मानकोंका पालन करने की भी सलाह दी गई है। स्कूलों को स्थानीय मौसम और परिस्थितियों के अनुसार इस ड्रेस कोड में बदलाव की छूट दी गई है। वे हफ्ते में किसी विशेष दिन इसका पालन सुनिश्चित कर सकते हैं।

 

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नियंत्रण नहीं, लेकिन प्रेरणा का प्रयास

शिक्षा विभाग का यह प्रयास शिक्षकों पर नियंत्रण थोपने का नहीं, बल्कि उन्हें प्रेरित करने का है कि वे अपने पेशे की गरिमा को बनाए रखें। समय के साथ बदलते फैशन और पहनावे के दौर में यह पहल निश्चित ही प्रदेश में शिक्षकों के पेशेवर स्वरूप को नई दिशा दे सकती है

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