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July 13, 2025
सुक्खू सरकार ने तोड़ी नशा तस्करों की कमर, 1214 की अवैध संपत्तियों पर गिरेगी गाज
सुक्खू सरकार के कार्यकाल में 80 सरकारी कर्मी नशा तस्कर किए बर्खास्त
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ सालों से नशे के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। जिसे देखते हुए सरकार ने प्रदेश को नशामुक्त बनाने की दिशा में सबसे बड़ा और निर्णायक अभियान छेड़ दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में जीरो टॉलरेंस नीति के तहत नशा तस्करी में संलिप्त 1214 लोगों की अवैध संपत्तियों की पहचान की गई है। राज्य सरकार ने इन संपत्तियों को जब्त कर उन्हें नष्ट करने की कार्रवाई भी तेज कर दी है।
इस अभियान की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि 80 सरकारी कर्मचारी भी नशे के अवैध कारोबार में लिप्त पाए गए, जिनके खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। यह निर्णय प्रशासनिक प्रणाली में शुचिता लाने की दिशा में एक मजबूत संकेत माना जा रहा है।
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प्रदेश में जब से सुक्खू सरकार सत्ता में आई है, तब से लेकर अब तक ढाई वर्षों के कार्यकाल में प्रदेशभर में 5,000 से अधिक एनडीपीएस एक्ट के अंतर्गत मामले दर्ज किए गए हैं। पुलिस और विशेष कार्य बल एसटीएफ की कार्रवाई में 36.95 करोड़ रुपए की अवैध संपत्तियां जब्त की गई हैं, जबकि 7.74 करोड़ रुपए की अन्य संपत्तियां जांच के दायरे में हैं। नशे की लत से पीड़ित लोगों के पुनर्वास, निवारक शिक्षा और उनके लिए आजीविका सहायता के लिए सरकार ने सिक्किम मॉडल से प्रेरणा लेते हुए एक राज्य नशामुक्ति कोष की स्थापना की है।
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वर्ष 2024 में सरकार ने नशा तस्करों पर नकेल कसने के लिए पिट-एनडीपीएस कानून को लागू किया। इसके अंतर्गत अब तक 123 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 41 लोगों के डिटेंशन ऑर्डर जारी कर उन्हें हिरासत में लिया गया है। एसटीएफ की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में सिंथेटिक ड्रग्स जैसे चिट्टा के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। खासतौर पर फार्मास्युटिकल हब वाले क्षेत्रों बद्दी, परवाणु, ऊना और सिरमौर में इस तरह के मामलों की संख्या सर्वाधिक दर्ज की गई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2023 से जून 2025 के बीच पुलिस ने जो कार्रवाई की है] उसमें:
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राज्य सरकार ने ड्रग नियंत्रण की रणनीति को और कारगर बनाने के लिए वार्ड स्तर पर ड्रग मैपिंग शुरू कर दी है। इस योजना के तहत तीन श्रेणियों में क्षेत्रों को बांटा जा रहा है:
इस मैपिंग के तहत धर्मशाला, मंडी और परवाणु को एसटीएफ की गतिविधियों में विशेष केंद्र बनाते हुए, 13 संवेदनशील पुलिस थानों को चिह्नित किया गया है, जिनमें कुल्लू, ऊना, बद्], और सिरमौर प्रमुख हैं।
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सरकार ने पुनर्वास पर भी विशेष ध्यान दिया है। वर्तमान में कुल्लू, ऊना, हमीरपुर और कांगड़ा में पुरुषों के लिए नशामुक्ति केंद्र संचालित हो रहे हैं, जबकि कुल्लू में महिलाओं के लिए रेडक्रॉस द्वारा एक विशेष केंद्र चलाया जा रहा है। सिरमौर के कोटला बड़ोग में 100 बिस्तरों वाला अत्याधुनिक नशामुक्ति केंद्र निर्माणाधीन है। आने वाले समय में हर जिले में एक नशामुक्ति केंद्र स्थापित करने की योजना है।