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April 15, 2025

फंडिंग बढ़ाने के लिए केंद्र से सीधे भिड़ेगी सुक्खू सरकार, जानें किन 3 मुद्दों पर होगी बात 

अगले महीने वित्त आयोग को चुनौती देंगे सीएम 

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CM sukhu Shimla Himachal

शिमला। गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार ने केंद्र से ज्यादा फंड हासिल करने के लिए अब सीधे भिड़ने का फैसला किया है। सुक्खू सरकार ने केंद्र के फॉर्मूले को चुनौती देने के लिए अपने तीन फॉर्मूले तैयार किए हैं। सीएम सुक्खू इन 3 फॉर्मूलों के साथ अगले महीने वित्त आयोग से बैठक करने दिल्ली जाएंगे। 


16वें वित्त आयोग की सिफारिशें अगले वित्त वर्ष, यानी 2026-27 से लागू होंगी। इसमें हिमाचल को मिलने वाला राजस्व अनुदान एक चौथाई ही रह जाएगा। हिमाचल सरकार की रणनीति इस बार केंद्र से अनुदान मांगने की नहीं है, बल्कि वह केंद्रीय करों में हिमाचल का हिस्सा निकालने के वित्त आयोग के फॉर्मूले को ही चुनौती देने जा रही है।

 

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इससे पहले 25 जून 2024 को केंद्रीय वित्त आयोग के शिमला दौरे के समय सुक्खू सरकार ने एक ज्ञापन दिया था, जिसमें केंद्र सरकार से अनुदान को बढ़ाने की मांग की गई थी। अब चूंकि केंद्र सरकार ने हिमाचल की मांग पर ध्यान नहीं दिया तो सुक्खू सरकार ने अपनी रणनीति ही बदल ली है। 

फॉर्मूला 1: केंद्रीय करों में हिस्सेदारी बढ़े

केंद्र सरकार देशभर में होने वाले टैक्स कलेक्शन के 40 फीसदी हिस्से को एक कॉमन पूल में डालकर राज्यों की हिस्सेदारी तय करता है। इस पूल में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी 0.83 प्रतिशत ही है। हिमाचल सरकार की रणनीति राज्य के इस हिस्से को बढ़ाने की है। इसके लिए वह राज्यों को टैक्स राशि के बंटवारे के फॉर्मूले को ही चुनौती देगी। इसके लिए सुक्खू सरकार ने सालाना फॉरेस्ट कवर की रिपोर्ट को आधार बनाया है।

 

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पिछली फॉरेस्ट कवर रिपोर्ट में केवल जंगल वाले क्षेत्रों को ही दिखाया गया था, जबकि हिमाचल में फॉरेस्ट कवर अधिकांश बर्फीले इलाकों के आसपास है। इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि हिमाचल सरकार अपने जंगल बचाकर सालाना 90 हजार करोड़ का कार्बन क्रेडिट केंद्र को दे रहा है। बताया जाता है कि सुक्खू सरकार इसमें अपना हिस्सा मांगेगी। 

फॉर्मूला 2: हिमाचल के इंडीकेटर बेहतर

हिमाचल सरकार का राजस्व घाटा 7 हजार करोड़ रुपए का है। इतने बड़े घाटे को न तो राजस्व बढ़ाकर कम कर सकते हैं और न ही खर्च घटाकर। ऐसे में सुक्खू सरकार ने दूसरा फॉर्मूला यह तय किया है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रति व्यक्ति आय के मामले में हिमाचल की बेहतर स्थिति को ध्यान में रखकर केंद्रीय करों के पूल में उसे उतना हिस्सा दिया जाए, जो इस मामले में अग्रणी राज्यों को मिलता है। अगर केंद्र इस पेंच में उलझ गया और वित्त आयोग के सामने सरकार अपने इस तर्क को मजबूती से रख पाई तो निश्चित रूप से हिमाचल को केंद्र से ज्यादा फंड मिलेगा।

 

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फॉर्मूला 3: राजस्व घाटा अनुदान बढ़े

हिमाचल प्रदेश के 58 हजार करोड़ रुपए के बजट में टैक्स से सरकार की कमाई 15 हजार करोड़ रुपए के करीब है। नॉन टैक्स रेवेन्यू से सरकार 4 हजार करोड़ के आसपास कमाती है। अगर केंद्रीय करों में हिस्सेदारी और केंद्र से अनुदान को भी इसमें जोड़ लें तो हिमाचल प्रदेश के पास सालाना 43 हजार करोड़ रुपए आता है।

 

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इसमें सैलरी और पेंशन के 27 हजार करोड़ के खर्च को मिला दें तो कुल 60 हजार करोड़ से ज्यादा का अनुमानित खर्च है। इसीलिए सरकार का बजट घाटा 7 हजार करोड़ का है। ऐसे में हिमाचल सरकार पहले दो फॉर्मूले के आधार पर केंद्र सरकार से अब राजस्व घाटा अनुदान को बढ़ाने की मांग करेगी। 

यह है सीएम की कोर टीम  

केंद्रीय वित्त आयोग के सामने हिमाचल का पक्ष रखने के लिए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रधान सलाहकार रामसुभाग सिंह की अगुवाई में एक कोर टीम बनाई है। इसमें अतिरिक्त मुख्य सचिव फॉरेस्ट कमलेश कुमार पंत, प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार, एडवाइजर प्लानिंग बसु सूद और सीएम के सचिव राकेश कंवर भी शामिल हैं। यह कमेटी सीधे सीएम को रिपोर्ट करती है।

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