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April 15, 2025
डिप्टी सीएम की दो टूक: शानन पावर प्रोजेक्ट किसी भी हाल में पंजाब को नहीं देगी हिमाचल सरकार
मंडी में स्थापना दिवस पर बोले मुकेश अग्निहोत्री
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मंडी। हिमाचल सरकार ने पड़ोसी राज्य पंजाब को साफ कर दिया कि जोगिंदर नगर में बने शानन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को वह किसी भी सूरत में हाथ से जाने नहीं देगा। राज्य के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने मंगलवार को मंडी में हिमाचल दिवस के मौके पर राज्य स्तरीय स्थापना दिवस समारोह के दौरान यह बात कही।
उन्होंने कहा कि शानन हाइड्रो प्रोजेक्ट की 99 साल की लीज 2024 में ही खत्म हो चुकी है। ऐसे में यह प्रोजेक्ट पंजाब सरकार को हिमाचल प्रदेश को सौंपना ही होगा। आपको बता दें कि राज्य के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी हाल में यही बात दोहरा चुके हैं। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और वहां हिमाचल सरकार ने मजबूती से अपना पक्ष रखा है।
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मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि यह पंजाब राज्य के पुनर्गठन में संपत्तियों के बंटवारे का मामला नहीं है, क्योंकि मंडी कभी भी पंजाब का हिस्सा नहीं रहा है। फ्लैग विवाद के बाद हिमाचल को अपना भाई बताने वाले पंजाब के सीएम भगवंत मान के बयान की ओर इशारा करते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि अगर वे हमें वास्तव में अपना भाई मानते हैं तो शानन प्रोजेक्ट हिमाचल को लौटा दें।
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मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 'इस प्रोजेक्ट पर हरियाणा ने भी अपना हक जताया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। हिमाचल प्रदेश ने 2011 में पंजाब पुनर्गठन मामले में अदालती लड़ाई जीती थी। इसी मामले में हिमाचल का 3000 करोड़ का दावा है, लेकिन यह रकम भी हिमाचल प्रदेश को 13 साल बाद भी नहीं मिला है।
शानन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के जोगिंदरनगर में उहल नदी पर स्थित 110 मेगावाट की एक जलविद्युत परियोजना है। यह विवाद हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बीच इस प्रोजेक्ट के स्वामित्व और नियंत्रण को लेकर है। 1925 में, मंडी रियासत के राजा जोगिंदर बहादुर ने ब्रिटिश सरकार को 99 साल की लीज पर यह प्रोजेक्ट सौंपा था, जो उस समय पंजाब का हिस्सा था।
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लीज 2 मार्च, 2024 को समाप्त हो गई। हिमाचल प्रदेश का दावा है कि लीज खत्म होने के बाद प्रोजेक्ट पर उसका अधिकार है, क्योंकि यह अब उसके क्षेत्र में है। पंजाब का कहना है कि 1966 के पंजाब पुनर्गठन अधिनियम और 1967 की अधिसूचना के तहत यह प्रोजेक्ट उसे आवंटित किया गया था। पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड इसका संचालन करता है और वह इसे अपने नियंत्रण में रखना चाहता है। पंजाब ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर हिमाचल को हस्तक्षेप से रोकने की मांग की है।