#यूटिलिटी

November 13, 2025

हाईकोर्ट ने सुक्खू सरकार को लगाई फटकार, कहा- 'सरकार चला रहे या पंचायत'; नर्सों की भर्ती पर रोक

कोर्ट ने सुक्खू सरकार पर की सख्त टिप्पणी, अशिक्षित या अर्धशिक्षित कर रहे नर्स डॉक्टरों की भर्ती

शेयर करें:

Sukhu Govt High Court

शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार को एक बार फिर न्यायपालिका के कठोर शब्दों का सामना करना पड़ा है। राज्य के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थानों में से एक डॉ राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा में आउटसोर्स आधार पर नर्सों की भर्ती को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने इस भर्ती प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए सरकार से तीखे सवाल किए हैं कि आखिर राज्य में भर्ती व्यवस्था चला कौन रहा है- "सरकार या कोई पंचायत"।

60 नर्सों की नियुक्ति पर रोक

अदालत ने स्पष्ट आदेश दिया है कि जिन 60 नर्सों के नाम निजी ठेकेदार कंपनी द्वारा अनुमोदित किए गए थे, उन्हें अगली सुनवाई तक कार्य पर न रखा जाए। इतना ही नहीं 31 अक्तूबर को जारी 80 नर्सों के पदों के लिए निकले नए विज्ञापन पर भी अदालत ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने भर्ती विज्ञापन का अवलोकन करते हुए नाराजगी जताई कि उसमें यह तक स्पष्ट नहीं है कि उसे जारी किस कंपनी ने किया। अदालत ने कहा कि जब पारदर्शिता का यह हाल है, तो भर्तियों की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठना स्वाभाविक है।

 

यह भी पढ़ें : ठंड के आगोश में समाने लगा हिमाचल, माइनस तापमान में भी कम नहीं हो रहा सैलानियों का जोश

सरकार को फटकार

खंडपीठ ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि एक ओर सरकार अदालत में हलफनामा देकर कहती है कि अब अस्थायी भर्तियां नहीं की जाएंगी, वहीं दूसरी ओर अधिकारी उसी दिन आउटसोर्स भर्तियों की अनुमति दे देते हैं। लगता है सरकार में एक हाथ को यह भी नहीं पता कि दूसरा हाथ क्या कर रहा है। अदालत ने कहा कि पूरे राज्य में भर्तियों को लेकर अव्यवस्था का आलम है, जिससे लगता है कि प्रशासनिक तंत्र अपने ही निर्णयों से अनजान है।

 

यह भी पढ़ें : हिमाचल में पंचायत चुनावों को लेकर बड़ा अपडेट, चुनाव आयोग इसी माह जारी कर सकता है शेड्यूल

पारदर्शिता पर उठे गंभीर सवाल

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने हिमाचल प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम से पूछा था कि नर्सों की भर्ती के लिए अपनाई गई प्रक्रिया कितनी पारदर्शी है। निगम के जवाब से अदालत असंतुष्ट रही और पूछा गया कि कितने ठेकेदारों ने निविदा प्रक्रिया में भाग लिया, उनके प्रस्तावों का मूल्यांकन कैसे किया गया और आखिर किस आधार पर अनुबंध प्रदान किया गया।

 

यह भी पढ़ें : हिमाचल में 15 नवंबर से बदल जाएंगे टोल प्लाजा के नियम, बिना FASTag के कटेगा डबल टोल

अशिक्षित या अर्धशिक्षित कर रहे नर्स डॉक्टरों की भर्ती

अदालत ने यह भी खुलासा किया कि निगम द्वारा अनुमोदित 36 ठेकेदारों की सूची में ऐसे कई नाम हैं जिनका भर्ती प्रक्रिया से कोई लेना-देना ही नहीं। कुछ ठेकेदारों के बारे में कहा गया कि वे अशिक्षित या अर्धशिक्षित हैं, लेकिन उन्हें डॉक्टर, नर्स और कानून अधिकारी जैसे जिम्मेदार पदों के लिए आउटसोर्स भर्ती का काम सौंप दिया गया। अदालत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह स्थिति प्रदेश की संस्थागत साख को नुकसान पहुंचाने वाली है।

यह भी पढ़ें: हिमाचल : घर से गांव के युवाओं को सप्लाई हो रहा था चिट्टा, पुलिस ने मां-बेटी संग 3 किए अरेस्ट

सुक्खू सरकार की किरकिरी

इस पूरे मामले ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार को असहज स्थिति में ला दिया है। पहले भी प्रदेश में अस्थायी और आउटसोर्स भर्तियों को लेकर विवाद उठते रहे हैं, और अब हाईकोर्ट की यह टिप्पणी सरकार की कार्यप्रणाली पर सीधा सवाल खड़ा कर रही है। विपक्ष पहले ही सुक्खू सरकार पर "भर्ती तंत्र में गड़बड़ियों" के आरोप लगा चुका है, और अब न्यायालय की यह सख्ती राजनीतिक रूप से भी सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है।

 

यह भी पढ़ें : क्या CM सुक्खू ने किया भेदभाव? BJP के गढ़ से 41 डॉक्टरों का तबादला, उठने लगे सवाल

अदालत ने अगली सुनवाई तक रोक बरकरार रखी

हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई तक भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार और निगम दोनों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने साफ कहा है कि जब तक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक ऐसी अस्थायी भर्तियों को मंजूरी नहीं दी जा सकती।

नोट : ऐसी ही तेज़, सटीक और ज़मीनी खबरों से जुड़े रहने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख