#धर्म

February 4, 2025

हिमाचल के वो देवता साहिब : जो सिर्फ एक बेटी की पुकार पर पत्थर में हुए विराजमान

बुशहर में अकाल आने पर किया था देवता साहिब ने उद्धार

शेयर करें:

Tridev Khantu Maharaj

शिमला। देवभूमि हिमाचल के लोगों की देवी-देवताओं से जुड़ी आस्था उनके सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यहां हर गांव का अपना इष्ट देवता या देवी होती है। हिमाचल के लोग अपने देवी-देवताओं को परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं और हर खुशी या संकट के समय उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

 

हिमाचल के लोगों की यह गहरी धार्मिक आस्था उन्हें न केवल एक-दूसरे से जोड़ती है, बल्कि उनकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोए रखती है। उनके लिए देवी-देवता केवल पूजा के प्रतीक नहीं, बल्कि उनके जीवन की शक्ति और प्रेरणा हैं।

यह भी पढ़ें : हिमाचल के वो देवता साहिब- जिनके मूल स्थान पर नहीं जाता कोई दूसरा देवरथ

अकाल पड़ने पर किया उद्धार

आज के अपने इस लेख में हम आपको हिमाचल के एक ऐसे देवता साहिब के बारे में बताएंगे- जो एक तीर में पूरा रणसार जीत गए थे। इन देवता साहिब ने बुशहर में अकाल पड़ने पर उद्धार किया था।

पत्थर में हुए विराजमान

हम बात कर रहे हैं राजगढ़ के राजा त्रिदेव खंटू जी महाराज की- जो कि एक बेटी की पुकार पर पत्थर में विराजमान हो गए। कैलाश मानसरोवर से आए- देवता खंटू महाराज जी तीन भाई हैं: खंटू महाराज रनोल, महाराज देवीधार और महाराज सेरी मंझेली।

यह भी पढ़ें : हिमाचल की वो पवित्र झील- जिसे खोजा था एक गद्दी चरवाहे ने, यहां नहीं जा सकती महिलाएं

लाल चावल आए पसंद

जनश्रुतियों के अनुसार, देवता साहिब रोहरू के रंसार वैली में उगने वाले लाल चावलों के लिए मानसरोवर से यहां आए थे। कहते हैं कि मानसरोवर तीर्थ पर गए दुम्रेड़ा गांव के लोगों ने महादेव के आगे लाल चवाल का भोग रखा था- जो उन्हें इतना पसंद आया कि देवता साहिब इन्हीं लोगों के साथ चल दिए।

मित्रों में हुई तीरंदाजी प्रतियोगिता

इस बीच शाठुल नामका जगह पर दोनों मित्रों देव खंटू महाराज की और देवता जाबाल नारायण की पबासी जी महाराज के साथ आगे जाने को लेकर तीरंदाजी प्रतियोगिता ठन गई। पहला तीर पबासी जी महाराज ने चलाया- जो 5 गांव के पार संघाड़ घाटी में गिरा।

यह भी पढ़ें : हिमाचल में इस साल पड़ेगा सूखा- स्वर्ग प्रवास से लौटे देवी-देवताओं ने बताया भविष्य

35 गांव तक पहुंचा तीर

फिर देव जाबल नारायण जी का तीर- 35 गांव तक पहुंचा। मगर देव खंटू जी महाराज का तीर रंसार वैली तक पहुंच गया।

 

बेटी ने उठाया सफेद पत्थर

मान्यता है कि एक बार देव खंटू जी महाराज के क्षेत्र की बेटी ने सफेद पत्थर उठाकर उनका आह्वान किया था। बेटी ने ससुराल वालों की प्रताड़ना से बचाने की गुहार लगाई तो देवता- उसी पत्थर में बस गए और उसके साथ रामपुर चले आए।

यह भी पढ़ें : हिमाचल में इस देवी स्थान पर चारों ओर रक्षक बनकर विराजते हैं भगवान शिव

राजा ने बनवाया रथ

फिर जब बुशहर रियासत में अकाल पड़ा तो राजा के कहने पर देवता जी ने अपनी शक्ति का एहसास करवाने के लिए वहां बारिश करवाई और फिर राजा ने उनका रथ बनवाया। इन देवता साहिब ने खेत के बीचों-बीच एक चीढ़ का पेड़ भी उगाया था- जहां आज भी उज्जैन मेला लगता है।

पेज पर वापस जाने के लिए यहां क्लिक करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख