Tuesday, October 22, 2024
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हिमाचल: पहले उजाड़ा गांव-बाजार, अब नाम भी छीना; बदलेगा गगल एयरपोर्ट का नाम

धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में गगल एयरपोर्ट का नाम बदलने की तैयारी शुरू हो गई है। आज मंगलवार को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की ओर से कांगड़ा गगल हवाई अड्डा सलाहकार समिति की बैठक सचिवालय भवन में हुई। इस बैठक में गगल एयरपोर्ट का नाम बदल कर धर्मशाला कांगड़ा एयरपोर्ट रखने का प्रपोजल भेजा गया है।

धर्मशाला में हुई बैठक, नाम बदलने का बना प्रपोजल

आज की बैठक में कांगड़ा-चंबा सांसद डॉ. राजीव भारद्वाज और धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा मौजूद रहे। बैठक में कहा गया कि यह हवाई अड्डा कांगड़ा व गगल एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है, लेकिन इसकी टिकट पर धर्मशाला लिखा हुआ होता है, जिससे पर्यटकों को भारी परेशानी होती है। ऐसे में अब इस एयरपोर्ट का नाम धर्मशाला कांगडा एयरपोर्ट नाम किए जाने को सहमति बनाकर प्रपोजल स्टेट भेजा गया है। जिसे बाद में सेंटर को भेजा जाएगा।

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आज की बैठक के अहम बिंदू

  • कांगड़ा एयरपोर्ट से अमृतसर का उड़ान की तैयारी पर चर्चा
  • श्रीनगर व कुल्लू को उड़ान शुरू करने पर हुई चर्चा
  • गगल एयरपोर्ट के पास भूमि कटाव को लेकर चर्चा
  • ईच्छी गांव में टावर आठ मीटर ऊंचा होने पर जारी किया था नोटिस, फिर भी नहीं हटाया
  • शाहपुर की तरफ घरों की हाइट व टावर की हाइट के लिए एनओसी लेनी जरूरी।
  • एयरपोर्ट से शटल बस सुविधा शुरू करने पर भी मंथन हुआ।
  • कांगड़ा में 78 पेड़ जबकि शाहपुर की तरफ 45 पेड़ांे को काटने की तैयारी
  • पक्षियों के विमान से टकराने के मामलों को देखते हुए 18 मिट विक्रेताओं को नोटिस जारी कर खुले में बेस्ट फेंकने की मनाही

एयरपोर्ट बनने से 80 फीसदी उजड़ रहा गगल गांव

बता दें कि इससे पहले यह हवाई अड्डा कांगड़ा व गगल एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता था। इस हवाई अड्डे का 70 फीसदी निर्माण भी गगल गांव और बाजार को उजाड़ कर किया जा रहा है। लेकिन अब इसका नाम बदल कर धर्मशाला कांगड़ा रखा जा रहा है। मतलब साफ है कि गगल नाम का नामोनिशान ही मिटने जा रहा है।

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1200 परिवार होंगे विस्थापित

बता दें कि गगल हवाई अड्डे के विस्तार के लिए 14 गांवों के करीब 1200 परिवारों की जमीन ली जाएगी। इन 1200 परिवारों में 70 फीसदी परिवार गगल गांव के हैं। वहीं 3847 कनाल भूमि में भी 70 से 75 फीसदी भूमि गगल की ही आएगी।

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इसके अलावा 594 के करीब दुकानें इस हवाई अड्डे की जद्द में आने वाली हैं। जो अधिकांश गगल में हैं। ऐसे में 80 फीसदी गगल इस हवाई अड्डे की जद्द में आ रहा है। लेकिन अपना सब कुछ गंवा देने वाले इस गगल गांव से अब उसका नाम भी छिना जा रहा है।

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