#राजनीति
April 29, 2025
रजनी पाटिल ने सुक्खू सरकार के सामने खींच दी लक्ष्मण रेखा, अब सुननी पड़ेगी मंत्रियों-विधायकों की बात
ट्रांसफर में विधायकों की मंजूरी के आदेश से मिले संकेत
शेयर करें:
शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार के इस आदेश ने कि राज्य में कर्मचारियों का कोई भी तबादला अब विधायकों की सहमति के बिना नहीं होगा, एक बार फिर सरकार और संगठन के बीच बढ़ती खाई को उजागर कर दिया है।
इससे पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने बीते ढाई साल में अनेकों बाद इस खामी को उजागर किया था, लेकिन सरकार ने उनकी बात को तकरीबन हर बार अनसुना कर दिया। यहां तक कि CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने ही मंत्रियों को बारी-बारी से शिमला स्थित राजीव भवन में बैठने की हिदायत दी थी, लेकिन उसे भी मंत्रियों ने नहीं माना। अब लगता है कि कांग्रेस की हिमाचल प्रभारी रजनी पाटिल ने सुक्खू सरकार को अपनी कार्यशैली बदलने को कहा है।
यह नौबत डिप्टी CM मुकेश अग्निहोत्री और सीएम सुक्खू के बीच बढ़ती दूरियों के बाद आई है, जिसका नतीजा बीते 6 महीने से भंग प्रदेश कार्यकारिणी में नए पदाधिकारियों की नियुक्ति के ऐलान में देरी के रूप में सामने आ रहा है।
जानकार सूत्रों का मानना है कि, कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश कांग्रेस में बढ़ती गुटबाजी को बहुत गंभीरता से लिया है। उनका कहना है कि रजनी पाटिल ने अपने हाल के हिमाचल दौरे में आलाकमान की ओर से कुछ सख्त निर्देश दिए हैं, जिसके संकेत कर्मचारियों के ट्रांसफर में विधायकों की सहमति लेने के आदेश में नजर आया है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि रजनी पाटिल इस बार कांग्रेस के विधायकों के फीडबैक के साथ दिल्ली लौटी हैं और इन सभी फीडबैक में सरकार के खिलाफ ढेरों शिकायतें हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, ये शिकायतें इसलिए भी गंभीर हैं, क्योंकि अगर सरकार में विधायकों की ही नहीं सुनी जा रही है तो फिर कार्यकर्ताओं की क्या बिसात बची है।
बताया जाता है कि रजनी पाटिल ने आलाकमान के निर्देश पर सुक्खू सरकार के आगे वह लक्ष्मण रेखा खींची है, जिसे सरकार और संगठन के बीच की हद माना जा सकता है। सुक्खू सरकार के सत्ता में आए ढाई साल बीतने के बाद यह लकीर खींची गई है, ताकि बचे हुए ढाई साल में इस राजनीतिक नुकसान की भरपाई की जा सके।
केवल विधायक ही नहीं, सुक्खू सरकार अपने ही मंत्रियों की भी नहीं सुन रही है। बताया जाता है कि मंत्रियों के नोटशीट राज्य सचिवालय में लंबे समय तक पेंडिंग पड़े रहते हैं। उन पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता। शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग, बिजली बोर्ड जैसे तमाम महकमों में सरकार के विश्वासपात्र अफसरों की चलती है और मंत्री-विधायक उनके सामने बेबस नजर आते हैं।
इस तरह की शिकायतों को रजनी पाटिल ने गंभीरता से लिया है। माना जा रहा है कि दिल्ली वापसी के बाद कांग्रेस आलाकमान की सहमति से अब कांग्रेस कार्यकारिणी का जल्द ऐलान हो सकता है, साथ ही सुक्खू सरकार के सामने खींची गई लक्ष्मण रेखा को और भी चौड़ा किया जा सकता है।
खासकर, सरकार और पार्टी के निचले कार्यकर्ता के बीच संवाद और समन्वय स्थापित करने में। यह भी मुमकिन है कि रजनी पाटिल कांग्रेस आलाकमान से चर्चा के बाद कुछ और कड़े संदेश सुक्खू सरकार को दे। अगर ऐसा हुआ तो ही इस साल के आखिर में पंचायत चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर पाएगी।