#राजनीति
October 15, 2025
कांग्रेस पर भड़के पूर्व CM शांता कुमार, कहा- पार्टी ने 'राजा साहब' का कद किया छोटा; जानें वजह
"कांग्रेस नेता पूरे हिमाचल से मांगें माफी"
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कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह की मूर्ति का अनावरण हो गया है। गौरतलब है कि इस कार्यक्रम में कांग्रेस के सभी छोटे-बड़े नेता शामिल हुए लेकिन बीजेपी व किसी अन्य पार्टी के नेता नजर नहीं आए। ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस की ओर से किसी अन्य पार्टी के नेताओं को आमंत्रित नहीं किया गया था। अब इस मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कांग्रेस पार्टी को अच्छी तरह से घेरा है।
शांता कुमार कहते हैं कि कांग्रस ने मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में अपनी पार्टी के अलावा किसी अन्य पार्टी से जुड़े नेताओं को ना बुलाकर पूरे हिमाचल के नेता को केवल एक पार्टी का नेता बना दिया।
कुमार के मुताबिक कांग्रेस ने अपने नेता वीरभद्र सिंह से न्याय नहीं किया बल्कि उनका कद छोटा कर दिया। मूर्ति अनावरण में सभी पार्टियों के नेता बुलाए जाने चाहिए थे। कुमार बोले कि कांग्रेस नेता अपनी इस गलती के लिए पूरे हिमाचल से माफी मांगें।
शांता कुमार ने कहा कि 6 बार मुख्यमंत्री रहे स्व. वीरभद्र सिंह महान व्यक्ति व आदर्श राजनेता थे। सिंह ने राजनीति के उच्च आदर्श स्थापित किए। प्रदेश के निर्माण में उनकी शानदार भूमिका रही है। वे कांग्रस को धन्यवाद देते हैं कि उनकी प्रतिमा रिज मैदान पर लगाई गई।
शांता कुमार ने 1990 को याद करते हुए बताया कि उन्होंने 15 नवंबर 1990 को विवेकानंद ट्रस्ट की ओर से अस्पताल बनाने का शिलान्यास किया। 5 करोड़ रुपये मौके पर ही इकट्ठे हो गए। वहीं 21 दिन बाद 6 दिसंबर को हमारी सरकार भंग कर दी गई।
शांता बोले कि उन्हें मुख्यमंत्री ना रहने का अफसोस नहीं था लेकिन पालमपुर में विवेकानंद अस्पताल ना बनने से वे बहुत दुखी थे। कुछ वक्त बाद कांग्रेस नेता विवेकानंद ट्रस्ट की भूमि कुछ अन्य लोगों को दिलवाने की कोशिश करने लगे।
फिर शांता कुमार ने वीरभद्र सिंह को फोन कर कहा कि मैं मिलना चाहता हूं। शिमला में उनके घर पर मैंने कहा कि मेरा सपना है कि पालमपुर में बहुत बड़ा अस्पताल बने इसलिए वो भूमि किसी और को ना दी जाए।
इस बात पर वीरभद्र सिंह ने कहा- विश्वास रखिए, ये भूमि मेरे होते हुए कभी किसी और को नहीं दी जाएंगी। शांता कुमार कहते हैं कि कई साल बीत गए लेकिन वीरभद्र के ये शब्द आज भी उनके कानों में गूंज रहे हैं।
शांता कुमार ने एक और किस्सा सांझा किया। उन्होंने बताया कि साल 1975 में इमरजेंसी लगी व उन्हें नाहन जेल में बंद कर दिया गया। उनकी पत्नी पालमपुर से दूर एक गांव में स्कूल में पढ़ाती थीं। परिवार और बच्चों का पालन करना व रोज जाना उनके लिए कठिन होने लगा।
शांता कुमार की पत्नी ने सारी कठिनाई उन्हें लिखी। फिर शांता कुमार ने वीरभद्र सिंह को जेल से ही पत्र लिखकर पत्नी का तबादला एक निकट स्कूल में करवाने की प्रार्थना की। पत्र मिलते ही उनकी पत्नी का तबादला कर दिया गया।