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October 15, 2025

टल जाएगा हिमाचल पर आने वाला बड़ा खतरा! रक्षा सूत्र बांधेंगे ये दो देवता...

59 साल बाद देवता का दिव्य दौरा- बड़े संकट पर लगेगा विराम!

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Dev Chunjwala Kamrunag Himachal

मंडी। देवभूमि हिमाचल में लंबे समय बाद एक अद्भुत और ऐतिहासिक देव यात्रा होने जा रही है। सराज घाटी के अधिष्ठाता देव चुंजवाला महादेव करीब 59 वर्षों के अंतराल के बाद एक बार फिर कमरूनाग धाम की ओर प्रस्थान करने जा रहे हैं।

देव कमरूनाग से मिलंगे देव चुंजवाला महादेव

इस यात्रा को लेकर पूरे मंडी जनपद और सराज क्षेत्र में गहरी धार्मिक आस्था और उत्साह का माहौल है। देव चुंजवाला महादेव बुधवार को सात हारों के लगभग 5,000 लाव-लश्कर (देवसेवक, बजंतरियों, हारियानों और भक्तों) के साथ शालागाड़ कोठी से कमरूनाग धाम के लिए रवाना होंगे।

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रक्षा सूत्र बांधेगे दोनों देव

परंपरा के अनुसार देवता सबसे पहले कमराह स्थित कमरूनाग मंदिर पहुंचकर शीश नवाएंगे, जहां देव मिलन का ऐतिहासिक क्षण घटित होगा। इस देव मिलन के दौरान दोनों देवता मंडी जनपद के अधिष्ठाता देव कमरूनाग और सराज क्षेत्र के अधिष्ठाता देव चुंजवाला महादेव प्राकृतिक आपदाओं से बचाव और लोककल्याण का “सूत्र बंधन” करेंगे।

59 साल बाद देवता का दिव्य दौरा

कार करिंदों ने बताया कि देव चुंजवाला महादेव पिछली बार साल 1966 में कमरूनाग गए थे। उस समय उनके गूर बुरनू थे, और वह यात्रा उनके जीवन की अंतिम यात्रा रही। इसके बाद लगभग छह दशक तक देव चुंजवाला महादेव ने कमरूनाग धाम की ओर रुख नहीं किया।

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पहले स्थागित हुई थी यात्रा

हालांकि 2023 की विनाशकारी आपदा के दौरान ही देवता ने कमरूनाग जाने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन बरसात और भूस्खलन के कारण सड़कों की स्थिति खराब होने से यात्रा स्थगित कर दी गई थी। अब मौसम और रास्तों के सुधरने के बाद देव आदेश पर यह ऐतिहासिक यात्रा तय की गई है।

 

देव कमेटी के कार करिंदों ने बताया कि इस दौरे के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए सुरक्षा और व्यवस्था के लिए स्थानीय प्रशासन से भी सहयोग लिया गया है।

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देवता करेंगे भविष्यवाणी

देव चुंजवाला महादेव गुरुवार को कमरूनाग झील में शाही स्नान करेंगे। धार्मिक मान्यता है कि इस पवित्र झील में स्नान या उसके जल को शरीर पर छिड़कने से रोगों का नाश होता है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

देवता करेंगे शाही स्नान

देवता शाही स्नान के बाद अपने गूर के माध्यम से देव कार्यवाही करेंगे और भविष्यवाणी भी करेंगे, जिसमें आने वाले समय के संकेत और लोकहित से जुड़े संदेश दिए जाते हैं। श्रद्धालु इस दिव्य अवसर को देव आदेश के रूप में ग्रहण करते हैं।

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शराब पूरी तरह प्रतिबंधित

देव चुंजवाला महादेव कमेटी ने इस बार यात्रा के दौरान धार्मिक अनुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। कमेटी ने साफ निर्देश दिए हैं कि कोई भी देवलू या श्रद्धालु यात्रा या कमरूनाग परिसर में शराब या किसी भी मादक पदार्थ का सेवन नहीं करेगा।

देव परंपरा का हो रहा अपमान...

अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कमेटी के पदाधिकारियों ने कहा कि कुछ अवसरों पर हारियानों द्वारा शराब सेवन की घटनाएं सामने आती रही हैं, जो देव परंपरा का अपमान है। इसलिए इस बार नियमों के उल्लंघन पर कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।

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नि:संतानों को संतान देते हैं देव चुंजवाला

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, देव चुंजवाला महादेव उन दंपतियों की मनोकामना पूरी करते हैं जिन्हें संतान सुख नहीं होता। उनका आशीर्वाद पाकर अनेक परिवारों को संतान प्राप्ति हुई है। देवता का वार्षिक पर्व हर साल 15 और 16 मई को मनाया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस पर्व के दौरान भक्तजन अपनी मनोकामनाओं के साथ देव दरबार में हाजिरी भरते हैं।

देव इतिहास पर गोपनीयता

देवता के कार करिंदों का कहना है कि देव चुंजवाला महादेव का इतिहास बताना नियमों के विरुद्ध है। देवता के स्पष्ट आदेश हैं कि उनके इतिहास या उत्पत्ति की कथा सार्वजनिक रूप से नहीं बताई जाएगी। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसका पालन देवसेवक दृढ़ता से करते आ रहे हैं।

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“देवभूमि को संकट से मुक्त करेंगे देवता”

देव चुंजवाला कमेटी के अध्यक्ष देवराज ने बताया कि यह दौरा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि देवभूमि हिमाचल पर आए आपदाओं के संकट को दूर करने की आध्यात्मिक पहल है। उन्होंने कहा कि देव चुंजवाला महादेव, कमरूनाग से मिलकर प्रकृति में संतुलन और प्रदेश की रक्षा के लिए आशीर्वाद का सूत्र बांधेंगे। यह यात्रा देव संस्कृति और लोक आस्था की एकता का प्रतीक बनेगी।

...साक्षी बनेगा कमरूनाग धाम

कमरूनाग धाम में बुधवार और गुरुवार को हजारों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। पूरे मार्ग में देव डोली की भव्य झांकी, ढोल-नगाड़ों की गूंज, और पारंपरिक नृत्य वातावरण को देवमय बना देंगे। लोगों में यह विश्वास है कि जब देव चुंजवाला महादेव और कमरूनाग का मिलन होता है, तो प्रकृति प्रसन्न होती है और प्रदेश आपदाओं से सुरक्षित रहता है।

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