#राजनीति
July 18, 2025
हिमाचल: आपदा के 18 दिन बाद भी बहाल नहीं हुई सड़कें, जयराम ठाकुर ने लोगों से मांगी मदद
विक्रमादित्य ने किया था दावा, हर परिस्थिति से निपटने को तैयार है PWD
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मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज क्षेत्र में 30 जून की रात आई भीषण प्राकृतिक आपदा के जख्म अभी तक भरे नहीं हैं। बादल फटने की इस भयावह घटना ने पूरे इलाके को अस्त.व्यस्त कर दिया। कई गांवों का बाहरी दुनिया से संपर्क टूट गया है। मुख्य सड़कों के अलावा गांवों तक जाने वाले संपर्क मार्ग अब भी बंद पड़े हैं, जिससे ग्रामीणों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
आपदा को बीते 18 दिन हो चुके हैं, लेकिन सराज की अधिकांश ग्रामीण सड़कें अभी भी मलबे और टूट.फूट के कारण अवरुद्ध हैं। प्रदेश सरकार और लोक निर्माण विभाग की टीमें मुख्य मार्गों को बहाल करने में जुटी हैं, मगर ग्रामीण स्तर की संपर्क सड़कों की बहाली प्रक्रिया बेहद धीमी है। इससे न केवल ग्रामीण जनजीवन प्रभावित हुआ है, बल्कि क्षेत्र की कृषि और बागवानी पर भी इसका गंभीर असर पड़ा है।
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नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए लोगों से सहयोग की अपील की है। उन्होंने विशेष रूप से उन लोगों से अनुरोध किया है, जिनके पास पोकलेन, जेसीबी और टिपर जैसी भारी मशीनें हैं। जयराम ठाकुर ने अपनी अपील में कहा है कि वे इन मशीनों को सराज क्षेत्र में राहत और बहाली कार्यों के लिए भेजें। ठाकुर ने कहा कि इन मशीनों के संचालन में आने वाले डीजल और अन्य ईंधन खर्च का वह स्वयं वहन करेंगे। हालांकि अन्य किसी प्रकार की आर्थिक अदायगी संभव नहीं हो पाएगी।
उन्होंने कहा कि सराज में सेब की फसल पूरी तरह से तैयार है। लेकिन सड़कों के बंद होने के कारण उसे समय पर मंडियों तक नहीं पहुंचाया जा रहा। अगर जल्द सड़कें नहीं खुलीं, तो फसलें खराब हो जाएंगी और किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। किसानों बागवानों पर एक तरफ प्राकृतिक आपदा ने हमला किया है तो अब दूसरी तरफ उनकी फसल खराब होने से वह पूरी तरह से टूट जाएंगे।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में मानसून की दस्तक के साथ ही सुक्खू सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा था कि लोक निर्माण विभाग मानसून से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। मानसून को देखते हुए विभाग ने अपनी सारी मशीनों और मैन पावर को अलर्ट मोड पर रख दिया है। लेकिन सराज में आई प्राकृतिक आपदा के 18 दिन बाद भी अगर सड़कें बहाल नहीं हो पा रही हैं तो यह कहीं ना कहीं लोक निर्माण विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली को दर्शाता है।
सुक्खू सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और प्रदेश की मुख्य सड़कों को ही नहीं बल्कि ग्रामीण सड़कों की बहाली का कार्य भी युद्धस्तर पर शुरू करना चाहिए। क्योंकि अगर ग्रामीण सड़कें बहाल नहीं होंगी तो बागवानों की सेब और अन्य फसलें मंडियों तक नहीं पहुंच पाएंगी। इससे ना सिर्फ किसानों बागवानों को नुकसान होगा, बल्कि सरकार को भी आर्थिक नुकसान होगा।
स्थानीय बागवान और किसान धर्मचंद ने बताया कि आपदा ने पूरे इलाके की कृषि प्रणाली को झकझोर कर रख दिया है। सेब के बगीचों से लेकर सब्जियों की फसलें जैसे आलू, गोभी और मट मलबे में बह गई हैं। कई किसानों के पॉलीहाउस पूरी तरह से तबाह हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे खेत बर्बाद हो चुके हैं। अब जो फसलें बची हैं, उन्हें मंडियों तक पहुंचाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। यदि जल्द सड़कें नहीं खुलतीं, तो ये फसलें भी खेतों में ही सड़ जाएंगी।
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि सड़क मार्ग बाधित होने के कारण गांवों में बिजली और पानी की आपूर्ति भी ठप है। कई जगहों पर दवाइयों और आवश्यक सामग्रियों की भी भारी कमी है। बच्चों की स्कूल जाने की व्यवस्था भी प्रभावित हुई है। इस आपदा ने साफ कर दिया है कि केवल मुख्य सड़कों की मरम्मत से समस्या का समाधान नहीं होगा। सरकार को अब ग्रामीण संपर्क मार्गों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि राहत और आवश्यक सेवाएं गांवों तक शीघ्र पहुंचाई जा सकें।
पूर्व सीएम जयराम ठाकुर की अपील को प्रदेश की सुक्खू सरकार और प्रशासन को भी गंभीरता से लेना चाहिए। आपदा के 18 दिन बाद भी अगर गांवों के संपर्क मार्ग बहाल नहीं हो पाए हैं तो यह कहीं ना कहीं सरकार की कमजोरी और सुस्त कार्यप्रणाली है। सरकार को चाहिए कि वह चाहिए कि स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों का दोहन करते हुए बहाली कार्यों में जनसहयोग को भी शामिल किया जाए।