#हादसा
July 18, 2025
हिमाचल आपदा की रात का इकलौता चश्मदीद- पास बैठे दोस्तों को डूबते देखा, बताया खुद कैसे बचा
कमरे में बैठे थे तीन दोस्त- अचानक आ गया मलबे का सैलाब
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मंडी। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के करसोग क्षेत्र में 30 जून की रात प्रकृति ने ऐसा कहर बरपाया कि एक जिंदगी में कभी न भूलने वाला हादसा घटा। क्लासन गांव के रहने वाले विक्की सूर्यवंशी, इस जलजले का एकमात्र जीवित गवाह है- जिसने अपनों को अपनी आंखों के सामने मिट्टी और मलबे में समाते देखा, लेकिन खुद किसी चमत्कार से बच गया।
विक्की, अश्वनी और ललित तीनों दोस्त करसोग के कुट्टी गांव में एक किराए के कमरे में शिमला मिर्च की खेती के प्रोजेक्ट को लेकर रुके हुए थे। रात करीब 10:35 बजे, लगातार बारिश के बीच अचानक कमरे की खिड़की टूट गई और देखते ही देखते तेज बहाव के साथ मलबा, पानी और पत्थर कमरे में घुस आए।
सामने बैठे अश्वनी और ललित पलक झपकते ही बहाव में समा गए, जबकि विक्की भी कुछ क्षण के लिए मलबे में दब गया। उस घड़ी विक्की की किस्मत ने साथ दिया- मलबे से आए पत्थर मुख्य दरवाजे को बंद कर गए, जिससे वह बहाव की चपेट में नहीं आ सका।
कमरे में तीन-चार फुट तक पानी भर गया। जैसे-तैसे विक्की किचन की ओर बढ़ा, जहां से भी पानी अंदर आ रहा था। दो बार डूबा, लेकिन फिर किचन की बालकनी से बाहर निकलने में सफल रहा।
विक्की ने बताया कि बाहर निकल कर उसने मदद के लिए आवाज लगाई- खूब चिल्लाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उसने किसी तरह पास के घर में रह रहे दो युवकों को मदद के बुलाया और पुलिस को भी फोन किया। मगर बाढ़ से संपर्क मार्ग टूट जाने के कारण रातभर कोई राहत नहीं पहुंच पाई।
सुबह होते ही विक्की ने दोस्तों की तलाश की, लेकिन अश्वनी का कोई सुराग नहीं मिला और बाद में ललित का शव तत्तापानी के पास बरामद हुआ। अश्वनी अब भी लापता है। यह घटना सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि तीन परिवारों की उम्मीदों, रिश्तों और सपनों का टूटना थी।
तीनों युवकों ने करसोग में एक शिमला मिर्च का फार्म प्रोजेक्ट शुरू किया था। 12,000 पौधे रोपे गए थे, और यही सपना उन्हें कुट्टी गांव तक खींच लाया था। किसे पता था कि खेतों से हरियाली लाने का सपना एक खौफनाक रात की कालिमा में बदल जाएगा।