#राजनीति
July 15, 2025
कंगना का खुलासा: बीजेपी ने कहा था 'सिर्फ 70 दिन काम है', मंत्री बनने की भी थी उम्मीद
मंडी की सांसद ने कहा.राजनीति ईमानदार लोगों के लिए महंगा सौदा
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शिमला। मंडी से सांसद और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने एक इंटरव्यू में अपनी राजनीति को लेकर बड़े खुलासे किए हैं। उन्होंने कहा कि जब भाजपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दिया था, तब उनसे कहा गया था कि सिर्फ 60 से 70 दिन ही काम करना होगा, बाकी समय में वे अपने व्यक्तिगत कार्यों पर ध्यान दे सकती हैं। लेकिन अब उन्हें लग रहा है कि सांसद का काम बेहद डिमांडिंग है।
कंगना ने इस दौरान ये भी कहा कि उन्हें भरोसा था कि मोदी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि मेरे पास फिल्म निर्माता, लेखिका और निर्देशक के तौर पर लंबा अनुभव है। मैं पद्मश्री सम्मान से सम्मानित हूं। मैंने एक मुश्किल सीट से जीत दर्ज की है, इसलिए मुझे लग रहा था कि मुझे मंत्रालय मिलेगा।
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अपने संसदीय अनुभव साझा करते हुए कंगना ने कहा कि ईमानदारी के साथ राजनीति करना आज के समय में एक महंगा शौक बन गया है। उन्होंने कहा कि सांसद के तौर पर काम करते हुए उनकी सैलरी का बड़ा हिस्सा कुक ड्राइवर और यात्रा पर खर्च हो जाता है। कंगना ने कहा कि मंडी जैसे बड़े और पहाड़ी संसदीय क्षेत्र में जब मैं कर्मचारियों के साथ किसी क्षेत्र में जाती हूं, तो हर बार यात्रा पर लाखों रुपये खर्च होते हैं।
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कंगना ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उन्हें सांसद के तौर पर काम करने में मजा नहीं आ रहा है। उनके मुताबिक लोग मेरे पास बेहद स्थानीय मुद्दों, जैसे पंचायत स्तर की समस्याएं लेकर आते हैं, जबकि मेरे पास न तो प्रशासनिक अधिकार हैं और न ही अधिकारियों की टीम। उन्होंने यह भी कहा कि कई बार लोग उनसे मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र के काम भी मांगते हैं, जबकि उन्होंने पहले ही कहा है कि मुख्यमंत्री के काम मेरे पास न लाएं ये उनका कार्यक्षेत्र है।
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कंगना ने अपने एक साल के कार्यकाल को आउटस्टैंडिंग बताते हुए मंडी के सभी पूर्व सांसदों को चुनौती दे डाली। उन्होंने कहा कि मैंने सदन में सबसे अधिक उपस्थिति दर्ज की है। मैंने बिजली, आपदा राहत और अन्य गंभीर मुद्दों पर सवाल उठाए हैं। मेरी तुलना मंडी के किसी भी पूर्व सांसद से कर लीजिए।
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कंगना रनोट के इस इंटरव्यू ने एक बार फिर दिखा दिया कि राजनीति सिर्फ मंच की चमक नहीं, बल्कि ज़मीनी जद्दोजहद भी है। उनके बयान से एक ओर जहां भाजपा की टिकट रणनीति पर सवाल खड़े हो सकते हैं, वहीं यह भी साफ होता है कि ग्लैमर से राजनीति में आई हस्तियां जब सियासी हकीकत से टकराती हैं, तो उनके अनुभव आम जन प्रतिनिधियों से बिल्कुल अलग नहीं होते।