#राजनीति
December 3, 2025
जयराम का सवाल: वन भूमि पर बसे 1.24 लाख परिवारों को कैसे बचाएगी सरकार, जानें क्या बोले CM
सदन में रेरा संशोधन बिल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोक
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धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का बुधवार का दिन बेहद हंगामेदार रहा। सदन में रेरा संशोधन बिल से शुरू हुई बहस देखते ही देखते सरकार और विपक्ष के बीच तीखी तकरार में बदल गई। मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर कई मुद्दों पर आमने.सामने दिखे। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी की चयन समिति में बदलाव से लेकर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों के मुद्दे तक, दोनों पक्षों में जमकर शब्दबाण चले।
विपक्ष ने सरकार पर न्यायिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करने और पारदर्शिता खत्म करने के आरोप लगाए, तो सरकार ने पलटवार करते हुए कहा कि पूर्व भाजपा सरकार की लापरवाही ने ही आज हजारों लोगों को बेघर होने की कगार पर ला खड़ा कर दिया है। सीएम सुक्खू ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी हाल में इन परिवारों को बेघर नहीं होने देगी और सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से उनका पक्ष रखा जाएगा।
सत्र की शुरुआत रेरा चयन समिति में संशोधन पर हुई चर्चा से हुई। सरकार ने नई व्यवस्था में चयन समिति के प्रमुख की भूमिका चीफ जस्टिस से हटाकर मुख्य सचिव को दे दी। इस बदलाव पर भाजपा विधायकों ने कड़ी आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि सरकार रेरा को अपने नियंत्रण में लेकर पारदर्शिता खत्म करना चाहती है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि इस कदम से निष्पक्षता और न्यायिक भागीदारी पर प्रश्नचिह्न लगा है। भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल व रणधीर शर्मा ने इसे केंद्र द्वारा बनाए मूल कानून की भावना के खिलाफ बताया।
सीएम सुक्खू ने जवाब दिया कि विपक्ष बिना तथ्यों के सदन में भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहा है और न्यायपालिका का सम्मान करने के बजाय केवल राजनीति कर रहा है। जिस पर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया और भाजपा नेता नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।
प्रश्नकाल के दौरान जैसे ही अवैध कब्जों का मुद्दा उठा, सदन का माहौल और गरम हो गया। मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि हिमाचल की सरकारी भूमि पर 1,24,870 लोगों का कब्जा है, जिनमें कई परिवार दशकों से वहीं रह रहे हैं। इनमें से कुछ ने घर बनाए हैं तो कुछ लोग सरकारी भूमि पर खेती करते हैं। सीएम ने कहा कि सरकार इन परिवारों को बेघर नहीं होने देगी और सुप्रीम कोर्ट में शीर्ष वकीलों के माध्यम से हिमाचल का पक्ष मजबूती से रखा जाएगा। बता दें कि अभी हाल ही में हाई कोर्ट ने पांच अगस्त, 2025 को सरकारी भूमि पर लोगों के अवैध कब्जों को हटाने के निर्देश दिए थे।
चर्चा के दौरान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने बड़ा खुलासा किया कि 2002-03 में भाजपा सरकार की नीति के कारण रातों.रात 1.60 लाख आवेदन आएए जिसके चलते अवैध कब्जों की वास्तविक संख्या उजागर हुई। नेगी ने कहा कि भाजपा की लापरवाही और बिना तैयारी बनाई गई नीतियों के कारण आज हजारों परिवार संकट में हैं। हाईकोर्ट द्वारा धारा 163-ए को निरस्त किए जाने के बाद स्थिति और जटिल हो गई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अधिकांश भूमि वन विभाग के अधीन है और केंद्र सरकार द्वारा थ्ब्। संशोधन किए बिना नियमितीकरण संभव नहीं।
जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ने अदालत में सही तरीके से पक्ष नहीं रखा, जिसके कारण 1.24 लाख परिवारों पर संकट गहराया है। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार इन गरीब परिवारों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएगी। सीएम सुक्खू ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा अब अपनी गलतियों को छिपाने के लिए सरकार पर आरोप लगा रही है, जबकि लोगों को इस स्थिति में पहुंचाने वाली असल में पूर्व सरकार ही है।
राजस्व मंत्री ने विपक्ष को खुले तौर पर चुनौती देते हुए कहा कि यदि भाजपा वाकई लोगों के हितों को लेकर ईमानदार है तो सरकार का साथ दे। हम दिल्ली जाने को तैयार हैं। जरूरत पड़ी तो जंतर मंतर पर धरना भी देंगे, लेकिन न्यायालय में मामला लंबित होने के कारण अभी किसी राहत नीति पर काम करना संभव नहीं।