#राजनीति
December 3, 2025
31 जनवरी तक होंगे पंचायत चुनाव? सुक्खू सरकार की ना के बावजूद तैयारियां तेज
प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में डिजास्टर एक्ट लागू किया है
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मंडी। हिमाचल प्रदेश में पंचायतीराज चुनाव को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है। सरकार ने आपदा अधिनियम का हवाला देकर चुनाव टाल दिए हैं, लेकिन दूसरी ओर चुनाव आयोग तय प्रक्रिया के अनुसार तैयारियां जारी रखे हुए है।
इसी कड़ी में मंडी जिले प्रशासन के पास लगभग आठ लाख बैलेट पेपर और 11,247 बैलेट बाक्स पहुंचा दिए गए हैं। जिला प्रशासन इन्हें सुरक्षित रूप से संबंधित ब्लॉकों तक भेजने में जुटा हुआ है।
मंडी जिले की 555 पंचायतों में आगामी महीनों में चुनाव प्रस्तावित हैं। पंचायतों के पुनर्गठन और आरक्षण रोस्टर अभी जारी नहीं हुए हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने सभी उपायुक्तों को समय पर चुनाव सामग्री उठाने के निर्देश दिए थे। आयोग का तर्क है कि नियमित प्रक्रिया में देरी नहीं होनी चाहिए, ताकि आदेश मिलते ही चुनाव सुचारू रूप से संपन्न कराए जा सकें।
जिला प्रशासन को कुल 11,247 बैलेट बाक्स प्राप्त हुए हैं। इनमें-
इसके अलावा निर्वाचन प्रक्रिया में उपयोग होने वाले तीन लाख से अधिक चुनाव आयोग के बैग भी मंडी पहुंच चुके हैं, जिनमें बैलेट पेपर और बाकी संवेदनशील सामग्री रखी जाएगी।सामग्री सुरक्षा और संरक्षित भंडारण को ध्यान में रखते हुए बैलेट बाक्स अलग-अलग ब्लॉकों में भेजकर सुरक्षित स्थलों पर रखवा दिए गए हैं।
प्रमुख ब्लॉकों को भेजी गई सामग्री इस प्रकार है-
पंचायतीराज संस्थाओं का कार्यकाल जनवरी 2026 में समाप्त होना है। सामान्य परिस्थितियों में चुनाव दिसंबर 2025 में करवाए जाने थे। लेकिन हाल ही में राज्य सरकार ने प्रदेश के कई हिस्सों में हुई प्राकृतिक आपदाओं और पुनर्स्थापन कार्यों का हवाला देते हुए चुनाव कुछ समय के लिए स्थगित कर दिए हैं।
दूसरी ओर चुनाव आयोग इस बदलाव से प्रभावित दिखता नहीं है। आयोग ने अपने सभी जिला अधिकारियों को चुनावी सामग्री समय पर उठाने और सुरक्षित रखने के निर्देश पहले ही जारी कर दिए थे।
उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने बताया कि जिला प्रशासन चुनाव आयोग से मिल रहे सभी निर्देशों का पालन कर रहा है। सामग्री को सुरक्षित रखने और उसका रिकॉर्ड तैयार करने में टीमें लगातार काम कर रही हैं।
चुनावी प्रक्रिया में सबसे बड़ी चुनौती सरकारी मशीनरी विशेषकर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की तैनाती है। प्रदेश में शिक्षकों और शिक्षा विभाग के स्टाफ की सबसे अधिक जिम्मेदारी पंचायत चुनावों में ही लगाई जाती है।
स्थिति और अधिक जटिल तब हो गई जब एक तरफ प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में डिजास्टर एक्ट लागू कर दिया, जबकि दूसरी तरफ राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनावी तैयारी के आदेश जारी करते हुए मतदाता सूचियां, बैलेट पेपर और अन्य सामग्री उठाने के निर्देश दे दिए। इसी विरोधाभास को लेकर जिलों में प्रशासनिक भ्रम की स्थिति है।
दो उपायुक्तों (जिला निर्वाचन अधिकारियों) ने इस उलझन को देखते हुए मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पूछा है कि वे किस आदेश को प्राथमिकता दें- सरकार के डिजास्टर एक्ट के प्रावधानों को या निर्वाचन आयोग के चुनावी निर्देशों को। अभी तक इस पर स्पष्ट दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।
दरअसल, हिमाचल प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं का वर्तमान कार्यकाल जनवरी 2026 में पूरा हो रहा है। वर्तमान में प्रदेश में डिजास्टर एक्ट लागू है- ऐसे में 31 जनवरी तक चुनाव कैसे होंगे। अगर तब तक चुनाव नहीं हो पाते, तो पंचायतों की प्रशासनिक शक्तियां बीडीओ (खंड विकास अधिकारी) और पंचायत सचिवों को सौंपी जा सकती हैं।