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August 30, 2025
सीएम का तंज: आपदा ने तबाह कर दिया हिमाचल, पर केंद्र की झोली से नहीं निकला विशेष राहत पैकेज
सीएम सुक्खू बोले आपदा को राजनीतिक तराजू में तोलना गलत
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शिमला। हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक आपदाओं की विनाशकारी मार झेल रहा है। बीते दो वर्षों में राज्य ने मानसूनी कहर, भूस्खलन, बादल फटने और बाढ़ जैसी आपदाओं के चलते अभूतपूर्व तबाही का सामना किया है। जान.माल का जो नुकसान हुआ है, उसने पूरे प्रदेश को गहरे सदमे में डाल दिया है। इस सब के बीच हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार से विशेष राहत पैकेज को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाल कर केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने केंद्र पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि अब तक कोई भी विशेष राहत राशि जारी नहीं की गई है।
हिमाचल में 2023 और 2024 के मानसून सीजन ने कहर बरपाया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में प्रदेश को 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ, जिसमें सैकड़ों लोगों की जानें गईं और हजारों घर तबाह हो गए। वहीं 2025 के मौजूदा मानसून में अब तक करीब 2,800 करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हो चुकी है। भूस्खलन और भारी बारिश के कारण सड़कें टूट गईं, पुल बह गए, हजारों लोग विस्थापित हो गए और जनजीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया।
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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा:
“हमारे लोग आपदा से उजड़ गए, घर बह गए, जिंदगियां बिखर गईं। पर अफ़सोस, केंद्र सरकार की ओर से अब तक विशेष राहत पैकेज नहीं आया। जब वक्त की मार सबसे भारी होती है तो राहत का इंतजार और भी दर्दनाक हो जाता है। अब जब जनता का दुख आसमान छू रहा है, तब केंद्र की चुप्पी किसकी सेवा कर रही है? क्या आपदा भी अब राजनीति के तराज़ू पर तौली जाएगी?”
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सीएम सुक्खू ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य को अब तक केंद्र से जो भी आर्थिक सहायता मिली है, वह सिर्फ SDRF (राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष) के तहत है, जो हर राज्य को नियमानुसार मिलती है। उन्होंने कहा कि यह राहत अपर्याप्त है और विशेष आपदा की स्थिति को देखते हुए अलग से आर्थिक सहायता अत्यंत आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार ने सीमित संसाधनों के बावजूद आपदा प्रभावितों तक राहत पहुंचाने के हरसंभव प्रयास किए हैं। राज्य सरकार द्वारा घोषित राहत के तहत जिनके घर पूरी तरह तबाह हो गए, उन्हें 7 लाख रुपये की सहायता दी जा रही है। घर के सामान व कपड़े के लिए 70 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। आंशिक रूप से प्रभावित घरों को 25 हजार से 1 लाख रुपये तक की सहायता दी जा रही है। जिनके पशुधन को नुकसान हुआ है, उन्हें 55 हजार रुपये का मुआवजा दिया जा रहा है।
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गौरतलब है कि 2023 में हिमाचल विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से इस भीषण त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की गई थी। लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। दो दिन पहले भी हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में पक्ष और विपक्ष ने एकमत से हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया है।
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राज्य के ग्रामीण और पर्वतीय इलाकों में सैकड़ों परिवार अब भी टेंटों और अस्थायी आश्रयों में जीवन बिता रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य सुविधाएं और रोजगार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री ने केंद्र से अपील की है कि राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर मानवीय आधार पर राज्य को विशेष राहत पैकेज प्रदान किया जाए। हिमाचल जैसे संवेदनशील पहाड़ी राज्य के लिए बार-बार आने वाली आपदाएं किसी चेतावनी से कम नहीं हैं। केंद्र और राज्य के बीच बेहतर तालमेल और त्वरित सहायता ही भविष्य में जानमाल के नुकसान को कम कर सकती है।