#अव्यवस्था
August 30, 2025
CAG ने OPS पर सुक्खू सरकार को चेताया, हिमाचल के खाली खजाने का रखें ध्यान
लोन लेकर लोन चुका रही सरकार
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति गंभीर है। ये हम नहीं, ये कह रही है कैग की रिपोर्ट। दरअसल, शुक्रवार को हिमाचल विधानसभा के मॉनसून सत्र में इस रिपोर्ट को सबके सामने रखा गया। इसी से खुलासा हुआ कि हिमाचल में हालात कितने चिंताजनक है।
कैग की ये रिपोर्ट 4 जुलाई, 2025 को राज्य सरकार को भेजी गई थी। ये रिपोर्ट वित्त वर्ष 2023-24 की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल में ऋणों की देनदारी और सकल घरेलू उत्पाद यानी ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) के बीच अंतर बढ़ता जा रहा है।
पिछले 4 सालों में देनदारी और GDP का अंतर 39.09 फीसदी से बढक़र 43.98 फीसदी हो गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के आखिर तक कुल ऋण और देनदारी 95,633 करोड़ हो गई थी। राज्य ना तो वित्तायोग के वित्तीय बेंचमार्क पूरे कर पा रहा है, ना ही FRBM एक्ट के प्रावधान।
गौर करने वाली बात है कि साल 2023-24 में लोन की लिमिट 6342 करोड़ थी लेकिन लोन 9043 करोड़ के लिए गए। रिपोर्ट के मुताबिक लोन चुकाने के लिए राज्य ने साल 2019 में लोक ऋण यानी पब्लिक डेबिट का 52.99 प्रतिशत हिस्सा खर्च किया था। ये साल 2024 में बढ़कर 74.11 प्रतिशत हो गया।
ऐसे में साफ है कि हिमाचल लोन उठाकर लोन ही भर रहा है। इस रिपोर्ट में ओल्ड पेंशन स्कीम यानी OPS का जिक्र है जो हिमाचल में बहाल कर दी गई है। रिपोर्ट कहती है कि OPS की बहाली से आने वाले समय में अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ेगा।
बता दें कि 1 अप्रैल, 2023 से OPS की बहाली की गई थी। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक OPS लागू करने के बाद हिमाचल सरकार को आने वाले वक्त में राज्य की डेबिट स्सटेनेबिलिटी यानी कर्ज को धारण करने की क्षमता का आकलन करना होगा।
प्रदेश में साल 2019-20 से 2023-24 तक GDP का 64% से 70% हिस्सा ब्याज, पेंशन व वेतन आदि के भुगतान पर खर्च होता रहा। वहीं साल 2019-20 में इनपर 21466 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसके मुकाबले वर्ष 2023-24 में इन मदों पर 30213 करोड़ की राशि खर्च की गई।
इस तरीके से इतनी अवधि में ये बढ़ोतरी 8.82 प्रतिशत रही है। राज्य सरकार केंद्र से प्राप्त 1024 करोड़ रुपए की रकम खर्च ही नहीं कर पाई। ये नोडल एजेंसी के खाते में अप्रयुक्त पड़ी रही।
सरकार ने 14 मामलों में 711 करोड़ का अनुपूरक बजट पारित किया, लेकिन मूल बजट में तय रकम खर्च नहीं हुई। राजकोषीय घाटा FRBM एक्ट के अंतर्गत तय 3.5 प्रतिशत तक रहना चाहिए था, लेकिन ये 5.43 प्रतिशत रहा है।