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August 30, 2025
हिमाचल: आधी रात को हुआ भूस्खलन, कई घर चपेट में लिए; बेघर हुए दर्जनों परिवार-दो लोग मलबे में दबे
छह मकानों में आई दरारें, प्रशासन ने खाली करवाए घर
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शिमला। हिमाचल प्रदेश इस समय प्रकृति के प्रकोप अपने चरम पर है। पिछले कई दिनों से रूक रूक कर हो रही बारिश ने प्रदेश भर में जमकर तबाही मचाई है। बीते रोज भी प्रदेश भर में भयंकर बारिश हुई। जिससे कई जगह भूस्खलन हुए। शिमला जिला के रामपुर में भी बीती रात को कई जगह भूस्खलन हुए हैं। भूस्खलन और बारिश के कारण अनेक घर ढह गए हैं, दर्जनों परिवार बेघर हो चुके हैं और लोग जान जोखिम में डालकर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं।
सबसे ज्यादा असर शिमला जिले के रामपुर उपमंडल और सोलन जिले के नालागढ़ क्षेत्र में देखा गया है। रामपुर के देवठी पटवार वृत्त अंतर्गत गांव शील प्रोग में तीन आवासीय मकानों को भारी नुकसान पहुंचा है। इन मकानों में रहने वाले तुलसी दास, लेखराज और हरीश कुमार के परिवार पूरी तरह प्रभावित हुए हैं। राहत की बात यह है कि इस घटना में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ, लेकिन संपत्ति को भारी क्षति पहुंची है।
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वहीं, गांव थला डाकघर मुनिश बहाली में भी भूस्खलन ने अपना कहर दिखाया है। गोपी चंद और प्यारे लाल के मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इस हादसे में हेमंत और प्यारे लाल मलबे की चपेट में आ गए और घायल हो गए, जिन्हें ग्रामीणों की मदद से स्थानीय सिविल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका उपचार चल रहा है।
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इधरए सोलन जिले के नालागढ़ क्षेत्र के जमन का डोरा गांव में हालात और भी चिंताजनक हैं। भारी बारिश के चलते जमीन में दरारें पड़ने लगीं, जो धीरे.धीरे गहरी और चौड़ी होती गईं। देखते ही देखते छह मकानों की दीवारों और नींव में खतरनाक दरारें आ गईं, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है। प्रशासन ने सतर्कता दिखाते हुए सभी मकानों को खाली करवा लिया है और प्रभावित परिवारों को सीएचसी भवन और आसपास के सुरक्षित घरों में शिफ्ट किया गया है।
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एसडीएम नालागढ़ राज कुमार ने बताया कि शुक्रवार शाम को अचानक दरारें तेजी से बढ़ गईं, जिससे तत्काल एक्शन लेते हुए मकान खाली करवाए गए। तकनीकी टीम को शनिवार को मौके पर भेजा जाएगा ताकि स्थिति का आंकलन कर स्थायी समाधान निकाला जा सके।
भारी बारिश से कई लोग बेघर हो गए हैं और अस्थायी राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। प्रभावितों का कहना है कि जमीन काफी समय से धीरे.धीरे धंस रही थी, लेकिन प्रशासन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया। अब जब खतरा और बढ़ गया है, तो लोग स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं।
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हिमाचल में हर साल मानसून के दौरान भारी नुकसान होता है, लेकिन इस बार हालात और भी गंभीर हैं। बारिश का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन का खतरा लगातार बना हुआ है। कई जगह सड़कों का संपर्क टूट गया है और बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी प्रभावित हो रही हैं। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने राहत व बचाव कार्य तेज कर दिए हैं, लेकिन दुर्गम इलाकों में पहुंचने में अभी भी कठिनाई हो रही है।