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December 6, 2025

जयराम सरकार के समय बिलों में गड़बड़ी: CAG रिपोर्ट में खुलासा, गबन भी हुआ था!

कैग रिपोर्ट ने उजागर किया जयराम सरकार की वित्तीय व्यवस्था का काला पक्ष

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CAG report

धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था इस समय बुरी तरह से लड़खड़ाई हुई है। प्रदेश गंभीर आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है। जिसका जिम्मेदार कहीं ना कहीं प्रदेश की सुक्खू सरकार की वित्तीय अनियमितताओं और कुप्रबंधन को माना जा रहा है। लेकिन असल सच्चाई का खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षा ;कैगद्ध की रिपोर्ट में हुआ है। जिसके अनुसार पूर्व की जयराम सरकार के समय हिमाचल प्रदेश में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं, जिससे प्रदेश के राजस्व को करोड़ों का नुकसान हुआ है। 

 

दरअसल बीते रोज विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कैग की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी। जिसमें पूर्व जयराम सरकार के कार्यकाल में

वित्तीय पारदर्शिता और लेखा प्रबंधन को लेकर गंभीर खामियां उजागर हुई हैं। कैग की ताज़ा रिपोर्ट ने वर्ष 2017 से 2022 के बीच भारी वित्तीय अनियमितताओं, प्रणालीगत कुप्रबंधन और गंभीर लापरवाही का पर्दाफाश किया है। इन गड़बड़ियों के कारण प्रदेश के राजस्व को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। 

 

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अधिकृत अधिकारियों के बिना पास किए बिल

कैग की जांच में यह सामने आया कि अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक 59,564 बिल ऐसे अधिकारियों द्वारा पास किए गए जो इसके लिए अधिकृत ही नहीं थे। ई.सैलरी डाटाबेस और एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (IFMS) डाटाबेस की तालिकाओं को मिलान करने पर यह चौंकाने वाली गड़बड़ी सामने आई।

दो.दो बार की गई पेमेंट

रिपोर्ट में बताया गया कि 14 मामलों में अवकाश नकदीकरण के भुगतान दो बार किए गए, जिसके चलते सितंबर 2016 से अक्टूबर 2021 तक 67ण्33 लाख रुपये का अनधिकृत भुगतान हुआ। यह सीधे तौर पर विभागीय निगरानी की कमी और बिल पासिंग सिस्टम में गंभीर खामी को दर्शाता है।

 

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चेक जारी करने की तिथि में हेरफेर

कैग ने पाया कि अप्रैल 2017 से मार्च 2022 के बीच दर्ज 537 मामलों में 38 मामलों में चेक जारी करने की तिथि, चेक बुक प्राप्ति तिथि से पहले की दिखाई गई। यह स्पष्ट संकेत है कि वित्तीय दस्तावेजों में हेरफेर कर अनियमित भुगतान किए गए।

बिल पास करने में कई महीनों की देरी

कोषागार की प्रक्रिया में सुस्ती का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जांच अवधि में  45,470 बिलों के पास होने में 15 से 90 दिन की देरी की गई। इसके अलावा 1,405 बिलों में 91 से 180 दिन की देरी की गई। इतना ही नहीं 272 बिलों में 180 दिन से भी कहीं अधिक की देरी दर्ज की गई। यह देरी न केवल प्रशासनिक कमजोरी को उजागर करती है, बल्कि कार्यों और भुगतानों में अनावश्यक वित्तीय बोझ भी पैदा करती है।

 

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कोषागार नियमों का भारी उल्लंघन

रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि कई मौकों पर कोषागार अधिकारियों की अनुपस्थिति में अधिकृत पदाधिकारी के स्थान पर अनधिकृत कर्मियों द्वारा प्रभार संभाला गया। इससे भुगतान प्रक्रिया में अनियमितता और धोखाधड़ी की संभावनाएं बढ़ीं।

जीवन प्रमाण पत्र के बिना पेंशन जारी

नियमों के अनुसार हर वर्ष जुलाईदृअगस्त में पेंशनभोगियों से जीवन प्रमाणपत्र प्राप्त करना अनिवार्य है। लेकिन कैग की जांच में पाया गया कि कोषागारों ने प्रमाणपत्र प्राप्त किए बिना ही पेंशन जारी कर दी। इससे मृत व्यक्तियों के नाम पर या गैर.अधिकृत लोगों के नाम पर पेंशन जारी होने की आशंका बढ़ गई।

 

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19 नकली बिलों से 68 लाख रुपये का गबन

सबसे गंभीर मामला वह रहा जिसमें 19 नकली बिल तैयार कर 68,11,052 रुपये का गबन किया गया। इस गबन में एक कंप्यूटर ऑपरेटर की संलिप्तता पाई गई। गबन की कुल राशि में से 11,38,930 रुपये सीधे कंप्यूटर ऑपरेटर के खाते में पहुंचे। विभागीय कार्रवाई के बाद ऑपरेटर से 11,38,930 रुपये और विभिन्न पेंशनभोगियों से 27,10,286 रुपये की वसूली तो की गई, लेकिन अभी भी 29,61,836 रुपये की राशि बकाया है।

कैग रिपोर्ट में जयराम सरकार का काला पक्ष

कैग की यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि जयराम सरकार के कार्यकाल में वित्तीय प्रबंधन और निगरानी व्यवस्था पूरी तरह से ढीली पड़ी रही। अनधिकृत भुगतान, नकली बिल, डाटा सिस्टम में गड़बड़ियां और कोषागारों में नियमों का पालन न होना, इन सभी ने मिलकर प्रदेश को करोड़ों रुपये के राजस्व नुकसान की स्थिति में पहुंचा दिया। प्रदेश की मौजूदा आर्थिक चुनौतियों की जड़ें इन वर्षों में हुए कुप्रबंधन और वित्तीय अनियमितताओं में गहराई से जुड़ी हुई हैं, जिसके असर अब राज्य की आर्थिक सेहत पर साफ दिखाई देने लगे हैं।

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