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December 6, 2025
सुक्खू सरकार की नई पहल- ड्रोन से भेजे जाएंगे मरीजों के सैंपल और दवाइयां, बदलेगा हेल्थ सिस्टम
स्थानीय पैरामेडिकल स्टाफ लेगा मरीज का सैंपल
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में बसे उन सुदूर गांवों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी है। जहां बर्फबारी या खराब रास्तों के कारण डॉक्टर तक पहुंचना किसी जंग जीतने से कम नहीं होता। प्रदेश सरकार अब वहां स्वास्थ्य सेवाओं को ‘हाईटेक’ करने जा रही है। जनवरी से मरीजों के घर तक इलाज ‘उड़कर’ पहुंचेगा। जी हां, सरकार हेल्थ सिस्टम में क्रांति के मूड में है और अब मरीजों तक दवा ड्रोन तकनीक से पहुंचेगी।
हिमाचल में जो मरीज पहले समय पर जांच या दवा न मिलने से दम तोड़ देते थे, अब ड्रोन तकनीक उनका जीवन बचाएगी। अब चंबा, लाहौल-स्पीति, डोडरा क्वार और बड़ा भंगाल जैसे इलाकों के लोगों को ब्लड टेस्ट के लिए मीलों पैदल चलकर या गाड़ी से शहर नहीं जाना पड़ेगा।
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स्थानीय पैरामेडिकल स्टाफ मरीज का सैंपल लेगा और उसे ड्रोन में रखकर बड़े अस्पतालों जैसे मेडिकल कॉलेज या आदर्श अस्पताल की लैब में भेज देगा।
लैब में जांच होते ही रिपोर्ट ऑनलाइन संबंधित डॉक्टर को भेज दी जाएगी. इसके आधार पर डॉक्टर गांव में ही मरीज का इलाज शुरू कर देंगे। अगर बीमारी गंभीर हुई, तभी मरीज को बड़े अस्पताल रेफर किया जाएगा। सर्दियों में जब भारी बर्फबारी के कारण रास्ते बंद हो जाते हैं, तब भी इलाज नहीं रुकेगा। ड्रोन के जरिए जीवनरक्षक दवाइयां स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाई जाएंगी।
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अस्पतालों में अब नहीं होगी स्टाफ की कमी सिर्फ ड्रोन ही नहीं, सरकार ने जमीनी स्तर पर भी स्वास्थ्य ढांचा मजबूत करने का फैसला लिया है। ड्रोन योजना के साथ-साथ सरकार ने स्वास्थ्य ढांचे को भी मजबूत करने के कदम उठाए हैं। अब हर स्वास्थ्य केंद्र में एक डॉक्टर, एक फार्मासिस्ट और तीन बेड जरूरी होंगे, जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में कम से कम 6 डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की जाएगी।
स्वास्थ्य सचिव एम. सुधा ने बताया कि योजना के सभी ट्रायल सफल रहे हैं और जनवरी से लोगों को इसका लाभ मिलने लगेगा। बर्फ से कटे हुए गांवों में रहने वाले लोग अब इलाज के लिए शहरों पर निर्भर नहीं रहेंगे, क्योंकि अब इलाज उनके दरवाजे तक ड्रोन से पहुंचेगा। यह तकनीक न केवल मरीजों की जान बचाएगी, बल्कि हिमाचल के स्वास्थ्य ढांचे को डिजिटल और आधुनिक मॉडल में बदल देगी।