#राजनीति
July 16, 2025
हिमाचल कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर फिर बढ़ी हलचल, CM सुक्खू के बाद डिप्टी सीएम दिल्ली पहुंचे
कांग्रेस संगठन को लेकर जल्द होने वाला है बड़ा फैसला
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नई दिल्ली/शिमला। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व और संगठन को लेकर अंदरूनी खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री दोनों अलग.अलग समय पर दिल्ली पहुंचकर पार्टी हाईकमान से मुलाकात कर चुके हैं। इन बैठकों को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। माना जा रहा है कि हिमाचल में कांग्रेस संगठन को लेकर बड़ा फैसला जल्द हो सकता है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने मंगलवार शाम को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल और पार्टी नेता प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार, इस दौरान सुक्खू ने संगठन में अपने समर्थकों को जिम्मेदारियां सौंपने की मांग रखी। सीएम की यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को लेकर पार्टी के भीतर गहरा मतभेद उभर चुका है।
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मुख्यमंत्री की दिल्ली से वापसी के तुरंत बाद बुधवार को उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी राजधानी पहुंच गए और कांग्रेस की हिमाचल प्रभारी रजनी पाटिल से भेंट की। अग्निहोत्री खेमे ने भी संगठन में अपने पक्ष के नेताओं को समायोजित करने की मांग रखी है। यह स्पष्ट संकेत है कि संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर दोनों प्रमुख नेताओं के बीच अंदरूनी खींचतान जारी है।
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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को लेकर पार्टी दो गुटों में बंटी हुई है। एक गुट उन्हें हटाकर नया नेतृत्व चाहता है, जबकि हॉली लॉज समर्थक खेमा उन्हें पद पर बनाए रखने के पक्ष में है। पार्टी हाईकमान के लिए यह निर्णय बेहद संवेदनशील हो गया है, क्योंकि प्रतिभा सिंह पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं और कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक पर उनका असर माना जाता है।
सूत्रों की मानें तो हाईकमान अब सामाजिक समीकरणों के आधार पर अध्यक्ष पद के लिए नए चेहरे की तलाश में है। विशेषकर अनुसूचित जाति वर्ग से अध्यक्ष बनाने की रणनीति पर गंभीरता से विचार हो रहा है। इस कोटे से विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार, विधायक विनोद सुल्तानपुरी और सुरेश कुमार जैसे नाम आगे चल रहे हैं। वहीं, ओपन कैटेगरी से ठियोग विधायक और पूर्व अध्यक्ष कुलदीप राठौर, मंत्री अनिरुद्ध सिंह और संजय अवस्थी के नामों की भी चर्चा है।
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हिमाचल कांग्रेस बीते आठ महीनों से बिना किसी संगठनात्मक ढांचे के चल रही है। 6 नवंबर 2023 को राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रदेश, जिला और ब्लॉक कार्यकारिणियां भंग कर दी थीं। उसके बाद से संगठनात्मक रिक्तता बनी हुई है। गुटबाजी और आपसी सहमति की कमी के चलते नया संगठन नहीं बन पाया है, जिससे पार्टी कार्यकर्ता हतोत्साहित हैं और जमीनी स्तर पर गतिविधियां लगभग ठप हो चुकी हैं। प्रदेश के कई मंत्री भी सार्वजनिक रूप से संगठन को पैरेलाइज्ड बता चुके हैं। खुद अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी कई बार सार्वजनिक मंचों से हाईकमान से नए संगठन के गठन की मांग उठा चुकी हैं।
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संगठनात्मक ढांचे का अभाव कांग्रेस के लिए आगामी निकाय चुनावों और भविष्य की रणनीति के लिहाज से गंभीर चुनौती बन चुका है। प्रदेश नेतृत्व में जारी खींचतान पार्टी की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रही है। सीएम और डिप्टी सीएम दोनों की दिल्ली दौड़ और हाईकमान से की गई व्यक्तिगत मुलाकातें यह दर्शा रही हैं कि नेतृत्व का संकट अब निर्णायक मोड़ पर है। अब यह देखना होगा कि कांग्रेस हाईकमान संगठन में संतुलन बिठाने में कितना सफल होता है।