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November 8, 2025
सुक्खू सरकार पर आ रही बड़ी मुसीबत ! शीतकालीन सत्र में अंदर विपक्ष - बाहर पेंशनर्स-पैरा कर्मी बोलेंगे हल्ला
पेंशनर्स और पैरा कर्मचारी सत्र के दौरान करेंगे सरकार का घेराव
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार के लिए आगामी शीतकालीन विधानसभा सत्र चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। 26 नवंबर से 5 दिसंबर तक धर्मशाला के तपोवन में होने वाले इस सत्र में सरकार को न केवल विपक्ष के सवालों का सामना करना पड़ेगा, बल्कि सत्र के बाहर भी कर्मचारियों और पेंशनर्स का आक्रोश देखने को मिल सकता है।
दरअसल, प्रदेश के सरकारी पेंशनर्स और जल शक्ति विभाग के पैरा कर्मचारी दोनों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की घोषणा कर दी है। दोनों संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर सरकार ने तत्काल कार्रवाई नहीं की तो वे विधानसभा सत्र के दौरान धर्मशाला में विशाल प्रदर्शन और घेराव करेंगे।
हिमाचल प्रदेश गवर्नमेंट पेंशनर्स एसोसिएशन की बैठक शनिवार को नूरपुर में हुई जिसकी अध्यक्षता प्रदेशाध्यक्ष एसएल गुप्ता ने की। बैठक में वक्ताओं ने सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को मुख्य सचिव के माध्यम से पेंशनर्स की प्रमुख मांगें सौंपी गई थीं, लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला। एसएल गुप्ता ने कहा कि प्रदेश के करीब पौने दो लाख पेंशनर्स सरकार के रवैये से निराश हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द पेंशनर्स की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो आगामी विधानसभा सत्र के दौरान वे संयुक्त संघर्ष समिति की अगुवाई में विरोध प्रदर्शन करेंगे।
एसोसिएशन के महासचिव जसवंत धीमान ने कहा कि 1 जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2022 तक सेवानिवृत्त कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान, ग्रेच्युटी और अन्य लाभ दिए जाएं। साथ ही लंबित मेडिकल बिलों का तुरंत भुगतान करने की भी मांग की गई। बैठक में सीपी महाजन, सतीश शर्मा, एके मैहता, आरके गुप्ता, कुशल पठानिया सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे।
इसी बीचए हिमाचल प्रदेश जल शक्ति पैरा कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने भी सरकार के खिलाफ आर पार की लड़ाई का ऐलान किया है। मंडी में हुई बैठक के दौरान मोर्चा के जिलाध्यक्ष सुमन ठाकुर और उपाध्यक्ष ईशान भारद्वाज ने कहा कि सरकार ने बार.बार दिए गए वादों को पूरा नहीं किया है। मोर्चा ने दावा किया कि प्रदेश में करीब 8 हजार पैरा कर्मचारी कार्यरत हैं, और उनकी मुख्य मांगें हैं अनुबंध अवधि को 8 साल से घटाकर 5 साल करना, सरकारी कर्मचारियों के समान भत्ते प्रदान करना, और मानदेय में वृद्धि करना है।
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सुमन ठाकुर ने कहा कि कोविड महामारी और 2023 की प्राकृतिक आपदा के दौरान पैरा कर्मचारियों ने जान जोखिम में डालकर सेवाएं दीं, लेकिन सरकार ने अब तक उन्हें नजरअंदाज किया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने चुनाव से पहले पैरा कर्मचारियों को स्थायी करने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ। मोर्चा ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ठोस नीति नहीं बनाई, तो विधानसभा सत्र के दौरान पांच हजार से अधिक पैरा कर्मचारी धर्मशाला में प्रदर्शन करेंगे।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र की तारीख जैसे ही सामने आई है, सरकार के लिए विरोध की दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है। विधानसभा के भीतर विपक्ष सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है, जबकि विधानसभा के बाहर पेंशनर्स और पैरा कर्मचारी सड़कों पर उतरने की तैयारी में हैं।