#उपलब्धि

November 8, 2025

हिमाचल: सास से मिली प्रेरणा, दो बच्चों की परवरिश के साथ रश्मि ने पूरा किया PHD का सपना

सिरमौर की बेटी और कांगड़ा की पुत्रवधु ने शिक्षा के क्षेत्र में हासिल की बड़ी उपलब्धि

शेयर करें:

rashmi-sirmaur PHD

कांगड़ा/ नाहन। हिमाचल प्रदेश की बेटियों को अगर सही मार्गदर्शन, परिवार का सहयोग और प्रेरणा मिले तो वह किसी भी मुकाम को हासिल कर सकती हैं। इस बात को सिरमौर की बेटी और कांगड़ा की पुत्रवधु रश्मि चौहान ने सच कर दिखाया है। 39 वर्षीय डॉ रश्मि चौहान ने न केवल परिवार की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ी उपलब्धि हासिल की। रश्मि ने  Eternal University, बरू साहिब (सिरमौर) से अपनी पीएचडी पूरी कर ली है।


रश्मि चौहान मूल रूप से नाहन के कच्चा टैंक की रहने वाली हैं। वे साहित्यकार दीन दयाल वर्मा और मीरा वर्मा की बेटी हैं, जबकि उनकी ससुराल बैजनाथ ;जिला कांगड़ाद्ध में है। परिवार में शिक्षण और साहित्य का गहरा वातावरण रहा है, जिसने उन्हें लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। हालांकि रश्मि चौहान ने शादी के समय यही सोचा था कि अब शादी के बाद उसकी पढ़ाई बंद हो जाएगी। लेकिन ससुराल से मिले सहयोग और सास की प्रेरणा ने रश्मि को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। 

 

यह भी पढ़ें : हिमाचल: हाईवे से गुजर रहे थे वाहन, अचानक दरका पहाड़ और सड़क पर हो गई पत्थरों की बरसात

सास से मिली प्रेरणा बनी सफलता की कुंजी

रश्मि की सफलता के पीछे सबसे बड़ी प्रेरणा उनकी सास मीना चौहान रहीं, जिन्होंने उन्हें हमेशा ऊची शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। मीना चौहान स्वयं एक शिक्षिका रहीं और उन्होंने अपनी बहू को न केवल आगे बढ़ने की राह दिखाई बल्कि हर कदम पर सहयोग भी किया। उन्होंने रश्मि को एम फिल के बाद पीएचडी करने के लिए प्रेरित किया और उनके शोध कार्य के दौरान हर संभव मदद दी।

यह भी पढ़ें: हिमाचल: 5 साल के मासूम ने खो दिया पिता, घर लौट रहे वकील की कार बस से जा टकराई

रश्मि की सास मीरा चौहान सेवानिवृत्त प्रिंसिपल और पति ठाकुर गौरव चौहान ने भी हर परिस्थिति में उनका साथ निभाया। रश्मि ने बताया कि दो बच्चों की परवरिश और पढ़ाई को साथ लेकर चलना आसान नहीं था, लेकिन मेरे परिवार ने मुझे हर पल प्रोत्साहित किया। सास और पति ने कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि जिम्मेदारियां मेरी राह में रुकावट हैं।

शोध का विषय: महिला प्रतिनिधित्व पर केंद्रित

डॉण् रश्मि ने अपना शोध कार्य चित्रा बैनर्जी दिवाकरुनी के उपन्यासों में Representation of Women विषय पर किया। उन्होंने अपने शोध में आधुनिक समाज में महिलाओं की भूमिकाए उनके संघर्ष और आत्मसम्मान को साहित्यिक दृष्टि से उजागर किया।

परिवार और शिक्षा का अनूठा संतुलन

रश्मि दो बच्चों 14 वर्षीय बेटे और 8 वर्षीय बेटी सौम्या की मां हैं। घर और शिक्षा के बीच संतुलन बनाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन उन्होंने इस चुनौती को अवसर में बदल दिया। परिवार के सहयोग और अपने दृढ़ संकल्प से उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो तो कोई भी जिम्मेदारी लक्ष्य की राह में बाधा नहीं बन सकती।

यह भी पढ़ें: सीएम सुक्खू ने अनुराग को दिया जवाब, बोले- खुद को पांडव कहने वाली भाजपा में चल रही सत्ता की लड़ाई

महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनीं रश्मि

डॉण् रश्मि चौहान की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार के लिए गर्व का विषय है, बल्कि प्रदेश की सभी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक उदाहरण भी है। उन्होंने यह संदेश दिया है कि अगर बेटियों को ससुराल और मायके दोनों का सहयोग मिले तो वे हर मंज़िल हासिल कर सकती हैं। उनका कहना है कि मेरी सफलता सिर्फ मेरी नहीं, मेरे परिवार की है। अगर मेरी सास और पति का साथ न होता, तो यह सपना शायद अधूरा रह जाता। मैंने सीखा है कि परिवार ही सबसे बड़ी ताकत होता है।

नोट : ऐसी ही तेज़, सटीक और ज़मीनी खबरों से जुड़े रहने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख