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December 8, 2025

खतरे के मुहाने पर हिमाचल! मंडराया जोन-6 का महा-संकट, चेतावनी के बाद जागी सुक्खू सरकार

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स ने हिमालयी क्षेत्र को जोन छह में डाला

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शिमलाः हिमाचल प्रदेश के सिर पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है। हिमाचल प्रदेश भूंकप के उस जोन में पहुंच गया है, जहां की तबाही शायद 1905 में कांगड़ा जिला में हुए भूकंप से भी कहीं अधिक होने की संभावना है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने भूकंप प्रभावित के नए नक्शे में संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र को जोन-6 में डाल दिया है। यह अब तक का सबसे खतरनाक भूकंपीय जोन माना जाता है। इस खतरे की घंटी के बजते ही हिमाचल सरकार की नींद टूटी है और अब सरकार ने आपदा से निपटने के लिए दो बड़े मोर्चो पर जंग की तैयारी शुरू कर दी है जिसमे प्रदेश सरकार 100 आधुनिक भूकंप अलार्म यंत्र  लगाने जा रही है।

आखिर क्या है जोन-6 का मतलब

अब तक हम जोन-4 या 5 की बातें करते थे, लेकिन 'जोन-6' का मतलब है अत्यधिक तबाही की आशंका। विशेषज्ञों के मुताबिक इस जोन में आने वाले क्षेत्रों में भूकंप की तीव्रता बहुत ज्यादा हो सकती है। यहां सिर्फ धरती नहीं डोलेगी, बल्कि बड़े भूस्खलन और जमीन फटने का खतरा भी कई गुना बढ़ जाएगा। ऐसे में पुरानी और कमजोर इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह सकती हैं। इसी डर ने सरकार को तुरंत एक्शन लेने पर मजबूर कर दिया है।

 

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भूकंप चेतावनी प्रणाली, ऐसे बचाती है जान

भूकंप आने पर दो प्रकार की तरंगें निकलती हैं। तेज़ लेकिन कम हानिकारक और दूसरी धीमी लेकिन ज्यादा विनाशकारी। जमीन में लगे भूकंपमापी सेंसर सबसे पहले कम हानिकारक तरंगों का पता लगाते ही तुरंत प्रोसेसिंग सेंटर को भेजते हैं। जिसके बाद कंप्यूटर तुरंत भूकंप की तीव्रता और स्थान की गणना करते ही कुछ सेकंड पहले ही प्रभावित क्षेत्रों में अलार्म (फोन नोटिफिकेशन, टीवी या सायरन) सक्रिय कर दिए जाते हैं, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने का समय मिल जाता है।

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पूरे राज्य में लगेंगे 100 भूकंप अलार्म

जोन-6 के खतरे को भांपते हुए सरकार ने सबसे पहले तकनीकी सुरक्षा का कवच पहनने का फैसला किया है। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के सहयोग से पूरे प्रदेश में 100 भूकंप प्रारंभिक चेतावनी उपकरण लगाए जाएंगे। इसका मकसद भूकंप के झटकों से कुछ सेकंड पहले सायरन या अलर्ट देना है, ताकि जान बचाई जा सके। पहले चरण में 10 उपकरण तत्काल प्रभाव से अलग.अलग जिलों में लगाए जा रहे हैं। सरकार यह रिस्क नहीं लेना चाहती, क्योंकि पिछले 3 सालों में ही आपदा से 600 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

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अब बदल जाएंगे घर बनाने के नियम

नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने साफ कर दिया है कि जब खतरा नया है, तो नियम पुराने कैसे चलेंगे। सरकार जल्द ही भवन निर्माण के नियमों को पूरी तरह बदलने जा रही है। पुराने नियमों से बने ढांचे अब सुरक्षित नहीं माने जाएंगे। प्रदेश के सभी स्कूलों, अस्पतालों और सरकारी दफ्तरों की रिमैपिंग होगी। जो भी बिल्डिंग 'हाई रिस्क' में मिलेगी, उसका 'स्ट्रक्चरल सेफ्टी ऑडिट' होगा और उसे तोड़ा या सुधारा जाएगा। निजी मकानों पर भी जल्द ही नए और सख्त मानक लागू किए जा सकते हैं।

 

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भविष्य की तैयारी

सरकार का यह 'जागना' जरूरी था क्योंकि जोन-6 में गलती की गुंजाइश नहीं होती। मंत्री धर्माणी का कहना है कि हमारा लक्ष्य किसी बड़ी अनहोनी के होने का इंतजार करना नहीं, बल्कि उससे पहले ही अपने घर और सिस्टम को मजबूत करना है। अब देखना यह होगा कि कागज पर बने ये 'एक्शन प्लान' जमीन पर कितनी जल्दी उतरते हैं।

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