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December 8, 2025
खतरें में है 'पहाड़ों की रानी' शिमला ! केंद्र से आए विशेषज्ञों ने खोली पोल, हाई-रिस्क पर बताए कई क्षेत्र
प्रकृति की वजह से नहीं इंजीनियरिंग की भारी चूक से शिमला पर मंडराया खतरा
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी और पहाड़ों की रानी कहे जाने वाले शिमला पर एक बड़ा खतरा मंडराने लगा है। यह खतरा प्रकृति की देन नहीं बल्कि इंजीनियरिंग की लापरवाही से पनपा हुआ है। जमीन धंसने के मामले की जांच करने के लिए केंद्र से आई विशेषज्ञों की टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
इस रिपोर्ट में गंभीर खुलासे किए गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पहाड़ों की रानी शिमला में गलत कटिंग, कमजोर सुरक्षा दीवारें और खराब ड्रेनेज सिस्टम ने शहर को ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया है, जहां एक तेज बारिश भी बडे हादसे की वजह बन सकती है। केंद्रीय भू विशेषज्ञ टीम की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि साइट पर की गई इंजीनियरिंग गलतियों ने शिमला को खतरे के निशान से ऊपर धकेल दिया है।
शिमला में ढली-कैथलीघाट फोरलेन निर्माण को लेकर उठ रहे सवाल अब और गंभीर हो गए हैं। लगातार धंसती जमीन और टूटती सड़कें लोगों में डर पैदा कर रही थीं, लेकिन अब केंद्र से आई भू-विशेषज्ञ ने अपनी रिपोर्ट में लोगों के इस डर को सही साबित कर दिया है। दो सदस्यीय टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट उपायुक्त शिमला को सौंप दी है, जिसमें कहा गया है कि फोरलेन निर्माण के दौरान कई वैज्ञानिक नियमों की अनदेखी हुई। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर समय रहते सुधार नहीं किए गए, तो यह क्षेत्र भविष्य में बड़ी आपदा झेल सकता है।
जांच रिपोर्ट में निर्माण कार्य की इंजीनियरिंग पर भी कई गंभीर सवाल उठाए गए हैं। जहां पहाड़ों को काटकर सड़क बनाई गई, वहां उन्हें सहारा देने के लिए जरूरी सुरक्षा दीवारें, बेंच कटिंग और अन्य तकनीकी उपाय पर्याप्त नहीं हैं। सबसे बड़ी खामी ड्रेनेज सिस्टम में पाई गई, जहां बारिश और बहते पानी की सही निकासी नहीं की गई। नतीजा यह हुआ कि पानी सीधे कटे हुए पहाड़ों पर बहकर जमीन को और कमजोर कर रहा है। इतने ही नहीं, कई स्थानों पर मलबा नियमों के विरुद्ध नीचे की ओर फेंका गया है, जिससे जमीन पर अतिरिक्त भार बढ़ गया है।
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टीम ने तीन जगहों को हाई-रिस्क जोन घोषित किया है, जहां किसी भी समय बड़ा भूस्खलन हो सकता है। इन इलाकों में जमीन इतनी अस्थिर हो चुकी है कि जरा सी बारिश या हलचल भी भारी तबाही ला सकती है।
केंद्रीय भू.विज्ञानियों की टीम ने रिपोर्ट में रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया है ढली, समरहिल, पंथाघाटी, शोघी और कैथलीघाट को उच्च जोखिम वाला क्षेत्र बताया है। इन क्षेत्रों में जमीन धंसने की घटनाओं के पीछे एक ही कारण बताया गया है गलत इंजीनियरिंग और अधूरी सुरक्षा तैयारियां।
विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद अब अगला कदम राज्य सरकार के हाथ में है। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा है कि रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है और उसी के आधार पर फैसला लिया जाएगा कि फोरलेन निर्माण जारी रहेगा या तुरंत रोक लगाई जाएगी। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर मानसून आने से पहले जरूरी सुधार नहीं किए गएए तो यह प्रोजेक्ट एक बड़ी आपदा का कारण बन सकता है।